Pages

Sunday, 20 March 2016

होली वग़ैरा

बताया नहीं अपना हाल चाल वग़ैरा,
ख़फ़ा हो क्यूँ , ऑफ हो क्यूँ वग़ैरा,
हम तो समझते थे कि समझते हैं तुमको,
हो गए जाने कैसे हम नासमझ वग़ैरा !

ज़रा मानो तो करा दें शॉपिंग वग़ैरा
डिज़ाइनर साड़ी या फिर मूवी वग़ैरा,
टेंशन छोड़ो क्रेडिट कार्ड जेब में है,
मुस्कुराओ तो ठीक हो हाज़मा वग़ैरा !

नागवारा है ये रूख इस मौसम को,
बहार आई है खिल गए हैं मुग़ल गार्डन वग़ैरा,
मूड बदल जाए तो हो जीना आसान ज़रा,
कर लेंगे फिर होली मिलन वग़ैरा !

होली है!
                                                                                                           

No comments: