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Wednesday, 4 March 2015

पोंडीचेरी के कुछ चित्र

पोंडीचेरी या पोंडी का 2006 में नामकरण कर दिया गया - पुद्दूचेरी याने तमिल में कहें तो 'नया गाँव'। यह एक केन्द्र शासित प्रदेश है और मज़ेदार बात यह है की इस प्रदेश के चार छोटे ज़िले हैं जो आपस में नहीं मिलते जैसे की - माहे केरल में है, यानम आंध्रा में है, करैकल तमिलनाडु में है और पोंडी भी तमिलनाडु में है पर करैकल से दूर है। ये चारों ज़िले १९५४ तक फ़्रांस के आधीन थे। पोंडीचेरी चिन्नाई से 170 किमी दूर है और बैंगलोर से लगभग 375 किमी। 

पोंडी का ज़िक्र पहली सदी के रोम के सौदागरों ने पोदुके या पोदुसा नाम से किया है। पोंडी के आसपास का इलाक़ा चौथी सदी तक कांचीपुरम के पल्लवों के आधीन रहा, दसवीं से तेरहवीं शताब्दी तक थन्जावुर के चोला राजाओं के मातहत रहा और तेरहवीं शताब्दी के अंत में पण्ड्या राजाओं के आधीन रहा। चौदहवीं सदी से लेकर 1638 तक यह इलाक़ा विजयनगर साम्राज्य में शामिल था। १६७४ में पोंडी पर फ़्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अधिकार जमाया और कालांतर में १९५४ में पौंडी, माहे, यानम और करैकल याने 'फ़्रेंच इंडिया' भारत में शामिल हुआ। 

फिरंगियो पर ग़ौर करें की पहली सदी से रोम वग़ैरा से व्यापार करने आते थे। फिर दूसरे दौर में सन 1400 से फिर आने शुरू हो ए। लगभग 1600 के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनियों के रूप में आए और क़ब्ज़ा कर बैठे। गए कब - अंग्रेज़ 1947 में गए, फ़्रेंच 1954 में गए और पुर्तगालियों को 1962 में धक्का दिया गया। कमबख़्त जाने को तैयार नहीं ! खैर प्रस्तुत हैं पोंडीचेरी में लिये गए कुछ चित्र:


पोंडीचेरी द्वार

बैकवाटर 

हवा महल 

मछुआरा, पोंडीचेरी सी-साइड

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