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Friday 14 April 2017

ऋषिकेश के रंग

गंगा तट पर बसा ऋषिकेश प्राचीन तीर्थस्थल है. यह देहरादून जिले का एक हिस्सा है और शिवालिक पहाड़ियों से घिरा हुआ है. ऋषिकेश चार धाम - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा के लिए प्रवेश द्वार है. समुद्र तल से ऋषिकेश की उंचाई लगभग 1360 फीट है. गर्मी का तापमान 38 से 39 डिग्री तक जा सकता है और सर्दी में 4 से 5 डिग्री तक. नज़दीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार में है और नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून में.

ऊँचे पहाड़ों और गहरी घाटियों में से उछलती कूदती गंगा शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे ऋषिकेश तक आ पहुंचती है. ऋषिकेश से आगे गंगा की चाल धीमी पड़ जाती है. पर गंगा नदी आगे के मैदानों में खेती, जंगल, पशु-पक्षी और मनुष्यों की सेवा में जुट जाती है हालांकि मनुष्यों ने इसे दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. गंगा के बहाव के दाहिनी ओर ऋषिकेश बसा हुआ है और बाएँ तट पर जंगल हैं. इन जंगलों में अब कई आश्रम बन गए हैं. गंगा के दाहिने ओर से बाएँ तट पर जाने के लिए दो पुल हैं - लक्ष्मण झूला और राम झूला. ये पुल ऋषिकेश की ख़ास निशानियाँ हैं और तेज़ हवा हो तो दोनों पुल झूलते रहते हैं. इसी कारण पुल या सेतु के बजाए झूला कहा जाता है.

ऋषिकेश में मंदिर, आश्रम, घाट, धर्मशालाएं, योग संस्थान और आयुर्वेद उपचार के बहुत से संस्थान हैं. पर्यटकों के लिए बोटिंग और राफ्टिंग भी उपलब्ध है. जहाँ मन लगे वहां पैसा खर्चें और आनंद लें. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

गंगा के बाएँ किनारे पर परमार्थ आश्रम में शाम की आरती का एक दृश्य 

राम झूला से नज़र आती रबड़ की नाव 

राम झूला. लोहे की रस्सी से बना ये पुल 750 फीट लम्बा है और जिसे 1986 में बनाया गया था 

गंगा के बाएँ तट से नज़र आता लक्ष्मण झूला 

चना मुरमुरा का आनंद लें 

सफ़ेद रेत और गंगा का हरा पानी 

लक्ष्मण झूला. कहा जाता है कि लक्ष्मण ने जूट की रस्सी के सहारे यहाँ गंगा पार की थी. लोहे की रस्सी से 1889 में पुल बनाया गया. 1930 में फिर से नया पुल बनाया गया. यह पुल 450 फीट लम्बा है और पानी से लगभग 60 फीट ऊँचा है. पैदल तो इसपर चलते ही हैं दुपहिया भी चलते हैं 

राफ्टिंग के लिए रबर बोट पर ॐ का सुरक्षा कवच 

लक्ष्मण झूले के पास एक मंदिर -  ऊपर और ऊपर 

विदेशी लड़कियां गंगा में दिया बहाने की तैयारी में  

साधू के फोटो के बिना तो ऋषिकेश का ब्लॉग अधूरा ही रह जाएगा ! देखने में तो 30 के आस पास लग रहा था. दस का नोट लेने के बाद कहने लगा की चार धाम की यात्रा पर निकले हैं, नंगे पाँव हैं चप्पल के लिए पैसे दे दें   

गंगा के बाएं तट पर बहुत से आश्रम हैं जैसे - स्वर्ग आश्रम, परमार्थ निकेतन, गीता भवन और 84 कुटिया.  अपनी गाड़ी से जाने के लिए इस नहर के साथ साथ जाना होगा.  सड़क ज्यादा अच्छी नहीं है पर सीनरी बहुत सुंदर है 

इसी नहर किनारे चीला में एक छोटा पन-बिजली घर भी नज़र आ जाता है  

आरती का समय 




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/04/blog-post_14.html