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Saturday, 26 February 2022

सेवा भाव

शनिवार की छुट्टी आ गई थी और रविवार को तो होती ही है इसलिए नरूला जी बहुत रिलैक्स थे. सुबह बैंक के लिए तैयार हुए तो बैग भी पैक कर लिया. बैंक जाते हुए रास्ते में मोटरसाइकिल की टंकी फुल करा ली हवा भी चेक करा ली. बैंक पहुँच कर हाजिरी लगाई और ब्रांच के सेकंड मैन के कान में फूंक मार दी,
- मिश्रा जी संभाल लेना जल्दी निकल लूँगा और सोमवार सुबह टाइम से पहुँच जाऊँगा. ठीक है ना?
- बिलकुल सर बिलकुल. चिंता-ई मत करो सर. भाभी जी को नमस्ते कहना.
- ओके ओके!

नरूला जी यहाँ झुमरी तलैय्या ब्रांच में प्रमोशन होने के बाद आए हैं. यहाँ अकेले ही रहते हैं और मौका मिलते ही फटफटिया घर की तरफ दौड़ा देते हैं. मात्र अस्सी किमी की तो बात है. घर की तरफ जाते वक़्त नरूला जी की फटफटिया हवा से बातें करती है. हरे भरे खेतों के बीच में से नागिन की तरह बल खाती काली सड़क पर फटफट चलाने में बहुत मज़ा आता है. कालर फड़फड़ाते हैं और कोई ना कोई गाना याद आ जाता है. नरूला जी अनाड़ी सिंगर की तरह गुनगुनाते हुए जाते हैं. कभी ढाई, कभी तीन घंटे में फटफटिया पप्पू की मम्मी के सामने खड़ी कर देते हैं. पप्पू की मम्मी कभी नरम और कभी गरमजोशी से स्वागत करती है.  इस तरह के स्वागत में 'शर्तें लागू हैं' शामिल रहता है,
- आ गए! लो पानी. भूख लगी होगी? क्या खाओगे? चाय पियोगे? या पहले पेग लगाना है? और मैले कपड़ों की गठरी? लाओ धोबन बैठी है न तुम्हारी सेवा में! पप्पू के लिए कुछ लाए?

बहरहाल नरूला साब फ़टाफ़ट काम निपटाते जा रहे थे. आज चार बजे निकलने का टारगेट था इसलिए स्पीड जरूरी थी. तभी फ़ोन की घंटी बजी,
- हाँ नरूला जी रीजनल ऑफिस से त्यागी बोल रहा हूँ. एक जरूरी काम था.
- हाँ हाँ त्यागी जी बताइये( आज घर जाना है टोक मत देना !).
- कल गोयल साब की मैडम अकेली घर जा रही हैं और रास्ते में आपकी ब्रांच पहले पड़ती है. 
- अरररे यार मैं तो आज शाम घर जा रहा था. बाइक पर बैग बंधा हुआ है!  
- ओहो तो अब सुबह गाड़ी में जाना ना मेम साब के साथ!
- यार त्यागी जी आपको कोई और नहीं मिला?
- नरूला जी जरा लोक सेवा भी किया करो ना. अपनी पड़ोसन को स्टेशन छोड़ने जाना पड़े तो नहीं जाओगे? ये तो बॉस की भी बॉस हैं! सेवा करो और मेवा पाओ हाहाहा! कल को प्रमोशन लेनी है की नहीं? 
- अभी प्रमोशन को दो साल पड़े हैं.
- अरे नरूला जी गुडविल बड़ी काम आती है. मेमसाब ने साब के सामने तारीफ़ कर दी तो बस पौ बारह समझो. जब यहाँ से चलेंगी तो आपको रिंग कर दूंगा. बस साढ़े आठ के करीब तैयार रहना. बाय.

नरूला जी का मूड ऑफ हो गया. रीजनल मैनेजर गोयल सा का सांवला, टकला चेहरा याद आ गया. कमबख्त ट्रान्सफर की बात करो तो सुनता नहीं है. वैसे बियर पिलाओ तो टकला बड़े शौक से पीता है. पर फिर नरूला जी काम में व्यस्त हो गए. थोड़ी देर बाद फिर घंटी बज उठी,  
- त्यागी बोल रहा हूँ. ऐसा है मेमसाब सुबह आठ बजे निकलेंगी. बीस मिनट में पहुँच जाएँगी फिर भी मैं चलते वक़्त फोन कर दूंगा. जो तुम्हारे यहाँ झुमरी में दिलरुबा कैफ़े है ना वहीँ मिलना. ड्राईवर को पता है वो मैडम को वहीँ ले जाएगा. देखो ऐसा ना हो वो पहले पहुँच जाए और इंतज़ार करें. आप पहले पहुंचना ठीक है ना? नाश्ते का आर्डर भी नोट कर लो. देखो चार ब्रेड स्लाइस अच्छी तरह से सिके हुए, मक्खन अलग से और एक अंडा हाफ-फ्राई.
- हूँ 
- हूँ क्या नरूला जी अगर सही मक्खन लग गया तो बस समझो की गोयल साब को भी लग गया हाहाहा.
- और कुछ?
- और कॉफ़ी. अगर एस्प्रेसो मिल जाए तो बढ़िया नहीं तो वेटर को बोल देना कड़क कॉफ़ी. ठीक है ना?
- और कुछ?
- और कुछ क्या? अब आप गुलदस्ता देना चाहो, सिल्क की साड़ी देना चाहो या सोने की चेन वो आपकी मर्ज़ी है. कोई रुकावट नहीं है हाहाहा!
- हुंह!
- बिल आपने ही देना है वो मत भूल जाना हाहाहा.
- और कुछ?
- और गुड लक! 
 
इस बॉस ने और इसके चमचे त्यागी ने दिन का चैन और रात की नींद खराब कर दी. दिन तो खैर बैंक के नाम था पर रात पप्पू और पप्पू की मम्मी के नाम थी जिसका अफ़सोस हो रहा है. अगले दिन सुबह आठ बजे नरूला जी ने फटफटिया स्टार्ट की और दिलरुबा कैफ़े के आगे पार्क कर दी. कैफ़े के अन्दर ऐसे टेबल पर बैठे की दरवाज़े पर नज़र रहे. अनमने से बैठे बैठे फोन का इंतज़ार करने लगे. वेटर आया तो उसको सारी स्थिति समझा कर आर्डर दे दिया. तीन चार बार बाहर भी चक्कर लगा दिए पर चारों ओर शांति थी. साढ़े आठ बजे त्यागी का फ़ोन आया.
- बस अभी निकलीं हैं मैडम. अच्छा साथ में साब भी आ रहे हैं.
- हुंह?
- हाँ. और साब नाश्ते में आलू परांठा लेंगे साथ में दही, अचार और चाय. वो कॉफ़ी नहीं पीते. 
- अच्छा किया बता दिया. गन्ने चूसते हैं तो रखवा दूँ गाड़ी में?  
- अरे नरूला जी आपका सेवा भाव जाग गया है लगता. गन्ने, गुड़, चीनी सब रखवा दो हाहाहा!

नरूला जी ने ठंडी साँस भरी-आज का दिन टकले बॉस के नाम रहेगा पप्पू बेटा.

कैफ़े दिलरुबा 

 

7 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2022/02/blog-post_26.html

A.K.SAXENA said...

Bahut majedar hai aapka yeh lekh. Ganne chooste hon to woh bhi rakhva dun, man ki khij darshata hai.😂

Gulshan Hemnani said...

Very nicely presented.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सक्सेना जी.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद गुलशन!

ASHOK KUMAR GANDHI said...

Good

Anonymous said...

लंबे समय बाद गोल सा और मनोहर से मिलकर तबियत खुश हो गई।