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Friday, 30 September 2016

सेवा और मेवा

ठेकेदार और ठेकेदारनी दोनों भोत ख़ुस थे. पिछले साल बड़े बेटे जगतू का ब्या हो गया था और इस साल छोटे वाले भगतू का भी काम निपट गया. ठेकेदार ने सोचा अब दोनों बेटे खुद ही छोटे मोटे ठेके लेने सुरू कर देंगे. कब तक दारू पी के म्हारे सिर पे नाचते रहेंगे. अपनी ज़िम्मेवारी समझें खुद भी खाएँ और हमें भी खिलाऐं. 

ठेकेदारनी ने सोचा कि अब घर में दो दो बहुरिया आ गई हैं इसलिए अब तो सजधज के गाँव का फेरा लूंगी और रिस्तेदारी में बैठूंगी. अब तो खटिया पे बैठ के राज करुँगी राज. अब ना रसोई में क़दम रक्खूं. मैया री मैया बहुत कर ली क्यारी की गुड़ाई और गाय बकरी की चराई.

सुबह पांच बजे उठ कर नहा धो कर ठेकेदारनी तैयार हो जाती. अपनी और ठेकेदार की चाय बनाकर खटिया पर दोनों बैठ जाते और गर्म चाय की चुस्की लेकर बतियाते रहते. ठेकेदार बीड़ी सुलगा लेता. किसी किसी दिन ठेकेदारनी भी सुट्टा मार लेती.

आठ सवा आठ बजे तक ठेकेदार और दोनों बेटे रोटी टिक्कड़ की पोटलीयां ले के काम पर निकल जाते. उसके बाद दोनों बहुओं को ठेकेदारनी काम पर लगा देती,
- ए बड़ी तू गाय चरा ल्या और खुरपा रख ले साथ. निचले खेत में खर पतवार की गुड़ाई कर दियो.
- छोटी तू बकरियां ले जा और दराती साथ रख ले. दो चार लकड़ियाँ काट लियो चूल्हे खातर.

उनके जाने के बाद अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लेती, तखत के नीचे से पुराना महाभारत काल का ट्रंक खींच कर ताला खोलती. ट्रंक के अंदर कपड़ों के नीचे से छोटी संदूकची निकालती फिर उसमें से जेवर की पोटली निकालती. देखते ही ठेकेदारनी मुस्करा देती. दो चूड़ियाँ निकाल कर पहन लेती और सहेलियों से बतियाने चल पड़ती.

एक दिन दोपहर बाद वापिस आकर नीम तले खटिया पर पसर गई. छोटी आई तो उससे पुछा,
- अरे क्या कर आई ? चल आजा इधर और जरा पैर दाब दे. अरे उल्टा पैर दबा दूसरा तो बड़ी दाबेगी. और ध्यान से सुन ले उलटे पैर के बिछुए, उलटे हाथ की चूड़ियाँ और उलटे कान की झुमकी तेरे लिए हैं. सेवा करेगी मेवा पाएगी. और खबरदार जो तैने बताया किसी को तो.

ऐसा ही हलफनामा ठेकेदारनी ने बड़ी बहुरिया से भी ले लिया. अब बिना जुबान खराब किए ठेकेदारनी के दिन आराम से कटने लगे. पर सास की लगातार सेवा और उसकी तानाशाही से दोनों बहुए तंग भी होने लग गई थीं. सासू जी महीने दो महीने में नया जेवर पहन लेती तो दोनों सहम कर चुप हो जाती.

इधर दो तीन दिन से छोटी भुनभुना रही थी. गुस्से में बोली तो कुछ नहीं पर सास को ठंडी चाय दे गई. सास ने बाएं हाथ की चूड़ी उतार कर दाहिने हाथ में पहन ली. छोटी जब पैर दबाने बैठी तो देखकर हैरान परेसान हो गई. फिर से गरम चाय ला कर दी तो सांझ को चूड़ी वापिस अपनी जगह आ गई !

पर छोटी ने बड़ी के सामने दिल खोल दिया और बड़ी ने छोटी के सामने. दोनों ने प्लान बना ली. सासू की खटिया के सामने प्लान के मुताबिक झगड़ना सुरू कर दिया. छोटी ने सासू के दाहिने पैर पर चपत मारी और बोली,
- ले बड़ी यो तो तेरा पैर है न ?
बड़ी ने सासू का बांया कान पकड़ कर खींचना सुरू कर दिया,
- बोल छोटी यो तेरा कान है मरोड़ दूं ?
छोटी तब तक डंडा ले आई.
ठेकेदारिन चिल्लाई 'मैया री-ईईई' और खटिया से छलांग लगा कर भाग ली.

मेरो गांव
... गायत्री वर्धन, नई दिल्ली.


7 comments:

Unknown said...

😆😃😆

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Unknown

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/09/blog-post_30.html

A.K.SAXENA said...

एक बहु सास पे भारी पड़ती है । यहाँ दो दो बहुओं से पंगा ले लिया सास ने। बड़ी ने करी कान खिचाई । सास ने अपनी जान बचाई ।

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सक्सेना जी. सास बहु की चक्कलस कभी ख़त्म नहीं होगी

Unknown said...

Iयह सब चलता है

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you 'Unknown'!