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Thursday 19 May 2016

गड्डी

बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने के बाद बहुत तेज़ी से शाखाएँ खुलने लगीं और इसलिए नये स्टाफ़ की भरती भी शुरू हो गई थी. भरती के लिये एक बोर्ड बना दिया गया था जिसकी परीक्षा पास करके अलग अलग बैंकों में इंटरव्यू होता था और पास होने पर नौकरी मिल जाती थी. इसी प्रोसेस से पंजाब नैशनल बैंक नई दिल्ली में अपनी भी नौकरी लग गई.

शाखा में 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे थे. और उस चार माले की बिल्डिंग में और भी कई विभाग थे जहां बहुत से कर्मचारी थे, महिलाएँ थीं और अफ़सरों की काफी बड़ी फ़ौज थी. ज्वाइन करते ही एक बात महसूस हुई कि बैंक में वहाँ हर लेवल पर पंजाबी बहुत थे - मल्होत्रा, भसीन, खुराना, कपूर, चढ्ढा, कोहली वगैरा. हों भी क्यूँ ना लाहौर, पंजाब में स्थापित हुआ था बैंक. ज़ाहिर है बोलचाल में पंजाबी का फ़्लेवर था. केनरा बैंक में कन्नड़ और इंडियन बैंक में तमिल का बोलबाला रहा होगा. यहाँ तो चढ्ढा साब बोलते कि,
- ओ काके ज़रा सबज़ वोचर फढ़ाईं !
- सर क्या ?
- ओए सबज यार हरा वोचर पकड़ा दे.
- सर सब्ज़ तो पता था सबज नहीं समझ आया था.
सभी नए रंगरूट काके, मुंडे याने लड़के या कुड़ीए याने लड़की कहलाते थे. अकसर सुनने को मिलता था कि,
- ऐ मुंडे कुड़ियां कालजों नवें नवें आए ने इनानूं कख नी पता ( these new recruits fresh out of college know nothing ).
- ओ बेटा जी तुस्सी चिट्टे ते सब्ज़ वोचर द्राज इच रखया करो ( son always keep white & green vouchers in your drawer ).
- अस्सी लोग मैट्रिक पास ते नवें मुंडे कुड़ियां बीए एमए पास आ रै ने ( we passed matric whereas newly recruited are BA & MA ).
सभ्भरवाल साब डे बुक इंचार्ज थे और उनके ये डायलाग तो रोज़ ही सुनने को मिलते थे,
- टोटलां विच फ़र्क़ चेक कर लेणा तुस्सी ( totals में फ़र्क़ चेक कर लेना आप ).
- लॉंग बुकां चेक कर लेणा तुस्सी ( long books used by cashiers & clerks should be checked by you ).
- कताबां कठ्ठियां कर लो पहलां ( books used by cashiers & clerks should be collected first ).

नामों और शब्दों के उच्चारण में भी फ़र्क था - सतीश > स्तीश, महेंदर > म्हिंदर, गायत्री >गैतरी, पैसे > पैहे.
कुछ मुहावरे काफी चलते थे और बड़े पसंद आये - ग्वाची गां ( गुमशुदा गाय या भटका हुआ बन्दा ), घुम-फिर के खोती बोड़ तल्ले ( घूम के गधी वापिस बरगद के नीचे याने कोई प्रोग्रेस नहीं ).
अगर आपस में बात करने लग जाओ तो शायद इन्चार्ज कह दे - ओये की रोल्ला पाया तुस्सी? अगर चड्ढा साब ने चार चाय मंगानी हो तो वेटर को आवाज़ देंगे - ओये चार चावां ते लै-या.

मतलब ये क़ि पंजाबी + इंग्लिश याने पिंगलिश और हिंदी + इंग्लिश याने हिंगलिश सबकी खिचड़ी पकती रहती थी पंजाबी तड़के के साथ. अंदाज़े बयां और ही था जिसमें हम भी धीरे धीरे शामिल हो गए. अब देखिये किसी भी वाहन का पंजाबी में नाम है गड्डी जैसा क़ि ऑटो या ट्रक के पीछे अक्सर लिखा मिलेगा "यश ते बॉबी दी गड्डी", "गुल्लू ते पप्पू दी गड्डी"  इत्यादि. अब गोयल साब को शायद ये तो पता नहीं था कि साइकिल भी "गड्डी" ही कहलाती है. शनिवार तीन बजे गोयल साब घर जाने को तैयार बैठे थे. तनेजा नज़र आया तो उन्होंने सोचा कि इसके पास स्कूटर जरूर होगा इसलिए पुछा,
- घर जा रा है तनेजे ? यार मुझे रीगल तक छोड़ देना.
- चलो जी चलो साडी गड्डी तैयार है जी. 
दोनों ब्रांच से बाहर निकल आए. तनेजा ने साइकिल का ताला खोला और स्टैंड से बाहर ले आया.
- लौ जी गोयल साब साडी गड्डी रैडी है जी !

गुल्लू, बबलू, निक्की ते विक्की दी गड्डी




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/05/blog-post_19.html