मिठाई और नमकीन के प्लेटें टेबल पर सजा दी गईं थी. ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स और चाय का इन्तजाम रेडी था. बस अब इंतज़ार था लड़के वालों का. आज उनसे पहली मुलाकात थी. टेलीफोन पर बताया गया था की उनकी तरफ से लड़के समेत पांच लोग आने वाले थे. आएँगे तो पता लगेगा कि लड़के के अलावा कौन कौन हैं.
मेहमान आए तो उनमें एक ही महिला थी याने लड़के की भाभी. उनके आलावा सभी सज्जन पुरुष थे. समधी ने समधी की नाप तौल की, लड़के के भाई ने लड़की के भाई की. और समधन ने समधन के बारे में पूछा तो पता लगा की लड़के की माँ का स्वर्गवास हो चुका है.
पानी, ठंडा और फिर चाय के बाद महफ़िल बर्खास्त हो गई और उसके बाद लड़के पर विचारों का आपसी आदान प्रदान हुआ.
- ठीक ही लग रहा है, नौकरी भी ठीक है, पिताजी बोले.
- मुझे तो बड़ा पसंद आया, मम्मी बोली. और सुन कुक्की तेरी तो सास भी नहीं होगी ! रोज़ रोज़ की चिकचिक ख़तम. तूने वो कहावत सुनी है ना - 'या ते सस चंगी होवे या सस दी फोटो टंगी होवे' ( या तो सास अच्छी हो वर्ना उसकी फोटो टंगी हो ) !
बात में दम था पर फैसला करने से पहले इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा. पर तब तक दूसरा पैगाम आ गया. भई मार्किट में ना लड़कों की कमी है ना लड़कियों की क्यूँ जी ?
इसलिए अगले सन्डे को फिर से मिठाई और नमकीन के प्लेटें टेबल पर सजा दी गईं. पर इस बार आने वाला अकेला लड़का ही था. असल में उन्हीं की तरफ से अनुरोध था की पहले लड़का लड़की से शाम को दस मिनट के लिए कहीं बाहर मिलना चाहता है. उलझन हो गई ये कैसे होगा. यही रास्ता निकला की मजनूं मियाँ आ जाएं और दोनों आपस में बात कर लें और उस वक़्त कोई साथ नहीं होगा.
लड़का आया भी देर से और मिठाई चखना तो दूर पानी का गिलास नहीं छुआ और कुक्की से बोला,
- देखिये जी मैं तो मंगलवार का व्रत रखता हूँ और कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर में दर्शन करके ही व्रत खोलता हूँ. ट्रैफिक की वजह से लेट हो गया. आपने कुछ पूछना है?
कुक्की के मन में आया की एक रहपट मारूं इस कमबखत के गाल पे. पर भगवान ने हाथ रोक लिया ! सारी इच्छाएं कहाँ पूरी करता है भगवान. लड़का फटफटिया लेकर निकल गया और दुबारा कभी नज़र नहीं आया.
सिलसिला अगले सन्डे भी जारी रहा. मम्मी पापा कहाँ छोड़ने वाले थे. कुक्की तैयार थी, टेबल तैयार कर दी गई थी और बस मेहमानों का इन्तज़ार था. समय पर सारे आ गए और सबका आपस में परिचय करा दिया गया. रुक रुक के और अटक अटक के बातचीत जारी रही. लड़के की मम्मी ने बताया कि पढ़ाई में बचपन से ही तेज रहा है. लड़के के पप्पा ने बताया कि बैंक वाले इसके काम से बहुत ख़ुश हैं. और तनख्वाह भी अच्छी है. लड़के ने जेब थपथपाई और जेब में हाथ डालकर बैंक की पासपबुक निकाल ली. कुक्की की तरफ देखकर बोला,
मेहमान आए तो उनमें एक ही महिला थी याने लड़के की भाभी. उनके आलावा सभी सज्जन पुरुष थे. समधी ने समधी की नाप तौल की, लड़के के भाई ने लड़की के भाई की. और समधन ने समधन के बारे में पूछा तो पता लगा की लड़के की माँ का स्वर्गवास हो चुका है.
पानी, ठंडा और फिर चाय के बाद महफ़िल बर्खास्त हो गई और उसके बाद लड़के पर विचारों का आपसी आदान प्रदान हुआ.
- ठीक ही लग रहा है, नौकरी भी ठीक है, पिताजी बोले.
- मुझे तो बड़ा पसंद आया, मम्मी बोली. और सुन कुक्की तेरी तो सास भी नहीं होगी ! रोज़ रोज़ की चिकचिक ख़तम. तूने वो कहावत सुनी है ना - 'या ते सस चंगी होवे या सस दी फोटो टंगी होवे' ( या तो सास अच्छी हो वर्ना उसकी फोटो टंगी हो ) !
बात में दम था पर फैसला करने से पहले इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा. पर तब तक दूसरा पैगाम आ गया. भई मार्किट में ना लड़कों की कमी है ना लड़कियों की क्यूँ जी ?
इसलिए अगले सन्डे को फिर से मिठाई और नमकीन के प्लेटें टेबल पर सजा दी गईं. पर इस बार आने वाला अकेला लड़का ही था. असल में उन्हीं की तरफ से अनुरोध था की पहले लड़का लड़की से शाम को दस मिनट के लिए कहीं बाहर मिलना चाहता है. उलझन हो गई ये कैसे होगा. यही रास्ता निकला की मजनूं मियाँ आ जाएं और दोनों आपस में बात कर लें और उस वक़्त कोई साथ नहीं होगा.
लड़का आया भी देर से और मिठाई चखना तो दूर पानी का गिलास नहीं छुआ और कुक्की से बोला,
- देखिये जी मैं तो मंगलवार का व्रत रखता हूँ और कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर में दर्शन करके ही व्रत खोलता हूँ. ट्रैफिक की वजह से लेट हो गया. आपने कुछ पूछना है?
कुक्की के मन में आया की एक रहपट मारूं इस कमबखत के गाल पे. पर भगवान ने हाथ रोक लिया ! सारी इच्छाएं कहाँ पूरी करता है भगवान. लड़का फटफटिया लेकर निकल गया और दुबारा कभी नज़र नहीं आया.
सिलसिला अगले सन्डे भी जारी रहा. मम्मी पापा कहाँ छोड़ने वाले थे. कुक्की तैयार थी, टेबल तैयार कर दी गई थी और बस मेहमानों का इन्तज़ार था. समय पर सारे आ गए और सबका आपस में परिचय करा दिया गया. रुक रुक के और अटक अटक के बातचीत जारी रही. लड़के की मम्मी ने बताया कि पढ़ाई में बचपन से ही तेज रहा है. लड़के के पप्पा ने बताया कि बैंक वाले इसके काम से बहुत ख़ुश हैं. और तनख्वाह भी अच्छी है. लड़के ने जेब थपथपाई और जेब में हाथ डालकर बैंक की पासपबुक निकाल ली. कुक्की की तरफ देखकर बोला,
- आप भी देख सकते हैं बैलेंस पाँच डिजिट से नीचे नहीं जाता. और शॉपिंग के लिए क्रेडिट कार्ड भी है ये रहा !
कुक्की ने तुरंत मन ही मन इस बैंक वाले लड़के को डिसमिस कर दिया. अब देखते हैं कि अगले संडे कौन सा कनकौवा आता है ?
3 comments:
https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/10/blog-post_14.html
Hum to Aisey hi loot gaiy Bina dhekhey. Mitai bhi nahi military khaney ko. Very nice post.
धन्यवाद राजिंदर सिंह। एक बार फिर try कर लो!
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