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Friday, 3 November 2017

नवम्बर का नमस्कार

पेंशन लेने वालों के लिए नवम्बर का महीना बड़े काम का महीना है जी. पेंशनर को पेंशन देने वालों को बताना पड़ता है कि हे अन्नदाता मैं हूँ और मैं ज़िंदा हूँ इसलिए हे पेंशनदाता म्हारी पेंशन जारी राखियो ! हे पेंशनदाता मैं लिख कर दे रहा हूँ :

मैं जिंदा हूँ म्हारी नमस्कार स्वीकार कर लीजो !
रजिस्टर में म्हारे नाम की हाज़री लगा दीजो !!

फारम भर दियो है और जी अंगूठा लगा दियो है !
पेंशन म्हारी इब पहली दिसम्बर को क्रेडिट कर दीजो !!

बात ये है जी कि कॉलेज की पढ़ाई ख़तम करने के बाद जब बैंक ज्वाइन किया तो कमर पतली थी, बाल काले थे और दांत पूरे थे. और भागम भाग में जवानी फुर्र हो गई और साठ साल पूरे हो गए. रिटायर होने तक अपने बैंक की सेवा की. जब बैंक से रिटायर होकर बाहर निकले तो बाल सफ़ेद थे, दांत बत्तीस में से पच्चीस बाकी थे और आँख पर मोटा चश्मा था. पर अब इतनी सेवा की तो मेवा भी तो मिलना ही चाहिए क्यों जी?

काले बाल गए और गए सफ़ेद दांत खाते में इब म्हारी फोटू बदल दीजो !
इब चश्में का नंबर छोड़ो बस ओरिजिनल नाम ही साबुत बच्या लीजो !!

जवानी तो हर ली है तैने पेंशनदाता, इब बुढ़ापे का चैन मत हर लीजो !
इब रोटी ना चबती बचे हुए दांतों से, एकाधी बियर की किरपा कर दीजो !!


पेंशन आई टेंशन गई 


5 comments:

Unknown said...

Very good bhaiji

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you. Please complete your profile so that i know whom i am thanking to.

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/11/blog-post.html

ASHOK KUMAR GANDHI said...

Good

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you Gandhi ji