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Saturday, 21 May 2016

ये ना जाना

रीजनल ऑफिस के लिए रिसेप्शनिस्ट का इंटरव्यू चल रहा था. हमारे झुमरी तल्लिय्या रीजन के सर्वे-सर्वा गोयल साब के अलावा एक मैनेजर hrd और एक चीफ मैनेजर भी इंटरव्यू बोर्ड में विराजमान थे. चौथी उम्मीदवार आई मिस प्रीति. उम्र थी 35 की, सांवला रंग, मोटी मोटी आँखें और बड़े सलीके से पहनी हुई साड़ी. फर्राटेदार इंग्लिश और हिंदी. गोयल साब को दो चीज़ें पसंद आई, एक तो मिस प्रीति की इंग्लिश और दूसरा 35 के बावजूद उसका मिस होना. मैनेजर hrd ने कनखियों से मसला भांप लिया और चीफ मैनेजर ने भी हवा का रुख देख लिया. दोनों ने कागजों पर अंगूठे लगा दिए.

पहली तारीख को मिस प्रीति ने कुर्सी संभाल ली. गोयल साब ने आकर मुआयना किया,
- सब ठीक है न मिस? कंप्यूटर, कागज़ पेंसिल वगैरा कुछ चाहिए हो तो बताना. फ्रेंकली बता देना फ्रेंकली. मैं बड़ा ओपन हूँ ओपन. और अब चाय बोल दो चाय. जब चाय आ जाए तो आप भी अंदर आ जाना कम इनसाइड.  

58 वर्षीय गोयल साब रंग के सांवले और शरीर से गोल-मटोल हैं. आप कह सकते हैं की खाते पीते घर के हैं. बाल उड़ चुके हैं बस किनारे किनारे एक झालर सी बची हुई है जिस पर वो दिन में 5-7 बार प्यार से कंघी चलाते हैं. महंगी और चुनी हुई उम्दा परफ्यूम लगाते हैं. केबिन के अंदर वो साब हैं पर केबिन के बाहर उन्हें प्यार से टकला कहते हैं. चाय पीते पीते मिस प्रीति से बातचीत कर रहे थे,
- रहती कहाँ हैं आप? और साथ में कौन है? मैं कह रहा था देर सबेर हो जाए तो गाड़ी में आपको छोड़ दूंगा. झुमरी तल्लिय्या में आप नयी आई हैं किसी किसम की कमी नहीं रहनी चाहिए. शाम को अकेले बोर हो जाएंगी. कल मैं टीवी भिजवा देता हूँ ड्राईवर के हाथ. गैस चाहिए क्या? उसकी भी व्यवस्था करा देता हूँ. मैं बड़ा ओपन आदमी हूँ ओपन मिस प्रीति.

अगले हफ्ते दस दिन तक यही सिलसिला चलता रहा. रोज़ कुछ ना कुछ सामान मिस प्रीति के घर पहुँच रहा था और ऑफिस में दोनों की गुफ्तगू लम्बी होने लग गयी थी. दफ्तर में कानाफूसी का बाज़ार गर्म होने लग गया था उड़ती उड़ती खबर गोयल साब के घर पहुँचने लगी थी. पर ज्यादा नहीं चला ये सिलसिला शायद दो महीने चला होगा.
इधर मिस प्रीति दो दिन ऑफिस ही नहीं आई ना कोई फोन ना ही कोई मेसेज आया. गोयल साब ने ड्राईवर को दौड़ाया. ड्राईवर ने आकर खबर दी की मिस प्रीति तो घर छोड़ गयी हैं और मकान मालिक ने बताया कि सारा सामान भी ले गयी हैं शायद मुम्बई में नौकरी लग गयी है. कोई एड्रेस नहीं छोड़ कर नहीं गयी हैं.
खबर सुनकर गोयल साब के रोंगटे खड़े हो गए यहाँ तक की सर पर जो दो तीन बाल थे वो भी खड़े हो गए. सामान का मोटा मोटा हिसाब लगाया ये+ये+वो+वो=70,000. गोयल साब दुःखी होकर बोले,

तेरे प्यार का ये हाल,
इस प्यार में था इक जाल,
इस प्यार में था ताना बाना,
कब कैसे फँस गई गर्दन,
ये ना जाना !

तेरी फरमाइशें थी कुछ ज़्यादा,
मेरी ख्वाहिशें थी कुछ ज़्यादा ,
तेरे प्यार में थे खर्चे,
कब निकला मेरा दिवाला,
ये ना जाना !

मेरी गाड़ी में तू घूमी,
धुआं उठा मेरे पर्स में,
हुआ मैं कंगला पर तू झूमी,
कब हुआ मेरा बटुआ फ़रार,
ये न जाना !                                                                                                                   
ये न जाना 



1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/05/blog-post_21.html