जोधपुर से लगभग साठ किमी दूर एक जगह है ओसियां. आजकल यह एक तहसील है और वैसे थार रेगिस्तान का बहुत ही पुराना व्यापारिक और धार्मिक केंद्र रहा है. यहाँ शैव, वैष्णव और जैन मंदिर एक साथ ही बने हैं. पहाड़ी पर बने सच्चियाय माता का प्राचीन मंदिर है. सच्चियाय माता का दूसरा नाम साची या सचिया माता भी है और समाज के सभी वर्गों में इनकी मान्यता है. जोधपुर जिले का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. यहाँ महिषासुर मर्दिनी, शिव, विष्णु, कृष्ण, अर्धनारीश्वर आदि की  सुंदर मूर्तियाँ हैं. मंदिर की लाल पत्थर वाली दीवारों पर खुबसूरत काम है. जालियां और छतों पर कमाल की कारीगरी है.
जैन मुनि श्रीमद् विजय रत्नप्रभा सुरी जी के कथानुसार चामुंडा देवी का दूसरा नाम सच्चियाय माता ही था. कहा जाता है की उनके कारण ही राजा उत्पल देव ( उपल देव ) ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया और बलि प्रथा समाप्त हो गई. राजा उत्पल देव ने (सन 900 - 950) स्थान का काफी सुधार किया और यहाँ सौ से ज्यादा जैन मंदिरों की स्थापना हुई जिनमें से कुछ ही बचे हैं. उस समय इस स्थान का नाम उपकेसपुर था.
मंदिर सुबह पांच बजे से शाम आठ बजे तक खुला रहता है. मंदिर में मिठाई, कुमकुम, केसर धुप और चन्दन का प्रसाद चढ़ता है जो वहीँ मिल जाता है. पार्किंग की व्यवस्था है. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
जैन मुनि श्रीमद् विजय रत्नप्रभा सुरी जी के कथानुसार चामुंडा देवी का दूसरा नाम सच्चियाय माता ही था. कहा जाता है की उनके कारण ही राजा उत्पल देव ( उपल देव ) ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया और बलि प्रथा समाप्त हो गई. राजा उत्पल देव ने (सन 900 - 950) स्थान का काफी सुधार किया और यहाँ सौ से ज्यादा जैन मंदिरों की स्थापना हुई जिनमें से कुछ ही बचे हैं. उस समय इस स्थान का नाम उपकेसपुर था.
मंदिर सुबह पांच बजे से शाम आठ बजे तक खुला रहता है. मंदिर में मिठाई, कुमकुम, केसर धुप और चन्दन का प्रसाद चढ़ता है जो वहीँ मिल जाता है. पार्किंग की व्यवस्था है. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
|  | 
| मुख्य शिखर | 
|  | 
| हर इंच पर कारीगरी | 
|  | 
| पत्थर पर सुंदर काम | 
|  | 
| बीच बीच में बैरिकेड लगाकर सुन्दरता घट गई है | 
|  | 
| सुंदर जाली और नक्काशी | 
|  | 
| सुंदर जाली और नक्काशी | 
|  | 
| चामुण्डा देवी को समर्पित | 
|  | 
| प्रवेश के लिए सीढ़ियाँ और आठ सुंदर तोरण | 
|  | 
| सजीव मूर्तियाँ | 
|  | 
| जगती या चबूतरे की नक्काशी | 
|  | 
| इन मूर्तियों के कारण थार का खजुराहो भी कहा जाता है | 
|  | 
| सुंदर द्वार | 
|  | 
| राजा रानी | 
|  | 
| महिषासुरमर्दिनी | 
|  | 
| कमाल की मुस्कराहट | 
|  | 
| कहानी कहते पत्थर | 
|  | 
| अर्धनरनारीश्वर | 
 
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/02/blog-post_18.html
Post a Comment