समुद्र मंथन के बाद अमृत का घड़ा लेकर गरुड़ ने देवलोक की ओर उड़ान भरी तो अमृत की कुछ बूँदें छलक कर हरिद्वार, उज्जैन, प्रयाग और नासिक में गिरीं. इससे हरिद्वार की मान्यता जानी जा सकती है. शिवालिक पहाड़ियों और गंगा तट के बीच बसा तीर्थ हरिद्वार, दिल्ली से 225 किमी दूर है. समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 250 मीटर है. यहाँ का तापमान मौसम के अनुसार 5 से 40 डिग्री तक जा सकता है. सितम्बर से अप्रैल तक घूमने के लिए अच्छा मौसम है. हर तरह की धर्मशालाएं और होटल यहाँ उपलब्ध हैं. तीर्थ होने के कारण बारहों महीनें यात्रियों का आना जाना लगा रहता है.
गंगा अपने उद्गम स्थल गंगोत्री से शुरू होती है और लगभग 250 किमी की पहाड़ी यात्रा करके हरिद्वार पहुँचती है. यहाँ से गंगा की मैदानी यात्रा शुरू हो जाती है. इसीलिए हरिद्वार का एक और नाम है गंगाद्वार. पुराने समय में यहाँ कपिल ऋषि ने तपस्या की थी इसलिए हरिद्वार को कपिलस्थान भी कहा गया है. एक और नाम मायापुरी भी पुराने समय में प्रचलित रहा है.
हरिद्वार के नाम की एक और रोचक जानकारी मिली कि हर हर महादेव याने शिव भक्त इसे हरद्वार कहते हैं. जबकि हरि याने विष्णु भक्त इस स्थान को हरिद्वार कहते हैं.
उत्तराखंड के चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा का द्वार हरिद्वार ही है. हरिद्वार का सबसे पवित्र और प्रसिद्द घाट है हर की पौड़ी( या हर की पैड़ी ). कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तहरी ने यहाँ गंगा तट पर तपस्या की थी. राजा विक्रमादित्य ने उनकी याद में ईसा पूर्व पहली शताब्दी में ये घाट बनवाया था जो कालान्तर में हर की पौड़ी कहलाया.
हर की पौड़ी पर 24 घंटे मेला ही लगा रहता है. मुंडन भी यहीं है, पूजा पाठ भी और अस्थि विसर्जन भी और गंगा सब कुछ समेट लेती है. कुछ के लिए यह तीर्थ है और कुछ के लिए जीविका का स्थान. पण्डे, बहरूपिये, भीख मांगने वाले वगैरा वगैरा यात्रियों पर ही निर्भर हैं.
बहुत से फोटो लिए जिन्हें तीन भागों में प्रकाशित किया जाएगा. तीन में से दूसरा भाग प्रस्तुत हैं.
पहला भाग इस लिंक पर उपलब्ध है :
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/05/13.html
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1. कल कल बहती गंगा सबकी मैल सबके पाप धोने को तैयार |
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2. अस्थि प्रवाह करने वाले बहुत से लोग सोने चांदी का एक आधे ग्राम का टुकड़ा भी प्रवाहित कर देते हैं. ये भैय्या डुबकी मार के उन्हें ढूँढने की कोशिश करते हैं. पापी पेट का सवाल है जी |
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3. क्या लेंगे आप हींग, रुद्राक्ष या जड़ी बूटी ? |
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4. क्यूँ, कैसे, और कहाँ से आया या क्या उम्र है इसने बताया नहीं. पर फोटो खिंचवाने के दस रूपये फीस ली |
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5. बहरूपिया. मंगलवार हो या बुध, हनुमान का रूप रख के ये बहरूपिया इस पुल पर चक्कर काटता रहता है. आपका ध्यान बंटा और इसने झट से लाल तिलक आपके माथे पर लगाया. फिर तो दक्षिणा देनी ही पड़ेगी |
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6. एक और बहरूपिया काली माई के भेष में. पैसे कमाना आसान नहीं है |
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7. गंगा स्नान के बाद कान की सफाई. कान की सफाई और मालिश वाले दर्जन भर घूमते फिरते नज़र आते हैं |
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8. सुबह की मीटिंग बीच बाज़ार में |
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9. 'ये पत्थर हिमालय से ढूंढ के लाये हैं जी हम. स्फटिक भी हैं हमारे पास. आपके हिसाब से चुन कर देंगे किस्मत बदल जाएगी. देखिये तो सही साब जी देखने के पैसे नहीं लेंगे जी' |
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10. ये बालक चुम्बक को 20-25 फुट की डोरी से बाँध कर घाट घाट घूमता रहता है. उम्मीद करता है की कुछ सिक्के चुम्बक में लग कर हाथ आ जाएंगे वर्ना कुछ नट बोल्ट और कीलें तो मिल ही जाती हैं |
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11. पार्किंग में घुसते ही शुरू. काला चश्मा और फैला हाथ देख मन में अस्मंजस हो जाता है की दें या ना दें |
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12. शेर हों या भक्त सब के लिए पूड़ी, छोले-भठूरे |
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13. शिव मूर्ति, गंगा की धारा, गंगा पर पुल और गंगा की मूर्ति |
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14. संध्या |
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