अपने अपने शौक़ हैं साब, किसी को परफ़्यूम का, किसी को कपड़ों को, किसी को पीने का और किसी को गाने का. हमारे मित्र नरूला साब को इन सभी चीज़ों का शौक़ है. परफ़्यूम बढ़िया होनी चाहिए पर ऐसा नहीं है कि एक ही चलती रहे बल्कि पार्टी दर पार्टी बदलनी भी तो चाहिए. कपड़े तो टापो-टाप पहनते ही हैं और अगर पार्टी में फ़रमाइश हो तो नरूला जी गाने को भी तैयार रहते हैं. यूँ तो पार्टी की जान हैं पर मुझे तो लगता है कि पार्टी अटैंड करना ही नरूला साब का असली शौक है.
अभी पिछले दिनों ही एक पार्टी में मिल गए. दो टंगड़ी और तीन पेग के बाद ज़रा सुरूर बना तो नरूला साब फ़रमाने लगे,
- अपने शौक के लिए बंदा क्या नहीं करता या कर सकता, क्यूँ सर? आप पीने का ही शौक़ लो जिस पर जिगर मुरादाबादी ने क्या गजब की ग़ज़ल लिखी है. पूरी ग़ज़ल तो यहाँ नहीं सुना सकता पर हां चंद लाइनें पेश है:
साकी की हर निगाह पे, बल खा के पी गया,
लहरों से खेलता हुआ लहरा के पी गया !
ऐ रहमते तमाम, मेरी हर खता मुआफ,
मैं इन्तेहाए शौक में घबरा के पी गया !
- वाह बहुत खूब. इन्तेहाय शौक में घबरा के पी गया. नरूला साब आपसे पार्टियों में ही मुलाकात होती है कभी वैसे ही घर आ जाइये. गपशप हो जाएगी. वैसे तो बेटे की नौकरी की पार्टी होने वाली है उसमें तो आप को आना ही है. मैं फोन कर दूंगा.
- क्यों नहीं सर. आप कहें और हम ना आएं ऐसा कैसे हो सकता है सर.
पार्टी एक बेंकेट हॉल में हुई और अच्छी रौनक रही. नरूला साब ने जोनी वॉकर से अपनी दोस्ती और मजबूत कर ली. सुरूर में आने के बाद ग़ज़ल भी सुना दी और फ़िल्मी गीत भी. जाते जाते लिपट ही गए,
- सर बहुत मज़ा आया आज. आपने भी मेरे घर चरण डालने हैं जी. वैसे मैं बहुत कम लोगों को घर बुलाता हूँ पर आपने अगले सन्डे जरूर आना है सर. आप के साथ सिटिंग नहीं हुई जनाब, बैठेंगे तो फिर खुल के बातें होंगी.
अगला सन्डे भी आ गया. नरूला साब के घर पहुँच कर देखा बड़ी अच्छी डेकोरेशन थी और सब चीज़ें सलीके और करीने से लगी हुई थीं. कोई शक नहीं नरूला साब शौक़ीन इंसान हैं. स्कॉच खुल गई, गाने बजने लगे और गप्पें चल पड़ीं. नान, बटर चिकन, शाही पनीर और पुलाव के बाद आइसक्रीम आ गई. बाउल उठाया तो ऐसा लगा की उस पर कोई लोगो बना है. ध्यान से देखा तो पूछा,
- नरूला ये क्या ? तुम्हारे आइसक्रीम बाउल पर अशोका होटल का निशान बना हुआ है ?
- हाँ सर हाँ सर. आपने सही पहचाना. मैं हर पार्टी की यादगार जरूर रखता हूँ. ये बाउल विक्की के जन्मदिन की पार्टी का है मैं अशोका से ही लाया था जी. ये जो चम्म्च आपके हाथ में है ना सर ये इंडिया कॉफ़ी हाउस का है जहां सहगल ने प्रमोशन पार्टी दी थी.
- कमाल करते हो नरूला. यार तुम्हें डर नहीं लगता ? ये तो सरासर ....
- सर जी इतने बड़े बड़े होटलों को क्या फर्क पड़ता है दो चार छुरी कांटों से ? फिर हमने कौन सी बेचनी हैं ये चीज़ें बस हमारा तो शौक पूरा हो जाता है. ये देखो सर आपको और भी दिखाता हूँ. ये बियर ग्लास एअरपोर्ट होटल का है जी इकलौता ही रह गया है. दुबारा जाने का मौका ही नहीं मिला जी. ये शुगर बाउल होटल जनपथ का है जी. अब तो वो होटल ही बंद हो गया जी. दिल्ली के दो तीन फाइव स्टार होटल छोड़ के सबकी निशानियाँ हैं जी मेरे पास. कई चीज़ें तो अलमारी में बंद पड़ी हैं. अलमारी खोलूं सर जी ?
लहरों से खेलता हुआ लहरा के पी गया !
ऐ रहमते तमाम, मेरी हर खता मुआफ,
मैं इन्तेहाए शौक में घबरा के पी गया !
- वाह बहुत खूब. इन्तेहाय शौक में घबरा के पी गया. नरूला साब आपसे पार्टियों में ही मुलाकात होती है कभी वैसे ही घर आ जाइये. गपशप हो जाएगी. वैसे तो बेटे की नौकरी की पार्टी होने वाली है उसमें तो आप को आना ही है. मैं फोन कर दूंगा.
- क्यों नहीं सर. आप कहें और हम ना आएं ऐसा कैसे हो सकता है सर.
पार्टी एक बेंकेट हॉल में हुई और अच्छी रौनक रही. नरूला साब ने जोनी वॉकर से अपनी दोस्ती और मजबूत कर ली. सुरूर में आने के बाद ग़ज़ल भी सुना दी और फ़िल्मी गीत भी. जाते जाते लिपट ही गए,
- सर बहुत मज़ा आया आज. आपने भी मेरे घर चरण डालने हैं जी. वैसे मैं बहुत कम लोगों को घर बुलाता हूँ पर आपने अगले सन्डे जरूर आना है सर. आप के साथ सिटिंग नहीं हुई जनाब, बैठेंगे तो फिर खुल के बातें होंगी.
अगला सन्डे भी आ गया. नरूला साब के घर पहुँच कर देखा बड़ी अच्छी डेकोरेशन थी और सब चीज़ें सलीके और करीने से लगी हुई थीं. कोई शक नहीं नरूला साब शौक़ीन इंसान हैं. स्कॉच खुल गई, गाने बजने लगे और गप्पें चल पड़ीं. नान, बटर चिकन, शाही पनीर और पुलाव के बाद आइसक्रीम आ गई. बाउल उठाया तो ऐसा लगा की उस पर कोई लोगो बना है. ध्यान से देखा तो पूछा,
- नरूला ये क्या ? तुम्हारे आइसक्रीम बाउल पर अशोका होटल का निशान बना हुआ है ?
- हाँ सर हाँ सर. आपने सही पहचाना. मैं हर पार्टी की यादगार जरूर रखता हूँ. ये बाउल विक्की के जन्मदिन की पार्टी का है मैं अशोका से ही लाया था जी. ये जो चम्म्च आपके हाथ में है ना सर ये इंडिया कॉफ़ी हाउस का है जहां सहगल ने प्रमोशन पार्टी दी थी.
- कमाल करते हो नरूला. यार तुम्हें डर नहीं लगता ? ये तो सरासर ....
- सर जी इतने बड़े बड़े होटलों को क्या फर्क पड़ता है दो चार छुरी कांटों से ? फिर हमने कौन सी बेचनी हैं ये चीज़ें बस हमारा तो शौक पूरा हो जाता है. ये देखो सर आपको और भी दिखाता हूँ. ये बियर ग्लास एअरपोर्ट होटल का है जी इकलौता ही रह गया है. दुबारा जाने का मौका ही नहीं मिला जी. ये शुगर बाउल होटल जनपथ का है जी. अब तो वो होटल ही बंद हो गया जी. दिल्ली के दो तीन फाइव स्टार होटल छोड़ के सबकी निशानियाँ हैं जी मेरे पास. कई चीज़ें तो अलमारी में बंद पड़ी हैं. अलमारी खोलूं सर जी ?
पार्टी के लिए तैयार |
1 comment:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/06/blog-post_24.html
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