Pages

Saturday 29 June 2019

सुंदर जोड़ी

चंद्रा साब ने गौर से अपना चौखटा शीशे में देखा. ओफ्फो मूंछ सही तरीके से काली नहीं हुई. एक बार फिर काली स्याही का ब्रश लगाया तो तसल्ली हुई. अब ठीक है. सर पर गिनती के बाल बचे हुए थे जिन्हें चंद्रा साब पहले ही काले कर चुके थे. अब रह गई परफ्यूम जो उन्होंने बाहर निकाल कर टेबल पर रख ली. चलते हुए इसे फुस फुस कर लेंगें.

चंद्रा साब याद करने लगे कि जवानी में मूंछे और बाल रंगने का झंझट नहीं था. और जब चंद्रा साब अपनी फट-फटिया पर चलते थे तो घनी काली जुल्फें लहराया करती और जब शर्ट का कालर फड़ फड़ करता था तो मोटरसाइकिल के पैसे वसूल हो जाते थे. कभी कभी जब जी.एफ़. पीछे बैठती थी तो उस पर भी गजब का जादू चल जाता था. उन दिनों चंद्रा साब साब नहीं थे बस चंद्रू थे. पर यार अब कार में तो वो फीलिंग ही नहीं आती. अब तो कई सालों से बैंक का ड्राईवर गाड़ी चला रहा है और चंद्रा साब पिछली सीट पर बैठ रहे हैं तो वो मज़ा नहीं रहा. अब तो बियर पी पी के टंकी भी बड़ी हो गई है और पतलून भी कमबख्त खिसकती रहती है.

साब ने दाएं बाएँ फुस फुस फेंकी, गाल पर आफ्टर शेव थपथपाया और दरवाज़े की तरफ आवाज़ लगा दी,
-  मैं तो तैयार हूँ.!
- सुन लिया सुन लिया.
आधे घंटे बाद सजी धजी जोड़ी चल पड़ी पार्टी में. मिसेज़ चंद्रा ने बढ़िया सी हलके हरे रंग की साड़ी बड़ी सलीके से पहनी हुई थी. वो अच्छी अच्छी चीज़ों की शौक़ीन हैं - अच्छी साड़ी, अच्छी परफ्यूम, अच्छे जेवर वगैरा. और अपनी फिगर का भी बड़ा ध्यान रखती हैं. शुरू में जब दोनों की जोड़ी बनी थी तो सुंदर जोड़ियों में गिनती हुआ  करती थी. पर फिर चंद्रा साब प्रमोशन लेते गए नए नए शहरों में पोस्ट होते गए. कई बार अकेले भी रहना पड़ा. बस वहीँ से पीने खाने का चस्का लग गया. धीरे धीरे चंद्रा साब गोल मटोल हो गए और जोड़ी थोड़ी सी बेमेल हो गई. खैर अब तो हमारे जनरल मैनेजर साब रिटायर होने वाले हैं.

हॉल में अंदर घुसते ही दोनों का स्वागत हुआ. हेलो, नमस्ते और गुड इवनिंग के बाद श्रीमती चंद्रा दूसरी श्रीमतियों से बतियाने लगी. साड़ियाँ, हेयर स्टाइल और बच्चों का हाल चाल बयान हुआ. कौन अमरीका गया और और कौन मॉरिशस और वहां से क्या क्या लाया इस पर नोट्स एक्सचेंज हुए. किसके लड़के आगे निकल रहे हैं वो भी नोट किया गया. आखिर श्रीमतियों को बेटियों के भविष्य का ज्यादा ख्याल रहता है ना.

उधर चंद्रा साब ने हाल में नज़र घुमाई. एक कोने में प्याऊ लगा हुआ था और वहां काफी लोग गिलास हाथ में लिए खड़े बतिया भी रहे थे. चंद्रा साब आश्वस्त हो गए कि आज की शाम सही गुजरेगी. अभी उधर जाने की सोच ही रहे थे कि जगतियानी ने कंधा थपथपाया,
- सर के दर्शन ही नहीं हो रहे हैं आजकल?
- मैं भी यही सोच रहा हूँ की जगतियानी कहाँ है मिला नहीं बहुत दिनों से!
- हा हा हा बहुत खूब चंद्रा साब. आइये कौन सा बनाऊं आपके लिए? सोडा और पानी तो फिफ्टी फिफ्टी है ना जी! ऐसी कोई बात नहीं मुझे याद है जी चंद्रा साब. ये लीजिये सर.
- जगतियानी व्हाट इस कुकिंग?
- सर एक प्रोजेक्ट लगवा रहा हूँ. एक एकड़ जमीन फाइनल हो गई है, बयाना हो गया है. 143 के लिए अप्लाई कर दिया है. ठेकेदार से बिल्डिंग की बात हो गई है 32 cr का प्रोजेक्ट है.
- ये तो बताओ किस चीज़ की यूनिट है?
- ये हुई ना असली बैंकर की बात चंद्रा साब. फट नब्ज़ पकड़ ली. सर दवाइयां बनानी हैं.
- भाई पोल्लूशन का बड़ा लफड़ा रहता है उसमें तो?
- सर ये बन्दे की दूसरी यूनिट है. पूरा जानकार है. साथ में सर जमीन से करीबन 700 गज पर बरसाती नाला है, बस छुट्टी कोई ऐसी बात नहीं सर!
- लंबा प्रोजेक्ट है तब तक तो मैं रिटायर हो जाउंगा भई.
- अरे सर आपने तो जगतियानी से पहले भी डील करा है. पूरा पूरा ख्याल रखता हूँ चंद्रा साब. ऐसी कोई बात नहीं सर जी. आप तो सिर्फ इन प्रिंसिपल सेंकशन करा दो बस आपको रिटायरमेंट पार्टी के बाद नई गाड़ी में घर छुड़वाऊंगा सर ऐसी कोई बात ही नहीं.
- हूँ ! अच्छा एक लार्ज बनाओ.
- लो सर लो सर ऐसी कोई बात नहीं जी.
मेहता जी भी आ गए और बोले,
- चंद्रा साब सुधर जाओ आपकी टम्मी कहाँ जा रही है?
- ओ ठीक है ना यार
- जैसी मर्ज़ी आपकी. भाभी से मिलकर आ रहा हूँ. कोई मोटापा नहीं. अपना ध्यान रखती हैं और आप हो की मानते नहीं. जनाब की मर्ज़ी!
- छोड़ ना यार.
चंद्रा साब का मूड ऑफ हो गया. एक लार्ज और गटक गए खाना खाया और पत्नी को खोजने लगे. मिली तो लाल आँखें दिखा कर बोले,
- चलो!
- आई जी.

मिसेज़ चंद्रा ने चलने से पहले अपनी सहेली से कहा की पार्टी में आये तो बड़े शौक से थे पर अब जाने क्यूँ मूड ऑफ हो गया है?
पार्टी की तैयारी 


      

3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

http://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/06/blog-post_29.html

राजेश ढांडा said...

किस्सा बढ़िया है

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद राजेश ढांडा !