- हाँ हाँ! ट्यूबवेल में नहाएंगे.
- तो अपने अपने बस्ते तैयार कर लो. सन्डे सुबह छे बजे निकलेंगे. तुम दोनों वहीँ रुक जाना हम दोनों वापिस आ जाएँगे. फिर अगले सन्डे मैं तुम दोनों को वापिस ले आऊंगा. ठीक है?
- पर खटारा बस में नहीं जाएंगे बाइक पर जाएंगे.
- ओके.
इतवार सुबह बालकों को उठने में देर नहीं लगी वर्ना तो स्कूल जाने में चार चार बार आवाज़ लगानी पड़ती है. दोनों के बस्ते भी तैयार थे, टूथब्रश, चप्पल कपड़े सब कुछ फिट था. बाइक पर सामान बाँध दिया. अब हमेशा की तरह सवाल खड़ा हो गया - आगे कौन बैठेगा?
- देखो यहाँ से गंगनहर तक जो आगे बैठेगा वो गंगनहर से दादी के घर तक पीछे बैठेगा.
फट फट करती फटफटिया गंगनहर पहुँच गई. नहरिया के ठन्डे ठन्डे पानी में पैर डाल कर सबने दो दो आम खाए. इस आम-ब्रेक के बाद आगे की सवारी पीछे चली गई और पीछे की आगे आ गई. अब फिर से फटफटिया में किक मारी और सोनू ते मोनू दी गड्डी सीधा जा के दादी के द्वारे रुकी. वहां भाई बहनों के बच्चे भी आए हुए थे. बाल मेला शुरू हो चुका था. हल्ला गुल्ला, मार पीट और शिकवे शिकायतों का बोलबाला था. पर ये सब मेला दादी दादा को खूब पसंद आता है. खैर दादी दादा से ये कह कर वापिस आ गए की हो सके तो बच्चों को हस्तिनापुर घुमा देना.
वापिस आ कर बच्चों ने शौक से हस्तिनापुर ट्रिप के बारे में बताया. कैसे कैसे मंदिर देखे और बोटिंग भी की. खेत में ट्यूबवेल के मोटे पाइप से खूब तेज़ पानी के नीचे खड़े होकर कैसे नहाया और कैसे मोटी धार जब बंटी के ऊपर गिरी तो उस की चड्डी नीचे खिसक गई!
पर दोनों ने मम्मी के कान में एक शिकायत भी की. वो भी इस शर्त पर की ये बात पापा को नहीं बतानी है,
- वहां न जब बैट बॉल खेल रहे थे तो बंटी ने खिड़की के दो शीशे तोड़ दिए. पर जब दादा ने पूछा तो झूट बोल दिया की हमने शीशा तोड़ा.
शाम को जब चारों खाना खाने बैठे तो मम्मी ने बच्चों के सामने सारी बात बता दी. बच्चे मम्मी को और फिर पापा को घूरने लग गए,
- ये क्या किया मम्मी ने? अब क्या कहेंगे पापा?
- अरे यार मम्मी सारी बातें मुझे बता देती है और मैं मम्मी को. इसलिए कान में फुस फुस करना छोड़ दो. साफ़ बोल दिया करो गलत हो गया तो भी सही हो गया तो भी. कानाफूसी पर अब एक किस्सा सुनो. एक रानी ने बेटे को जन्म दिया. रानीमहल की दासियों में से एक ने तुरंत राजा के बेडरूम की तरफ दौड़ लगा दी. उसने सोचा अगर मैं पहले खबर दूंगी तो मुझे सबसे बड़ा इनाम मिलेगा. जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला तो बाहर बैठा एक कौवा कांव कांव करता उड़ गया. इधर दूसरी दासियाँ समझ गईं की पहला इनाम तो हाथ से निकल गया. जलभुन कर दूसरी दासी ने तीसरी दासी के कान में कहा,
- देखो ख़ुशी के मौके पे पगली ने काला कौवा उड़ा दिया.
तीसरी दासी ने चौथी के कान में कहा,
- इधर राजकुमार हुआ उधर काला कौवा उड़ने लगा.
चौथी दासी ने पांचवी से कहा,
- राजकुमार क्या आया काले कौव्वे उड़ने लगे.
पांचवी दासी ने छठी को कहा,
- हे भगवान! राजकुमार शायद काला होगा क्यूंकि काले कौव्वे उड़ने लग पड़े.
छठी दासी ने सातवीं से कहा,
- काले हमारे राजकुमार और ये काले कौव्वे? हे राम जी ये कौन सा रिश्ता है?
सातवीं दासी ने आठवीं के कान में कहा,
- देवा रे देवा राजकुमार पैदा हुआ है या काला कौवा?
कुछ ही देर में महल और शहर में खबर फ़ैल गई की रानी ने काले कौवे को जन्म दिया है!
जब राजा के कान में ये बात पड़ी तो तुरंत अपने जासूस भेजे और दासियों को पकड़ कर जेल में डाल दिया. ये होता है कान में फुस फुस करने का नतीजा.
- तो अब बताओ खिड़की का शीशा किसने तोड़ा था?
3 comments:
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बहुत सही।
चार महीने से छुटिटयाँ चल रहीं है,
परन्तु कोरोना के कारण नानी के घर जाना नहीं हो रहा है।
धन्यवाद डॉ रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'.
कोरोना ने तो सारा काम उल्टा पुल्टा कर दिया है.
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