मध्य प्रदेश का छोटा सा शहर खजुराहो अपने मंदिरों के कारण विश्व प्रसिद्द है. ये सभी मंदिर विश्व धरोहर - World Heritage Site में आते हैं. भोपाल से खजुराहो की दूरी 380 किमी है और यह छतरपुर जिले का हिस्सा है. खजुराहो में एक एयरपोर्ट भी है. इसके अलावा रेल और सड़क से भी पहुंचा जा सकता है. हर तरह के होटल और अन्य सुविधाएं यहाँ उपलब्ध हैं. छोटा सा शहर होने के कारण सभी मंदिरों को पैदल या साइकिल सवारी कर के देखा जा सकता है वर्ना इ रिक्शा तो हैं ही.
खजुराहो की स्थापना करने वाले चन्देल राजा चंद्र्वर्मन थे जिन्होंने इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया था. चन्देल राजवंश ने लगभग नौवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक बुंदेलखंड के कुछ हिस्सों और उसके आस पास राज किया था. इस दौरान पहले राजधानी खजुराहो में बनी और फिर महोबा में बना दी गई थी.
खजुराहो के ज्यादातर मंदिर सन 850 से सन 1150 के बीच चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए थे. बीस वर्ग किमी में फैले क्षेत्र में पच्चासी मंदिरों का निर्माण हुआ था जिनमें से पहला मंदिर चौंसठ योगिनी मंदिर माना जाता है जो 850 - 860 में बना और आखिरी मंदिर - दुल्हादेव मंदिर लगभग 1110 - 1125 में चंदेल राजा मदन वर्मन द्वारा बनवाया गया माना जाता है. इन पच्चासी मंदिरों में से अब पच्चीस मंदिर ही शेष हैं जो छे वर्ग किमी में फैले हुए हैं.
खजुराहो के मंदिरों में से एक मंदिर है वामन मंदिर. यह मंदिर वामन जो की विष्णु के पांचवें अवतार माने जाते हैं, को समर्पित है. मंदिर एक ऊँचे, 62 फुट लम्बे और 45 फुट चौड़े चबूतरे पर बना है. इसमें अर्धमंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भगृह हैं. गर्भगृह में वामन की मूर्ति है. मंदिर की बाहरी दीवार पर दो कतारों में मूर्तियाँ हैं. मंदिर भारी और मजबूत पत्थरों से बना लगता है. खजुराहो के अन्य मंदिरों के मुकाबले वामन मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्तियाँ कम हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो :
खजुराहो के चार अन्य मंदिरों पर सचित्र ब्लॉग इन नामों पर क्लिक कर के देखे जा सकते हैं :
1. दूल्हादेव मंदिर
2. वराह मंदिर
3. चौंसठ योगिनी मंदिर
4. चतुर्भुजा मंदिर
खजुराहो की स्थापना करने वाले चन्देल राजा चंद्र्वर्मन थे जिन्होंने इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया था. चन्देल राजवंश ने लगभग नौवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक बुंदेलखंड के कुछ हिस्सों और उसके आस पास राज किया था. इस दौरान पहले राजधानी खजुराहो में बनी और फिर महोबा में बना दी गई थी.
खजुराहो के ज्यादातर मंदिर सन 850 से सन 1150 के बीच चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए थे. बीस वर्ग किमी में फैले क्षेत्र में पच्चासी मंदिरों का निर्माण हुआ था जिनमें से पहला मंदिर चौंसठ योगिनी मंदिर माना जाता है जो 850 - 860 में बना और आखिरी मंदिर - दुल्हादेव मंदिर लगभग 1110 - 1125 में चंदेल राजा मदन वर्मन द्वारा बनवाया गया माना जाता है. इन पच्चासी मंदिरों में से अब पच्चीस मंदिर ही शेष हैं जो छे वर्ग किमी में फैले हुए हैं.
खजुराहो के मंदिरों में से एक मंदिर है वामन मंदिर. यह मंदिर वामन जो की विष्णु के पांचवें अवतार माने जाते हैं, को समर्पित है. मंदिर एक ऊँचे, 62 फुट लम्बे और 45 फुट चौड़े चबूतरे पर बना है. इसमें अर्धमंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भगृह हैं. गर्भगृह में वामन की मूर्ति है. मंदिर की बाहरी दीवार पर दो कतारों में मूर्तियाँ हैं. मंदिर भारी और मजबूत पत्थरों से बना लगता है. खजुराहो के अन्य मंदिरों के मुकाबले वामन मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्तियाँ कम हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो :
1. बाहरी दीवार पर उकेरी कुछ सजीव मूर्तियाँ |
2. सुडौल शरीर और चेहरे पर सुंदर भाव भंगिमा |
3. व्याल और महिलाओं की मूर्तियाँ. हर चेहरा बड़ी मेहनत से उकेरा गया है और हरेक का भाव भी अलग अलग है. बालों का स्टाइल और जेवर बहुत सजीव बनाए गए हैं |
4. कामुक मुद्रा में यक्षिणी |
5. मंदिर के दाहिनी ओर का एक दृश्य |
6. दो कतारों में की गयी बिमिसाल नक्काशी |
7. बहुत सी बाहरी मूर्तियाँ खंडित हो चुकी हैं |
8. सुंदर बनावट और आभूषणों से सज्जित |
9. मंदिर की बाँई दीवार |
10. वामन मंदिर |
11. वामन मंदिर |
12. गर्भगृह |
13. वामन |
1. दूल्हादेव मंदिर
2. वराह मंदिर
3. चौंसठ योगिनी मंदिर
4. चतुर्भुजा मंदिर
6 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/04/blog-post_21.html
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 21/04/2019 की बुलेटिन, " जोकर, मुखौटा और लोग - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद शिवम् मिश्रा जी.
Awesome captures Sir.
Khazuron mandeer ki photos bahut acchi hai
Photo chahiye pls
Thank you Unknown. In case you provide your mail address i can send some.
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