मेरठ-बैंगलोर-मेरठ कार यात्रा का पहला पड़ाव था जयपुर. एम आई रोड के नज़दीक राजस्थान पर्यटन होटल में डेरा डाल दिया. चार पाँच साल पहले भी इस होटल में ठहरे थे तब बेहतर था. बहरहाल होटल ने सीनियर सिटिज़न का और ऑफ सीजन का डिस्काउंट दे दिया. आप तो जानते ही हैं की सीनियर लोगों के चाँदी जैसे बाल आसानी से थोड़े ही आते हैं!
सुबह नाश्ता कर के कोटा की और कूच कर दिया. रास्ते में टोंक का नाम बार बार आ रहा था. लगभग सौ किमी पर टोंक की तरफ़ गाड़ी मोड़ ली. गूगल ने और फिर पान वाले ने भी बताया कि शहर में सुनहरी कोठी और अरब-फ़ारसी इंस्टिट्यूट देख सकते हैं. कोठी ढूँढने में समय लगा. गूगल आंटी बोली इधर से जाओ, दुकानदार बोले उधर से जाओ और स्कूली बच्चे बोले कोठी तो पीछे रह गई! गाड़ी वहीं छोड़ हम पैदल हो लिये. गली के अंदर मुश्किल से सौ मीटर गए होंगे की कोठी नज़र आ गई. कोठी की फ़ोटो दिखाने से पहले आपको टोंक का संक्षिप्त इतिहास भी बताते चलें.
टोंक जिला राजस्थान में है और जयपुर से लगभग सौ किमी दूर है. टोंक भी किसी समय नवाबी रियासत की राजधानी थी. मोहम्मद आमिर ख़ान ( 1769-1834 ) यशवन्त राव होलकर की मराठा सेना में शामिल हो गया और जल्दी ही ऊँचे ओहदे पर पहुँच गया. मराठा सेना ने 1806 में जयपुर राज्य पर हमला कर दिया और काफ़ी बड़ा इलाक़ा जीत लिया. मराठा सरदार होलकर ने खुश हो कर आमिर ख़ान को टोंक इनाम में दे दिया. तीसरे एंग्लो- मराठा युद्ध - 1817 के बाद पेशावर-भोंसले-होलकर मराठा संघ की हार हो गई ( सिंधिया तटस्थ रहे और युद्ध में शामिल नहीं हुए ). आमिर ख़ान ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ हो गया और टोंक रियासत का नवाब बना दिया गया.
उस वक़्त टोंक रियासत में निम्बाहेड़ा, छाबड़ा, पिरावा, सिरोंज और रामपुरा क़स्बे भी शामिल थे. आमिर ख़ान के बाद टोंक रियासत में छे और नवाब हुए और अप्रैल 1948 में ये रियासत भारत में मिल गई. अब टोंक शहर की मशहूर सुनहरी कोठी से आपका परिचय कराते हैं:
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टोंक में कई पुरानी हवेलियां हैं उन में से ये सुनहरी कोठी सबसे सुंदर और मशहूर है. बड़ी नफ़ीस कारीगरी देखने को मिलती है. फ़ोटो में नज़र आता ये दरवाज़ा असल में दीवार पर की गई पेंटिंग है! |
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ये सुनहरी कोठी आमिर ख़ान ने बनवाई थी |
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इस कोठी को बने दो सौ साल से ज्यादा हो चुके हैं परंतु अभी भी कलाकारी ताज़ा तरीन लगती है |
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काफ़ी बारीक काम है पर आकर्षक है और पुराना महसूस नहीं होता. चमक दमक वैसी ही है |
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छत पर की गई चित्रकारी खूबसूरत है. यह कोठी रंगारंग कार्यक्रमों के आयोजन के लिए बनाई गई थी |
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ये कोठी ज्यादा बड़ी नहीं है पर चित्रकारी के कारण अनोखी है |
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ये कोठी टोंक शहर के बीचो बीच में है. आसपास घनी आबादी है |
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सुनहरी कोठी |
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कोठी के गेट पर कोई बोर्ड नहीं था और ना ही कोई गाइड मिला |
….. यात्रा आगे जारी रहेगी