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Monday, 17 October 2016

जुड़वां

नई दिल्ली में एक संसद मार्ग है जहाँ अनेक बैंक हैं. इनमें कुछ सरकारी, कुछ प्राइवेट और कुछ फिरंगी बैंक भी हैं. इतने बैंक होने के कारण बैंक कर्मचारियों की संख्या भी काफी है. कर्मचारी ज्यादा हों तो कुछ न कुछ घटनाएं होती रहती हैं. ये कर्मचारी दूर दूर से आते हैं यहाँ. कोई ट्रेन से, कोई बस से, कोई कार से पर अपने नरूला साब अपनी फटफटिया से ही आते हैं. पटेल नगर से शंकर रोड, बंगला साहिब और फिर संसद मार्ग. बस 25-30 मिनट में ऑफिस पहुँच जाते हैं.

अपनी फटफटिया स्टैंड पर लगा कर हेलमेट टांग देते हैं. पिछले पहिये के साथ लगे हुए बॉक्स में से लंच बॉक्स निकालते हैं. पिछली जेब से कंघी निकाल कर बाल सेट करते हैं, कमीज़ और पैंट की क्रीज़ बैठाते हैं और फिर लंच बॉक्स लेकर अंदर जाते हैं. दोस्तों से हाथ मिलाते हैं, महिलाओं को नमस्ते करते हैं और मैनेजर को साष्टांग प्रणाम करते हैं. उनकी राज़ी ख़ुशी जान कर फिर पूछते हैं,
- सर आज कौन सी सीट पर बैठना है ?
- नरूला आज आप पास बुक पर जाओ बहुत पेंडिंग पड़ी हैं. तुम्हारी राइटिंग भी ठीक है जाओ.
- जी सर, जी सर. एक रिक्वेस्ट है सर, प्लीज सर. वो ना घरवाली की डिलीवरी नज़दीक है तो सर 5-10 मिनट पहले निकलूंगा सर.
- वाह खुशखबरी है ! चलो ठीक है तुम पास बुक की सीट संभाल लो एक महीने के लिए. पर कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए ठीक है न ?
- जी सर, जी सर. सीट बिलकुल साफ़ मिलेगी सर एकदम टिच.

दो हफ्ते में ही नरूला जी ने ख़ुशख़बरी सुना दी कि जुड़वां बेटियां हुई हैं. मिठाई भी बाँट दी गई. आप तो जानते हैं बातें रुकती नहीं हैं चलती रहती हैं और बात चलते चलते मिसेज़ सुनीता टंडन तक भी पहुँची जो कि फ़ैमिली वे में थी. उन्हें लगा कि पास बुक सीट का फ़ायदा मिल सकता है. मिसेज़ सुनीता ने मैनेजर साब को अनुरोध किया, 
- सर कभी कभी डाक्टर के पास जाना होता है तो मुझे पास बुक की सीट दे दें आप.
- ठीक है सुनीता जी आप कल से पास बुक की सीट सम्भाल लो. पर कोई शिकायत तो नहीं आएगी ना ?
- आप निश्चिंत रहें सर ऐसा कुछ नहीं होगा.
नरूला साब को पास बुक से हटा कर डे बुक सेक्शन में भेज दिया गया और पास बुक की सीट पर मिसेज़ सुनीता टंडन को बिठा दिया. अगले महीने ख़ुशख़बरी आ गई कि मिसेज़ सुनीता टंडन के जुड़वाँ बेटियाँ हुई हैं साथ ही मिठाई भी बँट गई. अब नरूला साब वापिस पास बुकें बनाने में जुट गए. 

बातें तो चलती हैं और चलते चलते मिसेज़ भाटिया तक भी पहुंची. मिसेज़ भाटिया मैनेजर से मिली और अनुरोध किया कि मुझे पास बुक की सीट दे दी जाए. मैनेजर साब बोले,
- क्यूँ नहीं क्यूँ नहीं ! मिठाई ज़रूर खिला देना ! पर सीट का ध्यान रखना मिसेज़ भाटिया कोई शिकायत ना आए.
- बहुत बहुत शुक्रिया सर ! मैं पूरा ख़याल रखूँगी. 
कुछ दिनों बाद मिसेज़ भाटिया ने भी मिठाई भिजवा दी और साथ में संदेशा भी कि जुड़वाँ बेटियाँ हुई हैं !

मैनेजर साब ने नरूला साब को बुलवाया और बोले,
- ओ भई नरूला ये क्या हो रहा है ?
- जी सर ?
- जबसे आप को पास बुक की सीट पर लगाया था ब्रांच में हलचल शुरू हो गई थी. सभी लेडीज़ को यही सीट पसंद आ रही थी.
- जी सर ?
- और अब कोई लेडी यहाँ बैठने को तैयार नहीं है. ये भी तुम्हारी वजह से है. तुम्हारी जुड़वां बेटियां, फिर मिसेज़ टंडन की जुड़वां बेटियां और अब मिसेज़ भाटिया की जुड़वां बेटियां ! अब कोई भी लेडी यहाँ नहीं बैठना चाहती. अब आप ही पास बुकें बनाते रहो.
- नो सर नो सर ! मैं भी नहीं बैठना चाहता हूँ यहाँ पास बुक की सीट पर. अब अगर जुड़वां मेरे घर दोबारा आ गईं तो ?

जोड़ी 

Friday, 14 October 2016

नापसंद

मिठाई और नमकीन के प्लेटें टेबल पर सजा दी गईं थी. ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स और चाय का इन्तजाम रेडी था. बस अब इंतज़ार था लड़के वालों का. आज उनसे पहली मुलाकात थी. टेलीफोन पर बताया गया था की उनकी तरफ से लड़के समेत पांच लोग आने वाले थे. आएँगे तो पता लगेगा कि लड़के के अलावा कौन कौन हैं.

मेहमान आए तो उनमें एक ही महिला थी याने लड़के की भाभी. उनके आलावा सभी सज्जन पुरुष थे. समधी ने समधी की नाप तौल की, लड़के के भाई ने लड़की के भाई की. और समधन ने समधन के बारे में पूछा तो पता लगा की लड़के की माँ का स्वर्गवास हो चुका है.

पानी, ठंडा और फिर चाय के बाद महफ़िल बर्खास्त हो गई और उसके बाद लड़के पर विचारों का आपसी आदान प्रदान हुआ.
- ठीक ही लग रहा है, नौकरी भी ठीक है, पिताजी बोले.
- मुझे तो बड़ा पसंद आया, मम्मी बोली. और सुन कुक्की तेरी तो सास भी नहीं होगी ! रोज़ रोज़ की चिकचिक ख़तम. तूने वो कहावत सुनी है ना - 'या ते सस चंगी होवे या सस दी फोटो टंगी होवे' ( या तो सास अच्छी हो वर्ना उसकी फोटो टंगी हो ) !

बात में दम था पर फैसला करने से पहले इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा. पर तब तक दूसरा पैगाम आ गया. भई मार्किट में ना लड़कों की कमी है ना लड़कियों की क्यूँ जी ?

इसलिए अगले सन्डे को फिर से मिठाई और नमकीन के प्लेटें टेबल पर सजा दी गईं. पर इस बार आने वाला अकेला लड़का ही था. असल में उन्हीं की तरफ से अनुरोध था की पहले लड़का लड़की से शाम को दस मिनट के लिए कहीं बाहर मिलना चाहता है. उलझन हो गई ये कैसे होगा. यही रास्ता निकला की मजनूं मियाँ आ जाएं और दोनों आपस में बात कर लें और उस वक़्त कोई साथ नहीं होगा.

लड़का आया भी देर से और मिठाई चखना तो दूर पानी का गिलास नहीं छुआ और कुक्की से बोला,
- देखिये जी मैं तो मंगलवार का व्रत रखता हूँ और कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर में दर्शन करके ही व्रत खोलता हूँ. ट्रैफिक की वजह से लेट हो गया. आपने कुछ पूछना है?

कुक्की के मन में आया की एक रहपट मारूं इस कमबखत के गाल पे. पर भगवान ने हाथ रोक लिया ! सारी इच्छाएं कहाँ पूरी करता है भगवान. लड़का फटफटिया लेकर निकल गया और दुबारा कभी नज़र नहीं आया.

सिलसिला अगले सन्डे भी जारी रहा. मम्मी पापा कहाँ छोड़ने वाले थे. कुक्की तैयार थी, टेबल तैयार कर दी गई थी और बस मेहमानों का इन्तज़ार था. समय पर सारे आ गए और सबका आपस में परिचय करा दिया गया. रुक रुक के और अटक अटक के बातचीत जारी रही. लड़के की मम्मी ने बताया कि पढ़ाई में बचपन से ही तेज रहा है. लड़के के पप्पा ने बताया कि बैंक वाले इसके काम से बहुत ख़ुश हैं. और तनख्वाह भी अच्छी है. लड़के ने जेब थपथपाई और जेब में हाथ डालकर बैंक की पासपबुक निकाल ली. कुक्की की तरफ देखकर बोला,
- आप भी देख सकते हैं बैलेंस पाँच डिजिट से नीचे नहीं जाता. और शॉपिंग के लिए क्रेडिट कार्ड भी है ये रहा !

कुक्की ने तुरंत मन ही मन इस बैंक वाले लड़के को डिसमिस कर दिया. अब देखते हैं कि अगले संडे कौन सा कनकौवा आता है ?

सब रेडी है 



Tuesday, 11 October 2016

Dussehera

Dussehra or Vijaydashmi( दशहरा / विजयदशमी ) is celebrated on tenth day of the month of Ashvin of Hindu calendar which falls in October / November every year. The day marks victory of Lord Ram over Ravan who had abducted Sita wife of Lord Ram. On this day or rather evening effigies of Ravan, Kumbhkarn and Meghnath are burnt as victory celebrations. With some variations Dussehra is celebrated all over India & Nepal.

In Delhi these effigies are built mainly in Tatarpur area near Rajouri Garden. The size of effigies may range from 5 feet to 100 feet or even more. These effigies are packed with crackers & sparklers so as to give a magnificent display while burning. Cost of an effigy may range from ₹ 5k to 100k or even more depending on size & number of crackers / sparklers placed inside.
Some photos:

Getting ready for Dussehera 

Work in progress 

Semi finished tops to which arms are to be attached

Strong & proportionate legs are required to take load of whole effigy 

Standing skirt & lying top 

Head is getting ready 

There is his face with powerful moustache

Teeth getting final touch

Meantime in an residential area artisans from Teergaran, Meerut have brought three effigies of 15', 13' & 11' for installation
Ravana going up

Largest of the three being installed 

Darkness descends 

Grand finale



Sunday, 2 October 2016

Hampi - a World Heritage Site: Part 3 of 3


Iconic stone chariot of Hampi

Hampi is situated on the south bank of the river Tungbhadra approx 350 Km from Bangalore. Nearest railway station is 15 km away in Hospet in Bellary district of Karnataka. Nearest airport is in Hubli about 145 km. The river was earlier known as Pampa which became Hampe in Kannada & got anglicised to Hampi.

This village Hampi is situated in erstwhile capital city of Vijaynagar Empire which covered vast tracts of southern India. The Empire was established by two brothers Harihara ( or commonly known as Hakka ) & Bukka Raya in 1363 under guidance of their guru Madhava Vidyarnya. The mighty Empire in its peak time extended from river Krishna to Kanyakumari and from Goa to Odisha.

In ancient times the area was known as Pampa-kshetra, Kishikindha-kshetra or Bhaskara-kshetra. Later it has also been mentioned as Virupakshpura as Virupaksha was the patron deity of Vijaynagara Kings. 

The Empire suffered a major defeat in the year 1565 at the hands of confederation of Deccan sultanates. Thereafter the Empire weakened considerably & collapsed by 1646.   

Hampi is one of the UNESCO World Heritage sites in India. It is a charismatic capital town even in ruins. Large boulders strewn across the landscape, in valleys & on surrounding hills make the backdrop of Hampi unique. Spread around are hundreds of small & large monuments. These include magnificent temples, palaces, pavilions, ancient markets, army quarters, aqua-ducts & water tanks. The list is of monuments in Hampi is endless. This may be called an open museum of a large prosperous capital city which saw glorious days for two centuries from 1363 AD to 1565 AD. 

Trade with foreign countries had increased considerably at the time via Calicut port. Many traders & visitors have recorded about the wealth, culture, architecture, food & life style prevalent at the time in Vijaynagara Empire. Some of them are Abdul Rezzak from Herat who visited in 1443, Nicolo Conti of Italy who visited during 1420, Portuguese traveller Domingo Paes who stayed in the Empire during 1520-22, Portuguese horse trader Fernao Nuniz who was here in 1536-37, Cesare Frederici of Italy who visited in 1567 and Colonel Colin Mackenzie of Scotland who visited in 1799.  

If you love history & have strong legs as they say locally, you can spend weeks in Hampi. The ruined Capital is spread over hilly terrain of 26 sq. km. Bicycles, motorbikes, tonga, golf carts etc are also available in the town on rental basis for excursions. Every turn of the way & every hill holds a surprise for you. 

Some photos: 


9 storied Gopuram leads to huge Virupaksha Temple complex which has grown from a cluster of small temples of 7th century AD. It is said to be the oldest functional temple in Hampi. On either side of the approach road is Hampi Bazar under restoration

Pillars in Vittala Temple complex are studded with engravings & carvings based on stories of Ramayana & Mahabharata. Here Krishna has taken away the clothes of womenfolk bathing in the river & has climbed up a tree. They are requesting him to return the clothes



Bali & Sugriva

Lakshmi Narsimha

Counting the teeth of the horse before buying from a Persian horse trader 

Persian horses were premium items for the elite

Their beards, head gears & clothing suggests that they were from South / Central Asia 

Riding a mythical creature. This creature has been used as a emblem of the Empire

Snake charmer

Tiger attacks 

Lord Krishna playing flute & the cows listening with rapt attention

Krishna enjoying butter while mother Yashoda is churning 

Training in progress
Gajjela Mandapa. Not much is known about the purpose & usage of many such stand alone structures

A unique engraving 

Front view of Stone Chariot. The two elephants placed in front of chariot are a later date addition. Originally the chariot was attached to horses

Side view of iconic Stone Chariot used as logo by Karnataka Tourism. All around the platform are mythical battle scenes

Ranga Mantapa - a hall for festivities.  Beautiful decorations on plinth stones, pillars & ceiling are seen in geometrically  perfect design

Rider on mythical creature at the entrance

These thin stone pillars are hollow inside & if struck with wooden stick, generate musical sounds. Dozens of them were said to have been played simultaneously during festivities 

Well laid wide streets & corridors. Another temple & market

Cool corridors on raised platforms

Madhava Ranga Temple constructed in 1545 

Ganigitti Jain Temple. An 'oil women's' temple built in 1386. As per inscription on the Deep Stumbh the temple was commissioned by Irugua (Iruguppa) commander-in-chief of King Harihara II. It is dedicated to Lord Kunthunath the 17th Jain Tirthankara. There is no idol inside the temple.

Some structure on the banks of Tungbhadra get submerged during monsoon. Many more might have sunk in sand & mud over centuries

Inside the Bhima Gate. On the walls are engravings of Draupdi & slaying of Kichchika & Dushasana by Bhima

Bhima Gate. Just in front of entry is another stone wall which is in fact an obstruction for intruders. After entering the gate one turns right, then left & again left to enter the city. 


View from right side of Vittala Temple complex. There are hundreds of such standing pillars & hundreds of them in broken state strewn all over Hampi. Enormous amount of funds & man-days must have gone in to sculpting these. Boulders small & large, give a unique backdrop    

Talarighatta Gate of the capital city Vijayanagara

Entry to the Vittala temple complex. Inside are extravagant show pieces, magnificent works of art on pillars, walls, ceilings & the iconic stone chariot  

For more photos of Hampi you may please click on the following links:

1. http://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/08/hampi-karnataka-world-heritage-site.html
Hampi, Karnataka -a World Heritage site: part 1 of 3

2. http://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/09/hampi-karnataka-world-heritage-site.html
Hampi - a World Heritage site: Part 2 of 3