डीग राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है जिसे अब भरतपुर से हटा कर जिला बना दिया गया है। डीग भरतपुर से 32 किमी और आगरा से 98 किमी की दूरी पर है। इसका प्राचीन पौराणिक नाम दीर्घापुर बताया जाता है। महाराजा बदन सिंह (1722 से 1755 तक राज किया ) के समय डीग भरतपुर राज्य की राजधानी हुआ करती थी। बाद में उनके बेटे महाराजा सूरजमल (जन्म 1707 मृत्यु 1763, बीस साल तक राज किया ) ने भरतपुर को राजधानी बनाया साथ ही डीग में किला और जलमहल बनवाया।
महाराजा सूरजमल बहादुर, दूरदर्शी और धाकड़ राजा थे। उन्होंने 25000 पैदल और 15000 घुड़सवार सेना बनाई हुई थी। उस समय भरतपुर राज्य में मथुरा, मेवात, बुलंदशहर, अलीगढ़, मेरठ, रोहतक आदि का बड़ा इलाका शामिल था। महाराजा ने मुग़ल शासकों के नाक में दम कर दिया था। 1753 में फ़िरोज़ शाह कोटला, दिल्ली और 1761 में आगरे का किला जीता था। 1763 में शाहदरा दिल्ली के पास हिंडन नदी पर महाराजा सूरजमल की नवाब नजीबुद्दौला ने घात लगा कर हत्या कर दी।
डीग किले में एक बहुत ऊँचा और बड़ा निगरानी बुर्ज है जिस पर एक भारी तोप अभी भी रखी हुई है। यहाँ से पूरे शहर का नज़ारा देखने को मिलता है। बताया जाता है की यह तोप आगरा किले से लूट कर (?) लाई गई थी। किले के चारों ओर पानी भरी गहरी और चौड़ी खाई है, ऊँची दीवार है और चारों कोने पर बुर्ज हैं उन पर भी तोपें रखी हुई थी। किले के बारे में कई किंवदंतियाँ सुनी: i ) तोप का वजन एक लाख किलो है इसलिए इसे 'लाखा तोप' कहते हैं, ii) किले की चौतरफा दीवार आठ किमी लम्बी थी, iii ) लाखा तोप का गोला दिल्ली / आगरे के किले पर गिरा था। पर इनकी पुष्टि नहीं हो पाई।
कुछ फोटो प्रस्तुत हैं :
डीगमहल या जलमहल
महाराजा सूरजमल द्वारा बनाया गया डीग जलमहल भरतपुर के अलावा गर्मी की राजधानी थी। इस शहर की शुरुआत 1721 में महाराजा बदन सिंह ने की और उसके बाद समय के साथ ये बढ़ता गया। 1772 में बनाए गए जलमहल में बगीचे, छोटे बड़े सरोवर और सैकड़ों फव्वारे भी बनाए गए जो गर्मी से राहत देते थे। एक सुन्दर रिसोर्ट की तरह है ये परिसर। 1970 तक यह रहने के लिए इस्तेमाल किया गया था अब यह एक स्मारक के रूप में है। ख़ास राजस्थानी शैली में बने इस महल का रख रखाव अच्छी तरह से किया जा रहा है।
सुन्दर बाग़ बगीचों की बीच बने जलमहल में कई इमारतें हैं बारादरी है, म्यूजियम है और सरोवर हैं। जलमहल सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला है और शुक्रवार को बंद रहता है। अंदर जाने के लिए टिकट है पर गाइड नहीं है। अंदर एक म्यूजियम भी है जिसमें राजाओं का पुराना सामान रखा हुआ है। किसी ने बताया की यहाँ 2000 फ़व्वारे हैं तो किसी ने कहा 900 सो अगली बार अगर गए तो गिनती कर लेंगे ! बताया गया की साल में दो बार फव्वारे चलाए जाते हैं।
डीग जैसे छोटे से शहर में इतना सुन्दर महल जिसका रख - रखाव भी सुन्दर है, मिलने की उम्मीद नहीं थी। डीग शहर भी पिछड़ा हुआ ही लग रहा था और साइन बोर्ड की भी कमी थी। देसी जी पी एस याने ऑटो वाले से पूछना ही पड़ा ! किला और महल एक ही परिसर में थे लेकिन अब अलग अलग हो गए हैं और दोनों के दरवाज़े फासले पर हैं। अगर आप भरतपुर या मथुरा में हों तो एक बार जरूर देखें।
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