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Saturday, 7 December 2024

डीग का किला और महल, राजस्थान

डीग राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है जिसे अब भरतपुर से हटा कर जिला बना दिया गया है। डीग भरतपुर से 32 किमी और आगरा से 98 किमी की दूरी पर है। इसका प्राचीन पौराणिक नाम दीर्घापुर बताया जाता है। महाराजा बदन सिंह (1722 से 1755 तक राज किया ) के समय डीग भरतपुर राज्य की राजधानी हुआ करती थी। बाद में उनके बेटे महाराजा सूरजमल (जन्म 1707 मृत्यु 1763, बीस साल तक राज किया ) ने भरतपुर को राजधानी बनाया साथ ही डीग में किला और जलमहल बनवाया। 

महाराजा सूरजमल बहादुर, दूरदर्शी और धाकड़ राजा थे। उन्होंने 25000 पैदल और 15000 घुड़सवार सेना बनाई हुई थी। उस समय भरतपुर राज्य में मथुरा, मेवात, बुलंदशहर, अलीगढ़, मेरठ, रोहतक आदि का बड़ा इलाका शामिल था। महाराजा ने मुग़ल शासकों के नाक में दम कर दिया था। 1753 में फ़िरोज़ शाह कोटला, दिल्ली और 1761 में आगरे का किला जीता था। 1763 में शाहदरा दिल्ली के पास हिंडन नदी पर महाराजा सूरजमल की नवाब नजीबुद्दौला ने घात लगा कर हत्या कर दी।     

डीग किले में एक बहुत ऊँचा और बड़ा निगरानी बुर्ज है जिस पर एक भारी तोप अभी भी रखी हुई है। यहाँ से पूरे शहर का नज़ारा देखने को मिलता है। बताया जाता है की यह तोप आगरा किले से लूट कर (?) लाई गई थी। किले के चारों ओर पानी भरी गहरी और चौड़ी खाई है, ऊँची दीवार है और चारों कोने पर बुर्ज हैं उन पर भी तोपें रखी हुई थी। किले के बारे में कई किंवदंतियाँ सुनी: i ) तोप का वजन एक लाख किलो है इसलिए इसे 'लाखा तोप' कहते हैं,  ii) किले की चौतरफा दीवार आठ किमी लम्बी थी,  iii ) लाखा तोप का गोला दिल्ली / आगरे के किले पर गिरा था। पर इनकी पुष्टि नहीं हो पाई। 

कुछ फोटो प्रस्तुत हैं : 

1. डीग के किले के अंदर छे मंजिला मुख्य निगरानी बुर्ज जिस पर एक भारी तोप नज़र आ रही है  
 

2. निगरानी बुर्ज से शहर का एक दृश्य 
   
3. बुर्ज पर रखी बड़ी तोप। ये तोप भी असामाजिक तत्वों की हरकत से बची नहीं। लिख नहीं पाए तो पेंट ही उंडेल दिया 

4. किले के एक कोने पर बुर्ज जिस पर बड़ी तोपन रखी जाती थी

5. किले की मरम्मत जारी है। किला और महल ख़ास राजस्थानी अंदाज़ में बनाए गए थे  

6. किले का दरवाज़ा। पर यहाँ कोई टिकट नहीं है, न ही कोई गाइड है और न ही साफ़ सफाई 

7. किले के कुछ भागों में सरकारी दफ्तर खुले हुए हैं। धरोहर को क्या करना है बचा के?  

8. एक रास्ता यह भी है ! धीरे धीरे किला नष्ट होता नज़र आ रहा है 


डीगमहल  या जलमहल 

महाराजा सूरजमल द्वारा बनाया गया डीग जलमहल भरतपुर के अलावा गर्मी की राजधानी थी। इस शहर की शुरुआत 1721 में महाराजा बदन सिंह ने की और उसके बाद समय के साथ ये बढ़ता गया। 1772 में बनाए गए जलमहल में बगीचे, छोटे बड़े सरोवर और सैकड़ों फव्वारे भी बनाए गए जो गर्मी से राहत देते थे। एक सुन्दर रिसोर्ट की तरह है ये परिसर। 1970 तक यह रहने के लिए इस्तेमाल किया गया था अब यह एक स्मारक के रूप में है। ख़ास राजस्थानी शैली में बने इस महल का रख रखाव अच्छी तरह से किया जा रहा है। 

सुन्दर बाग़ बगीचों की बीच बने जलमहल में कई इमारतें हैं बारादरी है, म्यूजियम है और सरोवर हैं।  जलमहल सुबह 9 बजे  से शाम 5 बजे तक खुला है और शुक्रवार को बंद रहता है। अंदर जाने के लिए टिकट है पर गाइड नहीं है। अंदर एक म्यूजियम भी है जिसमें राजाओं का पुराना सामान रखा हुआ है। किसी ने बताया की यहाँ 2000 फ़व्वारे हैं तो किसी ने कहा 900 सो अगली बार अगर गए तो गिनती कर लेंगे ! बताया गया की साल में दो बार फव्वारे चलाए जाते हैं। 

डीग जैसे छोटे से शहर में इतना सुन्दर महल जिसका रख - रखाव भी सुन्दर है, मिलने की उम्मीद नहीं थी। डीग शहर भी पिछड़ा हुआ ही लग रहा था और साइन बोर्ड की भी कमी थी। देसी जी पी एस याने ऑटो वाले से पूछना ही पड़ा ! किला और महल एक ही परिसर में थे लेकिन अब अलग अलग हो गए हैं और दोनों के दरवाज़े फासले पर हैं। अगर आप भरतपुर या मथुरा में हों तो एक बार जरूर देखें। 

कुछ फ़ोटो प्रस्तुत हैं :  


9. जल महल का एक भाग नन्द भवन जिसके खम्बों पर चित्रकारी की गई है 

10. काफी चित्र अब भी अच्छी हालत में हैं 

11. नन्द भवन। ये है अखाड़ा जहाँ कुश्तियां हुआ करती थी 

12. नन्द भवन का एक दृश्य 

13. केशव भवन मानसून मंडप  


14. संग्रहालय में रखा पुराना वाटर कूलर। दो आदमी मिलकर पिछला पहिया घुमाते थे और पानी की बौछार के साथ हवा आती थी ! 


15. गोपाल भवन संग्रहालय। पानी के सभी सरोवर आपस में जुड़े हुए थे ताकि ठंडक रहे 

16. सुन्दर बारादरी। नक्काशीदार खम्बे, झरोखे,  मेहराब और दीवारों में आले  

17.  जलमहल का भादों भवन। इस  भाग में नीचे नहर है। पानी के बहाव को और महल के सभी फव्वारों को आपस में जोड़ा गया था  

18. सूरज भवन 


19. नूरजहां का झूला  

20. बेहतरीन जाली का काम - बीच वाली जाली लकड़ी की है और आजू बाजू संगमरमर की। हमें पहचानना मुश्किल हो गया की कौन सी जाली लकड़ी की बनी है 

21. महाराजा की बैठक 

22. सीढ़ियों में रोशनदान 

23. महाराजा के पी ए का दफ्तर 

24. यूरोपियन मेहमानों के लिए डाइनिंग टेबल 

25. देसी डाइनिंग टेबल जिसके इर्दगिर्द चौकड़ी मार के शाही परिवार खाना खाता था 

26. हाथी का पाँव जिसे लेप लगा कर संभाल कर रखा गया है। महाराजा के इस हाथी ने दुश्मन के किले का बड़ा दरवाज़ा तोड़ दिया था पर चोटों के कारण खुद शहीद हो गया। हाथी के चारों पैर महल में अब भी एहतियात से रखे हुए हैं 

27. काले पत्थर की गुसल चौकी। युद्ध जितने के बाद महाराजा ने दिल्ली और आगरा के किलों से बहुत सा सामान उठवा लिया था जिसमें ये चौकी भी शामिल थी। बाद में पता लगा की यह शाही खानदान के किसी व्यक्ति की मौत पर उसे अंतिम गुसल या स्नान कराने के काम आती थी। इसे महल के बाहर कर दिया गया। अब ये म्यूजियम में है 
28. महाराज का बेड रूम। पलंग का साइज 12 फुट x 8 फुट !

29. डीग महल का मुख्य द्वार जहाँ से टिकट भी लेना होगा 




3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2024/12/blog-post_7.html

Anonymous said...

सुन्दर फोटो सजीव विवरण
पूरा ज्ञान वर्धक.

Harsh Wardhan Jog said...

Dhanyvad