बैंक की एक छोटी सी ब्रांच है जी म्हारे गाँव में और गाँव का नाम है जी घोपला. ना जी नाम घपला ना है घोपला है जी. भगवान भली करे गांव के नाम तो नूं ही होते हैं जैसे की घोपले से पांच चार मील आगे है जी कंकर खेड़ा और उसते भी आगे है जी कसेरू खेड़ा.
बैंक जो है ना शहर से ज्यादा दूर भी ना है और आने जाने के लिए सवारी भौत मिलती हैं जी. इसलिए तो ब्रांच में लेडिज पोस्टिंग करा लेती हैं. भला हो जी सबका सुनीता मैडम यहाँ अफसर बन कर आई, सरला मैडम आई और सुधा मैडम आई पर ज़रा भी दिक्कत ना हुई जी. सरोज बाला तो वापिस दिल्ली चली गई. और जी नीना मैडम भी चली गई. देखो जी पांच बजे छुट्टी की और चालीस मिनट में घर. बस जी ये ई बात लेडीज पसन्द करें.
नए मनीजर साब आये हैं जी डूटी पर दिल्ली से. पहले दिन तो टाई लगाई पर अगले दिन ही उतर गई. आप जानो गाँव का मामला है कभी बिजली आवे है कभी जावे है. टाई में गर्मी लागे है. और नए साब अंग्रेजी ज्यादा बोलें वो भी कल परसों उतर जावगी जी. गाँव के मानस तो गाँव की बोली ही बोलें गिटपिट अंग्रेजी ना बोलते.
अब बैंक है तो हर तरह का गाहक आवे है जी. महिना सुरु हुआ और भीड़ लगी. बस बारह पन्द्रा दिन मेला सा लागे है जी. फेर भीड़ छंट जावे है. पेंसन का काम ज्यादा है जी. भगवान सब का भला करे पेंसन का बड़ा सहारा है जी. बूढ़ा बूढ़ी पेंसन में गुजर कर लें है जी बालकां के आगे हाथ फैलाना मुस्किल काम है जी. पेंसन वाले बैंक के एटीएम मसीन से पैसा ना ले पाते. पर कई मानस बालकां को कार्ड दे के निकलवा लें जी. पर हर कोई ना करा पाता. अब लछमी चाची तो बिस्वास ही ना करे पोते पोतियों पर. घर में, पूरे गाँव में और बैंक में घुसते ही सोर मचा देवे है नूं बोले,
- मनीजर साब ध्यान राखियो मेरे खाते से कोई पैसे ना काढ ले हाँ. देख लियो हाँ. पुलिस बुला लूंगी ना तो यहीं बैंक में जान दे दूंगी.
- नहीं जी हम आपके खाते से दूसरे को पैसे क्यूँ देंगे? आपको ही देंगे. शान्ति रखो ज़रा. ये बैंक है लोग काम कर रहे हैं. बहुत शोर मचाती हो आप. ज़रा सरोज बाला के पास ले जाओ इन्हें और पेमेंट दिलवा दो.
- लछमी का खाता लछमी की पेंसन अर तू दूसरे को देगा तो सोर नहीं मचाउंगी? कहाँ है तेरी सरोज बाला? मेरे पांच सौ दिलवा दे बस.
लछमी का हाथ पकड़ कर सरोज बाला के काउंटर पर पहुंचा दिया. लछमी बोली,
- ऐ सरोज मन्ने पांच सौ दे दे.
- पास बुक दो और फॉर्म पर अंगूठा लगाओ तभी तो मिलेंगे पैसे.
- ये ले कापी अर ये ले फारम. बता कहां लगाऊं गूठा?
- अरे ताई हर महीने पेंशन लेने आती हो फिर भी पूछती हो अंगूठा कहाँ लगाऊं?
- तूने मुझे ताई कह दी? अरे जवान हूँ तेरी चाची लागूं कसम से. तूने ताई बना दी. पागल है क्या तू ?
- अच्छा अच्छा चाची शोर ना करो. लो अंगूठा लगाओ यहाँ और यहाँ. ये पकड़ लो पांच सौ और गिन लो.
- गिन लूंगी गिन लूंगी. जवान औरत हूँ अर तैने ताई बता दिया. मैं बूढ़ी लागूं के? हैं? जाके सरपंच ते शिकायत करूँ तेरी अर पुलिस भी बुलाऊँ तेरे लिए. बताओ मन्ने ताई कह दी?
- चाची नोट संभाल लो और घर जाओ.
सारी ब्रांच में लछमी ताई ने सोर मचा दिया के मन्ने ताई क्यूँ कहा. मनीजर साब ने चाय पिला के मुस्किल से लछमी को बिदा किया. अगले महीने फेर लछमी पेंसन लेन आ गई. सीधा मनीजर साब के केबिन में घुस के बोली,
- मनीजर साब ध्यान राखियो मेरे खाते से कोई पैसे ना काढ ले हाँ. देख लियो हाँ. पुलिस बुला लूंगी ना तो यहीं बैंक में जान दे दूंगी.
- ना जी ना किसी और को पैसे नहीं मिलेंगे केवल आप ही को देंगे. जाओ सरोज बाला से ले लो.
- वो वाली जो मन्ने ताई बोले? आज ना छोडूं उसे. जे आज उसने ताई कहा तो बाल ना बचने दूँ एक. भरी जवानी में ताई कह दी. पुलिस बुला लूंगी अर सरपंच भी बुला लुंगी. आज ना छोडूं कतई.
भगवान भली करे तब तक लछमी चाची की आवाज़ सरोज बाला के कान पड़गी और जी नूं बोली,
- अरे सुनो इस लछमी को साब के केबिन में ही ये पांच सौ दे दो. मैं यहाँ काउंटर के नीचे बैठी हूँ. हे भगवान रक्षा करना ये तो पीछे पड़ गई!
भगवान भली करे जी अब सुन लो साब नूं कहूं के जब तक लछमी चाची बैंक के गेट के बाहर ना हुई तब तक सरोज बाला भी काउंटर के निच्चे से ना हटी!
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लछमी की गाड़ी |