उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित गुप्तकाशी एक छोटा सा पर सुंदर शहर या कस्बा है. दिल्ली से इसकी दूरी 425 किमी है और ऋषिकेश से लगभग 180 किमी है. दिल्ली से ऋषिकेश तक मैदानी रास्ता है और उसके बाद पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता है. अलकनंदा के साथ साथ हरी भरी पहाड़ियों में घुमती सड़क पर गाड़ी चलाने में बहुत आनंद आता है. मंजिल सुंदर है और मंजिल तक का रास्ता भी सुंदर है.
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गुप्तकाशी की ऊँचाई 1320 मीटर है और ये शहर केदार खण्ड में है और केदारनाथ से 50-55 किमी पहले है. यहाँ से केदारनाथ पैदल जाना बहुत मुश्किल काम है. पर पास ही हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है जिसमें 12-15 मिनट में केदारनाथ पहुंचा जा सकता है.
गुप्तकाशी की लोक कथा है कि पांडव महाभारत के युद्ध के बाद पश्चाताप करने और भगवान शिव का दर्शन करने यहाँ आए. परन्तु भगवान शिव मिलना नहीं चाहते थे इसलिए नंदी के रूप में यहाँ गुप्त हो गए. इसलिए स्थान का नाम गुप्तकाशी पड़ गया. नकुल और सहदेव ने नंदी को पहचान कर भीम की सहायता से नंदी को पकड़ने की कोशिश की पर वो एक बर्फीली गुफा में गायब हो गए. बाद में भगवान् शिव पांच अलग अलग स्थानों में अलग अलग रूपों में प्रकट हुए - कूबड़ केदारनाथ में, रौद्र मुख रुद्रनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, पेट इत्यादि मध्यमहेश्वर में, और लटाएं कल्पेश्वर में. रुद्रनाथ और कल्पेश्वर चमोली गढ़वाल जिले में है. इन सभी स्थानों पर मंदिर हैं और ये सभी स्थान भी सुंदर हैं. गुप्तकाशी से केदारनाथ, उखीमठ, चोपटा और देवरिया ताल भी घूमने जा सकते हैं.
गुप्तकाशी और आसपास के कुछ फोटो:
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1. गुप्तकाशी की सुबह. जिस दिन आसमान साफ़ हो तो बर्फीली चोटियों का सुंदर दृश्य नज़र आता है |
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2. लगता है इनके घर में कोई धार्मिक अनुष्ठान होने वाला है. मन्दिर से धार्मिक पुस्तकें और सामग्री सादर घर ले जाई जा रही हैं |
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3. गुप्तकाशी का कृषि विज्ञान केंद्र स्थानीय किसानों को खेती बाड़ी के नए तरीके समझाने की कोशिश कर रहा है. पैसे, तकनीक, साधन और ट्रेनिंग देकर सब्जी भाजी और फल उगाना सिखा रहा है. पर बदलाव की गति धीमी है. केंद्र में न्यूज़ीलैण्ड का मशहूर फल कीवी भी लगाया जा रहा है |
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4. मानसून के समय इस तरह के दृश्य अक्सर देखने को मिलते हैं. नीचे घाटी गरम है इसलिए भाप ऊपर उठती है. ऊपर ठंडक पा कर बादल बनते हैं. पल पल बादलों की शक्ल सूरत बदलती रहती हैं |
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5. गुप्तकाशी का नवोदय विद्यालय. दोबारा अगर स्कूल में पढ़ने जाना हो तो ये जगह बेहतरीन है |
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6. गुप्तकाशी की मुख्य रोड जो केदारनाथ की तरफ जाती है |
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7. गुप्तकाशी का बाज़ार अभी खुला नहीं है इसलिए सड़क पर शान्ति है |
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8. जाख देवता मंदिर. मान्यता है की जाख देवता की पूजा बारिश ला सकती है. और अगर बहुत ज्यादा बारिश हो रही हो तो पूजा करने पर जाख देवता बारिश रुकवा भी देते हैं. मान्यता ये भी है की उन्होंने छत बनाने से मना किया हुआ है इसलिए उनकी मूर्ति खुले में ही रहती है और कोई दीवार या छत नहीं बनाई जाती है. गुप्तकाशी समेत ये 14 गाँव के देवता हैं |
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9. देवर चौरा गाँव की महिलाएं पशुओं के लिए चारा और चूल्हे के लिए लकड़ी लाती हुई. बूंदा बांदी और 10-15 किलो के वजन के बावजूद चहरे पर मुस्कराहट है. यहाँ 'बेटी बचाओ' जैसे नारे की ज़रुरत नहीं है |
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10. केदारनाथ को जाने वाली सड़क को चौड़ा किया जा रहा है. इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा ये तो समय ही बताएगा क्यूंकि ज्यादातर पहाड़ भुरभुरे से लगते हैं और भूस्खलन की आशंका बनी रहती है |
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11. गुप्तकाशी के द विलेज रिट्रीट रिसोर्ट में. ये सुंदर रिसोर्ट यहाँ की एक महिला उद्यमी श्रीमति स्नेहा बगवाड़ी भट्ट चलाती हैं |
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12. सड़कें बन रही हैं तो मलबा ढुलाई के लिए खच्चर भी काफी संख्या में दिखते हैं |
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13. बर्फीली गंगोत्री पर्वत माला का एक दृश्य. दाहिनी ओर चौखम्बा पर्वत है जिसके तीन 'खम्बे' नज़र आ रहे हैं. चौखम्बा के चार कोनों की ऊँचाई अलग अलग है - 7138 मीटर, 7070 मीटर, 6995 मीटर और 6854 मीटर. ये पर्वत बद्रीनाथ के पश्चिम में है
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14. लहराती चलती मस्त नदी मधु जो मध्यमहेश्वर से निकल कर मन्दाकिनी में मिल जाती है |
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15. सुप्रभात |
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16. गुप्तकाशी से नज़र आता उखीमठ
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7 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/07/blog-post.html
अति उत्तम
धन्यवाद Mittal जी.
Very nice and informative.
Thank you Gulshan Hemnani
ATI uttam
Thank you Unknown. Please update your Blogger profile. or write your name with comments.
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