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Wednesday, 10 June 2020

परफ्यूम

मैनेजर बनने के बाद नरूला साब बधाइयों के मज़े ले रहे थे. जब प्राचीन काल में बैंक ज्वाइन किया था तब तो लगता था कि क्लर्क ही रिटायर हो जाएंगे. परन्तु बैंक ने धड़ाधड़ ब्रांचें खोलनी शुरू कर दी तो प्रमोशन भी थोक के भाव होने लगी. और नरूला साब भी पहले अफसर और फिर मैनेजर भी बन गए. 

नरूला साब मैनेजर बने तो मिसेज़ नरूला का जनरल मैनेजर बनना स्वाभाविक ही था. भई मैनेजर की कुर्सी पर बिठाने में धक्का तो मिसेज़ नरूला ने भी लगाया था! शायद इसीलिए उन्हें ज्यादा बधाइयां मिल रही थीं. उन्हीं के दबाव में साब और मेमसाब दोनों बाज़ार गए. मेमसाब ने कुछ नई शर्ट पैन्ट दिलवा दी, नए जूते दिलवाए और कुछ सफ़ेद रुमाल भी ले दिए. बतौर मैनेजर पहली बार ब्रांच मिलनी थी इसलिए ये सब तो बहुत जरूरी था जी.  

वैसे नरूला साब को शांति पसंद थी जल्दीबाजी बिलकुल पसंद नहीं थी. घर से बैंक के लिए काफी पहले निकलते, स्कूटर भी खरामा खरामा चलाते और ऑफिस का काम भी आराम आराम से करते हैं. बैंक से सीधे घर आ जाते थे. उनकी शौपिंग भी मैडम ही करवा देती थी. अब तो खैर गाड़ी ले ली है पर वो भी धीरे ही चलाते हैं. उन्हें तीन से ज्यादा गियर लगाना पसंद नहीं है. वो बात और है की कोई सिरफिरा रिक्शे वाला टोक देता है - 'बढ़ा ले! बढ़ा ले!'

नई ब्रांच का पहला दिन था. मिसेज़ नरूला ने काजू, बादाम और किशमिश डाल कर हलवा बनाया. अपने हाथ से साब को हलवा खिलाया और एक बड़ा डब्बा पैक भी कर दिया. साथ में हिदायत भी दे दी की स्टाफ को भी खिला देना. चलने के लिए नरूला साब तैयार हुए तो मिसेज़ बोलीं,
- ओहो आपकी परफ्यूम तो ली नहीं! चलो आज तो यही लगा लो, कह कर उन्होंने साब के ऊपर अच्छी तरह स्प्रे कर दी.

ब्रांच में स्टाफ से पहली मुलाकात अच्छी रही. दो महिलाएं भी थी एक ऑफिसर और एक क्लर्क दोनों ने नए साब का स्वागत किया. वापिस घर पहुँचने के बाद नरूला साब ने अपने जनरल मैनेजर को विस्तार से सब कुछ बताया और उनकी तसल्ली हो गई. अगले दिन गाड़ी बैंक की ओर फिर चल पड़ी. लंच टाइम के बाद महिला क्लर्क केबिन में आई और बोली,
- सर आप झुमरी तल्लैया ब्रांच से आए हैं ना?
- हाँ.
- सर मैं भी वहां पांच साल पहले पोस्टेड थी. 
- गुड. मैं तो बस पिछले साल ही था वहां, प्रमोशन हुई तो यहाँ आ गया.
- सर घर में कौन कौन है? 
- श्रीमती है मतलब हम दोनों ही हैं. बिटिया की तो शादी हो चुकी.
- ओके ओके. अच्छा तभी. किरण और मैं आपस में बात कर रहे थे मैंने सोचा आपको बता ही दूँ. सर बुरा तो नहीं मानेंगे?
- नहीं. बोलिए आप.
- सर ये जो परफ्यूम लगाई है न आपने, ये लेडीज़ परफ्यूम है. 
- ओह!
परफ्यूम 


19 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2020/06/blog-post_10.html

Unknown said...

Mera diya GMne

रेणु said...

OMG, , काश ! कोई इन वाचल महिलाओं को रोक लेता ये कड़वा सच
नोलने से । साहेब को एक दिन तो आत्मविश्वास से जीने को मिल गया होता! शानदार पोस्ट , आपकी आज शैली मेंआदरणीय हर्ष जी 👌👌🙏🙏🙏

रेणु said...

कृपया वाचल नहीं वाचाल पढ़ें! 🙏🙏

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11.6.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3729 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क

Unknown said...

Kya baat hae ..... Mazza aa gaya..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज गुरुवार (11-06-2020) को     "बाँटो कुछ उपहार"      पर भी है।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

इसमें महिला सहकर्मी का कोई दोष नहीं है ! महाभारत काल में ही युधिष्ठिर ने कह दिया था कि कोई भी महिला किसी बात को ज्यादा देर छिपा नहीं पाएगी तो ............!

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद गगन शर्मा, कुछ अलग सा!
मुझे तो ध्यान नहीं की युधिष्टर ने क्या कहा था. आप एक बार फिर कह देते तो अच्छा था.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद डॉ रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'.
आपने सूचित कर के बहुत अच्छा काम किया डॉ साब.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद Anonymous!
आपको मज़ा आया तो हमें भी अच्छा लगा!

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद दिलबागसिंह विर्क.
चर्चा-मंच 3729 पर भी उपस्थिति होगी.

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद रेणु.
आपकी टिपण्णी तो महिलाओं के खिलाफ जा रही है!
आपका दिन शुभ हो.

Rakesh said...

बढ़िया लघुकथा

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद hindiguru

रेणु said...

जी , केवल वाचाल महिलाओं के खिलाफ 🙏🙏😊😊

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद रेणु. मान ली आपकी बात!

A.K.SAXENA said...

बहुत मजेदार प्रसंग। जल्दी का काम शैतान का। कहीँ पे निगाहें कहीँ पे निशाना। एकागृचित्त होकर काम करना,वाचाल
महिलाओं के वश की बात नहीं। लो खुल गयी पोल,साहब की। हो गयी किरकिरी।

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सक्सेना जी!