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Wednesday, 28 February 2018

LoU की जन्मपत्री

बैंक में हुए 11400 करोड़ के घपले के बाद LoU याने लैटर ऑफ़ अंडरटेकिंग / Letter of Undertaking की बड़ी चर्चा हो रही है. इस LoU को हिंदी में क्या कहते हैं ये तो पता नहीं था तो गूगल बाबा की सहायता से पता लगा की LoU को हिंदी में वचन-पत्र कहते हैं. यह वचन-पत्र तो बड़ा कीमती निकला और आप देख ही रहे हैं इस वचन-पत्र के कारण सारा बैंकिंग तन्त्र, जासूसी तंत्र, मीडिया तंत्र और राजनैतिक तंत्र हिल गया है.

जैसे हीरे की कदर जौहरी ही जानता है वैसे ही वचन-पत्र की कदर हीरे के व्यापारियों ने खूब पहचानी. हीरे बेशकीमती हैं और भारत में तो अब बिना तराशे या कच्चे हीरे मिलते नहीं बाहर से ही लाने पड़ते हैं. बाहर से बिना तराशे हीरे लाने के लिए विदेशी मुद्रा चाहिए और साथ ही बैंकर भी चाहिए जो हीरे आयात करने में डॉलर में लोन दे सके क्यूंकि ये सामान बड़ा महंगा है. यहाँ हीरे आने के बाद कटिंग और पोलिश करके निर्यात कर सकते हैं, जेवर बना कर निर्यात कर सकते हैं और डॉलर कमा सकते हैं. वचन-पत्र अन्तरराष्ट्रीय व्यापर में कम ही चलता है. पर भारत में रिज़र्व बैंक की तरफ से इसे मान्यता प्राप्त है. बैंक हीरे आयात करने के लिए नब्बे दिन के लिए वचन-पत्र जारी कर सकते हैं.

LoU की जन्मपत्री कुछ यूँ खुलती है :

उदहारण के लिए यहाँ देसी बैंक है जिसमें हीरा लाल का खाता है और दूसरा मान लीजिए हांगकांग में  फिरंगी बैंक है जहां मोती लाल का खाता है. देसी बैंक ने अपना भी एक खाता हांगकांग के फिरंगी बैंक में खोल रखा है जिसे नोस्ट्रो / Nostro खाता कहते हैं. इस खाते से दोनों बैंक आसानी से आपस में लेनदेन कर सकते हैं. देसी और फिरंगी बैंक आपस में स्विफ्ट / SWIFT के माध्यम से गुप्त भाषा में बतियाते रहते हैं. इस स्विफ्ट को आप एक एप्प मान लीजिये जो केवल बैंकों के लिए है जिसका इस्तेमाल बड़े ध्यान से और सतर्क रह कर करना पड़ता है.

हीरा लाल ने देसी बैंक से कहा की उसे हांगकांग के मोती लाल से एक करोड़ डॉलर के अन-तराशे हीरे खरीदने हैं और इसके लिए मोती लाल को डॉलर देने पड़ेंगे. फ़िलहाल हमारे पास में पैसे नहीं हैं. वहां से हीरे आ जाएं तो हम उन्हें जेवर बना के एक करोड़ चालीस लाख डॉलर में वापिस उसी को या किसी और को बेच देंगे. वहां से जब आपके पास सेल के पैसे आ जाएं तो आप अपने पैसे काट लेना और बाकी हमारे खाते में जमा कर देना.

देसी बैंक ने स्विफ्ट के माध्यम से फिरंगी बैंक को वचन-पत्र भेजा. वचन-पत्र में लिखा कि हमारे एक 'अच्छे ग्राहक' को एक करोड़ डॉलर के कच्चे हीरे चाहिए जो आपके ग्राहक मोती लाल के पास उपलब्ध हैं. हीरा लाल नब्बे दिन में पैसे वापिस कर देंगे वर्ना हम वचन देते हैं की हम लौटा देंगे.

जवाब में फिरंगी बैंक ने कहा कि पहले तो आप अपने सन्देश का सत्यापन कर दें. दूसरी बात हीरा लाल को हम नहीं जानते हम आपको जानते हैं और आपके नोस्ट्रो खाते में एक करोड़ डॉलर जमा कर देंगे. आप इस्तेमाल कर लें और नब्बे दिन में सूद समेत वापिस कर दें.

देसी बैंकर ने फिरंगी बैंक को धन्यवाद दिया और एक स्विफ्ट सन्देश भेजा कि हमारे नोस्ट्रो खाते से आप अपने खातेदार मोती लाल को एक करोड़ डॉलर की पेमेंट दे दें वो यहाँ हीरे भेज देगा. अब ये एक करोड़ डॉलर का लोन हो गया जिसे Buyer's Credit कहते हैं. पेमेंट हो गई और लीजिए साब हीरे आ भी आ गए. हीरों पर काम हुआ और अस्सी दिन में जेवर तैयार हो गए. समय से तैयार माल और साथ में एक करोड़ चालीस लाख का बिल भेज दिया गया. हांगकांग के व्यापारी मोती लाल ने फिरंगी बैंक में बिल के पूरे एक करोड़ चालीस लाख डॉलर जमा कर दिए. फिरंगी बैंक ने अपने पैसे + खर्चे काट कर देसी बैंक के नोस्ट्रो खाते में बाकी पैसे जमा कर दिए. देसी बैंक ने अपने पैसे + खर्चे काट कर बाकी पैसे हीरा लाल के खाते में जमा कर दिए और किस्सा ख़तम हुआ.

पर आज के सन्दर्भ में किस्सा कुछ और ही हो गया. इस पूरे क्रम में याने LoU जारी होने से बिक्री के पैसे आने तक बहुत से लोचे हो सकते हैं. असल कारण और घोटाले का तरीका तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा. पर मोटे तौर पर LoU की जन्मपत्री में राहू केतु का प्रकोप कुछ इस तरह से आ सकता है:

- स्विफ्ट को कोर बैंकिंग से जोड़ा नहीं गया जिससे की भेजे गए मेसेज कितने दिन और कितने डॉलर के थे इस बात का पता ही नहीं लगा. कई बैंकों ने स्विफ्ट को आंशिक तौर पर और कुछ ने पूरी तरह से जोड़ लिया है. अब रिज़र्व बैंक ने सभी बैंकों को कहा है की 30 अप्रैल तक स्विफ्ट को कोर बैंकिंग से पूरी तरह से जोड़ें.


- स्विफ्ट के लिए मेकर, चेकर और वेरिफाएर की ज़रुरत पड़ती है. हो सकता है ये सारे काम एक ही व्यक्ति करता रहे और कई सालों तक करता रहे. वैसे तीन साल के बाद ट्रान्सफर होना चाहिए. ये भी हो सकता है की एक ही व्यक्ति कई अफसरों के पासवर्ड इस्तेमाल करता रहा हो और LoU का सत्यापन भी करता रहा हो.

- LoU नब्बे दिन के बजाय मिलीभगत के कारण 365 दिनों का बनाया गया हो.

- देसी बैंक का खातेदार या फिर फिरंगी बैंक का खातेदार फर्जीवाड़ा कर रहे हों. या दोनों खातेदार मिले हुए हों और हीरों की जगह कंचे भेज रहे हों. या फिर माल सस्ता हो और कीमत ज्यादा बताई जा रही हो.

बहरहाल हीरे बहुत कीमती होते हैं और इसलिए इनके साथ जुड़ा है काला धन और काले धन से जुड़ा है फिल्म जगत और नेतागण तो फिर घपले और अपराध भी दूर नहीं हैं.


हीरों की चमक 



1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/02/lou.html