पिछले दिनों 'नेशनल जियोग्राफिक' में ब्रायन क्लार्क होवार्ड का एक लेख छपा जिसमें कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप हर साल 2.7 इंच आगे खिसकता जा रहा है. 1994 के बाद से ये महाद्वीप 4.9 फीट आगे खिसक चुका है और अब GPS की सेटिंग दोबारा से करनी पड़ रही है.
ये बात तो साहब अपने पल्ले नहीं पड़ी और बड़ी अजीब सी भी लगी. कौन जाने आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की खिसकने की सालाना स्पीड इंचों से बढ़कर फुटों में, फुटों से बढ़कर गजों में, गजों से बढ़कर मीलों में हो जाए ? गजब हो जाएगा ! मान लीजिये दिल्ली से हवाई जहाज़ में बैठें और वहां पहुँच कर जब सिडनी में उतरने लगें तब तक महाद्वीप आगे खिसक जाए ? और पायलट कहे,
ये बात तो साहब अपने पल्ले नहीं पड़ी और बड़ी अजीब सी भी लगी. कौन जाने आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की खिसकने की सालाना स्पीड इंचों से बढ़कर फुटों में, फुटों से बढ़कर गजों में, गजों से बढ़कर मीलों में हो जाए ? गजब हो जाएगा ! मान लीजिये दिल्ली से हवाई जहाज़ में बैठें और वहां पहुँच कर जब सिडनी में उतरने लगें तब तक महाद्वीप आगे खिसक जाए ? और पायलट कहे,
- देवियो और सज्जनों हवाई अड्डा 72 मील आगे खिसक गया है इसलिए कृपया बढ़ा हुआ किराया जमा करा दें ताकि मैं जहाज़ नीचे उतार सकूँ !
अब तो ऑस्ट्रेलिया का दौरा रद्द !
फिर इन्टरनेट में इस विषय पर खोजबीन की तो मजेदार बात पता लगी. धरती की जिस सतह पर हम रह रहे हैं वो लगभग 80 से 100 किमी तक मोटी है. ये सतह एकसार या एकजुट न हो कर ऊँची नीची और टुकड़ों में है जिन्हें टेकटोनिक प्लेट कहते हैं. ये धरती की प्लेटें कभी कभी खिसकती और हिलती भी हैं पर ज्यादातर एक जगह रुकी हुई रहती हैं. बड़ी प्लेटें सात हैं और मध्यम / छोटी 100 से भी ज्यादा. बड़ी प्लेटें हैं :
- अफ़्रीकी प्लेट
- यूरेशिया प्लेट
- उत्तर अमरीकी प्लेट
- दक्षिण अमरीकी प्लेट
फिर इन्टरनेट में इस विषय पर खोजबीन की तो मजेदार बात पता लगी. धरती की जिस सतह पर हम रह रहे हैं वो लगभग 80 से 100 किमी तक मोटी है. ये सतह एकसार या एकजुट न हो कर ऊँची नीची और टुकड़ों में है जिन्हें टेकटोनिक प्लेट कहते हैं. ये धरती की प्लेटें कभी कभी खिसकती और हिलती भी हैं पर ज्यादातर एक जगह रुकी हुई रहती हैं. बड़ी प्लेटें सात हैं और मध्यम / छोटी 100 से भी ज्यादा. बड़ी प्लेटें हैं :
- अफ़्रीकी प्लेट
- यूरेशिया प्लेट
- उत्तर अमरीकी प्लेट
- दक्षिण अमरीकी प्लेट
- प्रशांत प्लेट,
- हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट
- अंटार्कटिक प्लेट
- अंटार्कटिक प्लेट
अब तक तो नाश्ते के लिए स्टील की प्लेट, कांच की प्लेट, पेपर प्लेट और चीनी मिट्टी की प्लेटें ही सुनी थी पर ये तो ज्यादा ही बड़ी निकलीं !
और ये सभी टेकटोनिक प्लेटें हिलती हैं तो हिला देती हैं याने भूचाल आ जाता है. और टकराती हैं तो पर्वत बन जाते हैं. विकिपीडिया से लिए गए निचले चित्र में देखिये भारतीय प्लेट को जो चलते चलते यूरेशिया प्लेट से टकराई चली जा रही है और हिमालय उठता जा रहा है ! हालांकि ये टकराव अंदाज़न सात करोड़ दस लाख साल में हुआ है !
अब तो ऑस्ट्रेलिया के आने का इंतज़ार है. हो सकता है आस्ट्रेलिया प्लेट की स्पीड जल्दी ही बढ़ जाए और क्या जाने किसी दिन ये आस्ट्रेलिया अपने कंगारूओं के साथ कन्याकुमारी के सामने लंगर डाल दे ! घूमना आसान हो जाएगा.
ब्रायन क्लार्क हॉर्वर्ड का लेख इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है : Australia Is Drifting So Fast GPS Can't Keep Up http://on.natgeo.com/2cNDesy via @NatGeo
और ये सभी टेकटोनिक प्लेटें हिलती हैं तो हिला देती हैं याने भूचाल आ जाता है. और टकराती हैं तो पर्वत बन जाते हैं. विकिपीडिया से लिए गए निचले चित्र में देखिये भारतीय प्लेट को जो चलते चलते यूरेशिया प्लेट से टकराई चली जा रही है और हिमालय उठता जा रहा है ! हालांकि ये टकराव अंदाज़न सात करोड़ दस लाख साल में हुआ है !
अब तो ऑस्ट्रेलिया के आने का इंतज़ार है. हो सकता है आस्ट्रेलिया प्लेट की स्पीड जल्दी ही बढ़ जाए और क्या जाने किसी दिन ये आस्ट्रेलिया अपने कंगारूओं के साथ कन्याकुमारी के सामने लंगर डाल दे ! घूमना आसान हो जाएगा.
भारतीय प्लेट का उत्तर की ओर खिसकाव - विकिपीडिया से साभार |
ब्रायन क्लार्क हॉर्वर्ड का लेख इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है : Australia Is Drifting So Fast GPS Can't Keep Up http://on.natgeo.com/2cNDesy via @NatGeo
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/09/blog-post_63.html
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