Pages

Friday, 25 November 2016

करेंसी नोट

जिधर देखो चर्चा है नोट की और नोटबंदी की, अखबार में, टीवी पर, सोशल मीडिया में, गली-मोहल्ले में और बाज़ार में. इस विषय पर तर्क, वितर्क, कुतर्क और चुटकले बाज़ी खूब चल रही है. फिलहाल तो अपन की जेब में एक अदद डेबिट कार्ड है और पेंशन बैंक के खाते में है. डेबिट कार्ड भी सफ़ेद धन है और बैंक में आई पेंशन भी सफ़ेद धन है इसलिए फिकरनॉट !

पेंशन जमा होने के बाद वैसे तो बैंक के खाते से 500 और 1000 के नोट ही निकाले थे पर भई वो तो बियर और चखने के स्टॉक जमा करने में ही फिनिश हो गए. अब जो 100-50 के नोट बचे हैं सो अगली पेंशन तक हुक्का पानी चलता रहेगा इसलिए फिकरनॉट !

फिर बैठे बैठे ख़याल आया की इन्टरनेट पर देखें तो सही माजरा क्या है. करेंसी नोट पर कई मजेदार चीज़ें मिलीं जैसे कि दुनिया में सबसे पहले सिक्के का चलन भारत में ही प्राचीन काल में हुआ था और साथ ही चीन में भी. उससे पहले बार्टर चलता होगा मसलन 'तूने मेरी दाढ़ी बनाई ये ले चार टमाटर' या फिर 'मैं तुझे एक लिटर दूध देता हूँ तू मेरा कुरता सिल दे' वगैरा. फिर किसी आप जैसे सयाने बन्दे ने सिक्के निकाल दिया होगा तो फिर तो दुनिया ही बदल गई.

चाणक्य का नाम जरूर सुना होगा आपने. चन्द्रगुप्त मौर्य ( ईसापूर्व 340-290 ) के समय में चाणक्य ने अपनी पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में सिक्कों का वर्णन किया है. रुप्यारुपा याने चांदी का सिक्का, स्वर्णरूपा - सोने का, ताम्ररूपा - ताम्बे का और सीसारूपा सीसे का सिक्का. शायद रूपा शब्द ही रुपया हो गया होगा.

वैसे आधुनिक इतिहास में शेरशाह सूरी ने अपने राजकाल 1540 -1545 में कई तरह के सुधार किये. इनमें से एक था चांदी का सिक्का जारी करना. इस सिक्के का नाम भी रुपया रखा गया.

जनसँख्या बढ़ी तो व्यापार बढ़ा तो सिक्कों की मांग भी बढ़ी. फिर सिक्के बनाने महंगे हो गए शकल सूरत भी बहुत अच्छी नहीं होती थी. इसलिए सिक्कों से कागजी नोट की तरफ चल पड़े. कागजी नोट चीन में 11वीं शताब्दी में नज़र आने लगे थे. भारत में सबसे पहले कागजी रुपये छापे प्राइवेट बैंकों ने. ये बैंक थे बैंक ऑफ़ हिन्दोस्तान (1770 - 1832 ), जनरल बैंक ऑफ़ बंगाल एंड बिहार (1773 - 1775 ) और बंगाल बैंक ( 1784 -1791). शुरू के नोटों में केवल एक साइड ही प्रिंट होता था और दूसरी साइड कुछ भी नहीं. शायद मशीनरी में कमी रही हो.

गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों ने 1883 में रूपिया नाम से कागजी करेंसी चलाई जो कमोबेश 1961 तक चलती रही.

इसी तरह पोंडिचेरी, माहे, करैकल, यानम और चन्दरनगर के इलाके जो कि फ्रांस के आधीन थे फ्रेंच कागजी रुपये इस्तेमाल करते थे. एक रूपये का नोट प्रथम विश्व युद्ध के बाद और पांच का नोट 1937 में जारी किया गया था.

हैदराबाद राज्य में अपनी कागजी करेंसी का चलन 1916 से था. ये नोट 1939 तक छपते रहे और 1952 तक बाज़ार में चलते भी रहे.

उधर 1944 में जापानियों ने लड़ाई का एक नया हथियार ढूँढ लिया - नकली नोट. इसके बाद से नकली नोटों से बचने के लिए नोटों में वाटर मार्क और सुरक्षा धागे का इस्तेमाल किया जाने लगा.

भारत में 1831 में कागजी करेंसी - Paper Currency एक्ट बना था और 1835 में सिक्का एक्ट Coinage Act बना जिसके तहत पूरे भारत में एक जैसे सिक्के लागू किये गए. 1862 में ब्रिटिश राज के तहत सिक्के जारी किये गए. काफी समय तक सिक्के व नोट ब्रिटेन से छप कर आते रहे फिर 1928 में नाशिक, महाराष्ट्र में नोट छापने की प्रेस लगाई गई.

भारतीय रिज़र्व बैंक पहली अप्रैल 1935 को कलकत्ता में स्थापित किया गया और बैंक को करेंसी नोट का प्रबंधन दे दिया गया. बैंक ने पहले पहल पांच रुपये का नोट 1938 में जारी किया था. स्वतंत्र भारत का पहला नोट एक रूपए का था जिसे 1949 में छापा गया था.

जब कागज़ के नोट छपने शुरू हुए थे तो नोटों की कीमत के बराबर सोना रखा जाता था. परन्तु समय के साथ नोटों की संख्या और मूल्य इतना बढ़ गया कि उतना सोना रखना असंभव हो गया. 1914 से 1928 तक लगभग सभी देशों ने सोने के मानक को हटा दिया और सोने के भण्डार घटा दिए. भारत में 557.7 टन सोना रिज़र्व में रखा गया है जो कि विदेशी मुद्रा समेत कुल रिज़र्व का 6.3 % है.

विश्व में सबसे ज्यादा सोने के रिज़र्व रखने वाले देशों में भारत का स्थान दसवां है.

एक और मजेदार तथ्य भी पढ़ने को मिला -
1948 में डॉलर का मूल्य 01.30 रुपये था,
2000 में डॉलर का मूल्य 43.50 रुपये था,
2014 में डॉलर का मूल्य 59.44 रुपये था और
23.11.2016 को डॉलर का मूल्य 68.56 हो गया था.

रिज़र्व बैंक की 31 मार्च 2016 की रिपोर्ट में बताया गया है की भारत में 16.42 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट प्रचलन में थे जिसमें से  86% नोट 500 और 1000 के हैं.

नोटबंदी भारत में पहली बार जनवरी 1946 में हुई जिसमें 1000 और 10000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे. दूसरी बार 16 जनवरी 1978 से 1000, 5000 और 10000 रुपये के नोट बंद कर दिए गए थे. तीसरी बार अब 9.11.2016 से 500 और 1000 रूपए के नोटों की नोटबंदी हो गई.

कभी चकबंदी कभी नसबंदी और कभी नोटबंदी ! दुनिया यूँ ही चलती रहेगी,  आप बर्फ लेंगे क्या ?
दुनिया यूँ ही चलेगी



1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/11/blog-post_25.html