बूंदी से कुछ ही दूर सुख महल है. ये छोटा सा महल या शिकारगाह जैत सागर झील के किनारे है जिसे राजा विष्णु सिंह ने 1776 में बनवाया था. बूंदी राज्य के दीवान और वास्तुविद सुखराम की देख रेख में महल बनवाया गया था इसलिए इसका नाम सुख महल रख दिया गया. सुन्दर, शांत और मनोरम जगह है ये. आस पास के घने जंगल में शिकार करने शाही परिवार आया करता था. ऑटो वाला लगभग बीस मिनट में पहुंचा देगा और कार में कुछ ज्यादा समय लगेगा।
सुख महल की प्रसिद्धि का एक और कारण रुडयार्ड किपलिंग भी हैं. रुडयार्ड किपलिंग ( 1865 - 1936 ) ब्रिटिश लेखक, कवि, लघु कथाकार और पत्रकार थे और इस सुख महल में 1899 में दो दिन रहे थे. किपलिंग का जन्म मुंबई में हुआ था और पढ़ाई लिखाई इंग्लैंड में. उनकी लघु कथाएं काफी लोकप्रिय हुईं थीं और 'जंगल बुक' उनकी लोकप्रिय पुस्तक है. वाल्ट डिसने ने इस किताब पर फिल्म भी बनाईं वो भी खूब पसंद की गई. कुछ लोगों का ख्याल है की यहाँ किपलिंग ने 'जंगल बुक' लिखी और कुछ का कहना है की यहाँ 'किम' लिखी जिस पर बाद में हॉलीवुड में फिल्म भी बनी. बहरहाल किपलिंग को यहाँ सुख महल में राजा रजवाड़ों और शिकार के बारे में काफी किस्से कहानियां सुनने को मिली होंगी।
सुख महल परिसर में एक संग्रहालय भी बनाया गया है जिसमें बूंदी और आस पास से मिली मूर्तियाँ और हथियार औज़ार भी रखे गए हैं. ज्यादातर वस्तुएं दसवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी से सम्बंधित हैं. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:
1. सुख महल का शानदार नज़ारा। मन को शांति और ठंडक देने वाला |
2. ये झील तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है जिन पर घने जंगल हैं इसलिए ये राजा सा की शिकारगाह भी थी |
3. झील में कमल के पौधों की भरमार है. ऋतु आने पर एक साथ खिलते होंगे तो और भी अच्छा लगता होगा |
4. सुख महल |
5. सुख महल |
6. सुख महल |
7. सुख महल के बगीचे में बनी सुन्दर बारादरी |
8. गणेश नृत्य करते हुए. नीचे पैरों के पास संगीतकार भी हैं - दसवीं शताब्दी |
9. इन्द्र अपनी पत्नी के साथ - बारहवीं शताब्दी |
10. सप्त मातृका पैनल का टुटा हुआ भाग - बारहवीं शताब्दी |
11. प्रेमी युगल और राजा रानियों की मूर्तियां - दसवीं शताब्दी |
12. पुरानी पिस्तौल |
13. ढाल और छोटे हथियार |
14. जैत सागर में नागरी शैली में बना मंदिर |
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