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Sunday, 7 May 2017

थार की सड़कों पर - 2

थार रेगिस्तान का एक बड़ा भाग लगभग 60 % राजस्थान में है और कुछ गुजरात, हरयाणा और पंजाब को भी छूता है. बाकी हिस्सा बॉर्डर के पार है. यह भारत का सबसे बड़ा और विश्व का सातवें नंबर का रेगिस्तान है. बारिश बहुत कम होती है और तापमान सर्दी में 0 डिग्री या उस से भी कम और गर्मी में 50 के ऊपर भी जा सकता है.

पानी कम है इसलिए खेती कम है और इसलिए जनसँख्या भी कम है. सड़क पर मीलों तक कोई दिखाई नहीं पड़ता और गाँव भी बहुत दूर दूर हैं. उत्तर प्रदेश में हर पचास किमी पर शहर आ जाता है. केरल की ड्राइव और भी धीमी है क्यूंकि आबादी के साथ साथ पहाड़ी इलाका भी ज्यादा है. जबकि राजस्थान के इस रेगिस्तानी भाग में 250 - 300 किमी से पहले कोई बड़ी आबादी नहीं मिलती.

थार मरुस्थल के मुख्य शहर हैं झुंझनु, नागौर, बीकानेर, जैसलमेर और जोधपुर. सड़कें ज्यादातर अच्छी हैं और उनकी चौड़ाई बढ़ाई जा रही है. मुख्य हाईवे से अंदर गाँव की ओर जाने वाले रास्ते उतने अच्छे नहीं हैं. अपनी गाड़ी से जाएं तो हवा, तेल, पानी जरूर चेक कर लें. कुछ खाने का सामान और पीने का पानी साथ रखें क्यूंकि ढाबे बहुत दूर दूर मिलेंगे और हो सकता पानी खारा मिले. खाली सड़कों पर स्पीड जल्द ही 100 के पार हो जाती है पर गाय, भेड़, बकरी, नीलगाय और जंगली ऊँटों का ध्यान रखना होगा. जोधपुर और जैसलमेर के आसपास हिरन और चिंकारा भी नज़र आ जाते हैं.

हमने अपनी यात्रा नीचे दिए गए नक़्शे के मुताबिक 11 दिन में पूरी की. फोर्ड ईको डीज़ल गाड़ी इस्तेमाल की और कोई दिक्कत नहीं आई. सड़कों पर साइन बोर्ड काफी हैं और मोबाइल का GPS भी इस्तेमाल किया हालांकि कई जगह मोबाइल के सिग्नल नहीं आते. पूछने पर स्थानीय लोग प्यार से रास्ता और किले वगैरा की जानकारी दे देते हैं. अतिथि देवो भव: लागू है!

नीचे पेश की गई ज्यादातर फोटो चलती गाड़ी में से मोबाइल से ली गई हैं. इनमें कोई समय या विषय का क्रम नहीं है याने random हैं. जहां भी कोई चीज़ अच्छी लगी फोटो खींच ली. उम्मीद है पसंद आएंगी.


गडरिया और उसका विश्राम गृह 

रेत के टीले - sand dunes

थार मरुस्थल के यात्री - दिसम्बर / जनवरी में तेज़ ठंडी हवाएं चलती हैं जिससे दिन में भी गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ती है 

हलकी से बारिश या तेज़ हवा से भी रेत के टीलों की शकल बदल जाती है 

मेरा गाँव मेरा देस - तपते रेत पर बसा एक गाँव.  

पोकरण - जैसलमेर रास्ते पर एक रेस्तरां जहाँ फिरंगी सैलानी भी थे. यहाँ लंच किया तो वेटर ने कहा कि प्लीज़ मेनू कार्ड फिरंगियों को ना दिखाएं रेट पता लग जाएगा! सबको डॉलर चाहिए   

मंडावा, जिला बीकानेर के पास एक मीठे पानी का कुआँ. इस तरह की बुर्जियां कुआँ होने का संकेत है 

लीजिये साब गाँव आ गया जिसका नाम है सोडा 

बहुत कठिन है डगर पनघट की 

पोकरण - भारत का पहला परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को यहीं हुआ. उसके बाद 11 और 13 मई 1998 को पांच और भूमिगत परमाणु परीक्षण यहीं हुए. एक गुमनाम गाँव अब तो विश्वविख्यात हो गया है 

सड़क के दायें बाएं, पहाड़ियों के ऊपर इस तरह के मंदिर जगह जगह मिल जाते हैं 

महिलाएं और बच्चे बस की इंतज़ार में 
जैन साध्वी जैसलमेर - बीकानेर मार्ग पर 

जैन साध्वी 

यात्रा मार्ग लगभग 2000 किमी - दिल्ली > मंडावा > बीकानेर > जैसलमेर(तनोट - लोंगेवाला) > जोधपुर > पुष्कर > दिल्ली 


3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

थार की सड़कों पर - 1
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/02/1.html

Harsh Wardhan Jog said...

थार की सड़कों पर - 2
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/05/2.html

Harsh Wardhan Jog said...

तहत की सड़कों पर - 3
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2019/01/3.html