भारत के किसी भी राजमार्ग पर निकल जाइए हर दस बारह किमी पर कोई न कोई धार्मिक स्थान मिल जाएगा चाहे मंदिर हो, चर्च हो या गुरुद्वारा हो। सड़क से ज़्यादा दूर भी नहीं जाना पड़ता बल्कि सड़क किनारे ही दर्शन हो जाते हैं। हिन्दुस्तान में पीर, दरगाह, बाबा, सन्त, फ़क़ीर और गुरूओं की भी कमी नहीं है। इन धार्मिक स्थलों में पैसे, सोना, चाँदी, हीरे, जवाहरात की गिनती नहीं है न ही कोई क़ानून है जिसके अंतर्गत सालाना आडिट होता हो। पैसा होने के कारण इनमें धूर्त, तिकड़मी और गुमराह करने वालों की भी कमी नहीं है। और इसलिए यहाँ काले धन की गुंजाइश भी बनी रहती है।
एक बार अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन Mark Twain भारत आए। जनवरी से अप्रेल 1896 तक भारत और श्रीलंका का दौरा किया और अन्य बातों के अलावा ये भी लिखा : In religion, all other countries are paupers. India is the only millionaire. मार्क ट्वेन का मतलब केवल पैसा न होकर आध्यात्मिक पूँजी रहा होगा क्यूँकि उसकी भी यहाँ कमी नहीं है। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता, त्रिपिटक और अन्य ग्रंथों में अध्यात्म दर्शन भरा पड़ा है। और भी सुंदर बात है कि इनमें विविधता और अनेकता भी है। इनमें चार्वाक जैसे विचारक का भी ज़िक्र है जिसके अनुसार भगवान का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
पर अध्यात्म या भगवान की चर्चा बहुत लम्बी, जटिल है और शायद अंतहीन है। यहां तो केवल भारत की विविधता जो राह चलते धार्मिक स्थलों में नजर आती है उसी का ज़िक्र है। दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान चलते चलाते ली गई कुछ तसवीरें प्रस्तुत हैं :
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बैंगलोर से पोंडीचेरी की ओर जाते हुए - थिरूवन्नामलाई मंदिर
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बेकल फ़ोर्ट केरल की ओर जाते हुए सड़क किनारे एक मंदिर |
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बैंगलोर - पोंडीचेरी राजमार्ग पर एक मस्जिद
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मैंगलोर - बैंगलोर रोड पर नैलाडी के पास एक चर्च |
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