रणथम्भोर का किला एक विश्व धरोहर है( World Heritage Site ) और राजस्थान का महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है. यह किला सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से 13 किमी दूर है. किला एक पहाड़ी पर है जिसका नाम थम्ब है और नीचे घाटी में छोटी पहाड़ी है रण. इसलिए इसका नाम रण-स्तम्भ-पुरा पड़ा था जो कालांतर में रणथम्भोर हो गया है.
किले में प्रवेश के लिए पांच दरवाज़े, गेट या पोल थे: गणेश पोल, हाथी पोल, सूरज पोल, नौलखा दरवाज़ा और तोरण या अँधेरी दरवाज़ा। जोगी महल, बादल महल, हमीर महल, जयसिंह की छतरी, पद्मा तालाब, त्रिनेत्र गणेश मंदिर आदि देखने लायक हैं.
थम्ब पहाड़ी के चारों ओर गहरी खाइयां हैं जिनमें पानी भरा रहता है. इसलिए इस किले को युद्ध में जितना आसान नहीं था. इस किले की लम्बे समय की घेराबंदी करना ही कामयाब रणनीति थी. इसीलिए यहाँ घेराबंदी कई बार हुई.
इतिहासकार इसे पांचवीं शताब्दी के राजा जयंत का बनाया हुआ मानते हैं. ये किला दिल्ली, मालवा और मेवाड़ के बीच में है और इस कारण इस किले ने बहुत से युद्ध और घेराबंदी देखी हैं. यहाँ चौहान, राणा, खिलजी, बलबन और कछवाहा राजाओं ने राज किया है. आज़ादी से पहले किला जयपुर के राजा के आधीन था.
यह किला चारों ओर जंगल से घिरा हुआ है जिसमें रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान है जो 1334 वर्ग किमी में फैला हुआ है. वहां 'जंगल सफारी' की जा सकती है. हो सकता है की आपको बाघ नज़र आ जाए हालांकि हमारी सफारी में बाघ से मुलाकात नहीं हुई.
एक और दिलचस्प बात है कि रणथम्भोर किले के नाम पर रणथम्भोर व्हिस्की भी है जो रेडिको-खैतान कंपनी बनाती है. इस व्हिस्की की बोतल की कीमत अलग अलग प्रदेशों 1500 से 2700 रूपए तक है. आप किला भी घूमें और सुरूर भी लें! 😍
त्रिनेत्र गणेश मंदिर की यहाँ बहुत मान्यता है और बताया गया की साल भर में 60-70 लाख लोग दर्शन के लिए आते हैं. आप गाड़ी ला सकते हैं. पर पार्किंग करने में और पार्किंग से निकलने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है. पार्किंग के अलावा गाइड और और अंदर जाने के लिए टिकट है. कड़ी चढ़ाई है, रेस्तरां नहीं है और दोपहर की धूप तीखी है. सब कुछ देखने में दो से चार घंटे लग सकते हैं. अपना ख़याल रखें। कुछ फोटो प्रस्तुत हैं:
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बुर्ज, पानी से भरी खाई हुए और पीछे पहाड़ियां |
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बड़ी बड़ी दीवारों को बड़े तरीके से चट्टानों से मिला दिया गया है |
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चलते रहो ! |
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इधर भी नज़र डालें |
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राजा सा अर राणी सा |
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बहरूपिया भी यहाँ कुछ कमा लेता है. फिलहाल तो थका हुआ लग रहा है |
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रणमल महावत का सिर. गाइड ने बताया कि एक युद्ध में रणथम्भोर के राजा जीत रहे थे परन्तु रणमल महावत ने महल में सूचना दी की राजा सा हार गए हैं. महल में कोहराम मच गया. तब तक राजा सा आ गए और पूरी बात सुनने के बाद महावत का सिर कलम कर दिया। इस गद्दार की मूर्ति को यहाँ पत्थर मारने और गाली देने के लिए लगाया गया है |
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किला भारी पत्थरों से बनाया गया है और बहुत मजबूत है |
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चारों तरफ ऊँची मजबूत दीवारें और ऊँचे बुर्ज हैं |
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किला बहुत लोकप्रिय है और छुट्टियों में बहुत सैलानी आते हैं |
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किला 700 फ़ीट ऊँची पहाड़ी 'थम्ब' पर बना है |
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किले के गेट तक का रास्ता घुमावदार ही बनाया जाता था ताकि हाथी लम्बी रेस लगा कर लकड़ी का गेट ना तोड़ डाले |
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गेट कितना भी ऊँचा क्यों ना हो नक्काशी जरूर मिलेगी |
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32 खम्बों वाली तिकोनी छतरी |
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तिकोने प्लेटफार्म पर बनी छतरी में 32 खम्बे हैं. केंद्र में तीन गुम्बद हैं. ये 18वीं सदी की रचना है. राजपूत राजाओं का स्मारक छतरी कहलाता है. |
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जैन मंदिर |
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मंदिर के अंदर जाने का रास्ता |
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त्रिनेत्र गणेश |
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अन्नपूर्णा मंदिर ऊँचे प्लेटफार्म पर बना है जिसमें अर्ध मंडप, मंडप और गर्भगृह शामिल हैं. यह मंदिर 1841 में बनाया गया था. इसमें शिवलिंग स्थापित है छत समतल है और शिखर नहीं है. अंदर दीवार पर दो पत्थर के पैनल हैं जिन पर चिड़ियाँ और फूल उकेरित हैं |
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किले के बारे में सूचना |
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ब्लॉग पर पधारने के लिए धन्यवाद |