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Sunday, 20 November 2016

काँटा

बैंक का बिज़नेस बढ़ने के कारण झुमरी तलैय्या के रीजनल मैनेजर गोयल साहब की काफी वाह वाही हुई. गोयल साब की नाक ऊंची हो गई और कालर खड़े हो गए. पर बड़े अधिकारियों ने कुछ और ही सोच रखा था. उन्होंने रीजन को बाँट कर दो हिस्सों में कर दिया - झुमरी उत्तर और झुमरी दक्षिण.

कहाँ तो गोयल साब पूरे झुमरी के इकलौते सुलतान थे कहाँ अब उन्हें सिर्फ आधी झुमरी का चार्ज थमा दिया गया. अब ये तो सरासर ज्यादती थी कि गोयल साब बिजनेस बढ़ा रहे हैं और ऊपर वाले सल्तनत का साइज़ घटा रहे हैं. खबर सुनकर मायूस हो गए गोयल साब. पानी पिया और चश्मा उतार कर टेबल पर रख दिया फिर जेब से कंघी निकाल कर टकले सर पर फेरी. चार पांच बाल ही खड़े थे उन्हीं पर कंघी घुमा दी. कंघी करने के बाद वो फिर से यथास्थान खड़े हो गए.

घर में श्रीमतीजी को व्यथा सुनाई तो वे गुस्सा हो गईं,
- अरे तुम इतना काम कर रहे थे और बड़े साब की भी सेवा कर रहे थे तो ऐसा क्यूँ किया उन्होंने ? बात तो करनी थी ? या मैडम से मैं मिलूं ?

- अरे छोड़ ना स्साले को. रीजन छोटा दे दिया सो तो ठीक है पर तीन मोटे अकाउंट जो मैं लाया था वो चले गए दूसरे रीजन में. अच्छी दिवाली हो गई थी वो तेरा डायमंड सेट भी तो उसी में से बना था. पर ऐसा लगता है की अबकी दिवाली फीकी जाएगी.
- सुनो जी झुमरी के दूसरे रीजन में किसकी पोस्टिंग हुई है ?
- सुना है वहां तो कोई धन्नो आ रही है नाम तो मालूम नहीं पड़ा ना ही मैं जानता.
- हाय राम कुछ करो जी ये तो ठीक नहीं वो तो आपके सारे भेद खोल देगी. औरतों के पेट में बात रूकती कहाँ है समय रहते कुछ कर लो आप.
गोयल साब ने बियर का घूँट भरा और बोले,
- वही सोच रहा हूँ मैं भी. कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा जी.

गोयल साब ने अपनी पोस्टिंग बाहर कराने की कोशिश की तो जवाब मिला अगले साल. तीन मोटे लोन खाते अपने रीजन में ट्रान्सफर कराने की कोशिश की पर नाकामयाब रहे. श्रीमती ने कई बार पूछा,
- सुनो जी कुछ बात बनी क्या ?
- लगा हुआ हूँ मैं पर अभी तक तो कुछ नहीं हो पाया. जल्दी कुछ ना हुआ तो गड़बड़ हो सकती है.
- हाँ मुझे भी ठीक नहीं लग रहा है कुछ करो आप.

शनिवार को गोयल साब ख़ुशी ख़ुशी घर आये,
- डार्लिंग चलो आज डिनर करा लाऊँ. और खुशखबरी भी सूना डालूं.
- मामला सुलटा दिया लगता है ?
- देखो अपने ट्रान्सफर बाहर करानी चाही तो नहीं हुई, तीनों खाते अपने रीजन में ट्रान्सफर कराने चाहे तो वो भी नहीं हुए. अब काँटा ही निकाल दिया. दूसरे बैंक के रीजनल मैनेजर से बात करके सारी चीज़ समझाई. आज तीनों खाते हमारे बैंक में बंद हो गए और सोमवार से दूसरे बैंक में चालू. बोलो कैसी रही ?
- वाह बहुत अच्छी रही, ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी !

डायमंड सेट 


1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

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