नई दिल्ली में एक संसद मार्ग है जहाँ अनेक बैंक हैं. इनमें कुछ सरकारी, कुछ प्राइवेट और कुछ फिरंगी बैंक भी हैं. इतने बैंक होने के कारण बैंक कर्मचारियों की संख्या भी काफी है. कर्मचारी ज्यादा हों तो कुछ न कुछ घटनाएं होती रहती हैं. ये कर्मचारी दूर दूर से आते हैं यहाँ. कोई ट्रेन से, कोई बस से, कोई कार से पर अपने नरूला साब अपनी फटफटिया से ही आते हैं. पटेल नगर से शंकर रोड, बंगला साहिब और फिर संसद मार्ग. बस 25-30 मिनट में ऑफिस पहुँच जाते हैं.
अपनी फटफटिया स्टैंड पर लगा कर हेलमेट टांग देते हैं. पिछले पहिये के साथ लगे हुए बॉक्स में से लंच बॉक्स निकालते हैं. पिछली जेब से कंघी निकाल कर बाल सेट करते हैं, कमीज़ और पैंट की क्रीज़ बैठाते हैं और फिर लंच बॉक्स लेकर अंदर जाते हैं. दोस्तों से हाथ मिलाते हैं, महिलाओं को नमस्ते करते हैं और मैनेजर को साष्टांग प्रणाम करते हैं. उनकी राज़ी ख़ुशी जान कर फिर पूछते हैं,
- सर आज कौन सी सीट पर बैठना है ?
- नरूला आज आप पास बुक पर जाओ बहुत पेंडिंग पड़ी हैं. तुम्हारी राइटिंग भी ठीक है जाओ.
- जी सर, जी सर. एक रिक्वेस्ट है सर, प्लीज सर. वो ना घरवाली की डिलीवरी नज़दीक है तो सर 5-10 मिनट पहले निकलूंगा सर.
- वाह खुशखबरी है ! चलो ठीक है तुम पास बुक की सीट संभाल लो एक महीने के लिए. पर कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए ठीक है न ?
- जी सर, जी सर. सीट बिलकुल साफ़ मिलेगी सर एकदम टिच.
दो हफ्ते में ही नरूला जी ने ख़ुशख़बरी सुना दी कि जुड़वां बेटियां हुई हैं. मिठाई भी बाँट दी गई. आप तो जानते हैं बातें रुकती नहीं हैं चलती रहती हैं और बात चलते चलते मिसेज़ सुनीता टंडन तक भी पहुँची जो कि फ़ैमिली वे में थी. उन्हें लगा कि पास बुक सीट का फ़ायदा मिल सकता है. मिसेज़ सुनीता ने मैनेजर साब को अनुरोध किया,
अपनी फटफटिया स्टैंड पर लगा कर हेलमेट टांग देते हैं. पिछले पहिये के साथ लगे हुए बॉक्स में से लंच बॉक्स निकालते हैं. पिछली जेब से कंघी निकाल कर बाल सेट करते हैं, कमीज़ और पैंट की क्रीज़ बैठाते हैं और फिर लंच बॉक्स लेकर अंदर जाते हैं. दोस्तों से हाथ मिलाते हैं, महिलाओं को नमस्ते करते हैं और मैनेजर को साष्टांग प्रणाम करते हैं. उनकी राज़ी ख़ुशी जान कर फिर पूछते हैं,
- सर आज कौन सी सीट पर बैठना है ?
- नरूला आज आप पास बुक पर जाओ बहुत पेंडिंग पड़ी हैं. तुम्हारी राइटिंग भी ठीक है जाओ.
- जी सर, जी सर. एक रिक्वेस्ट है सर, प्लीज सर. वो ना घरवाली की डिलीवरी नज़दीक है तो सर 5-10 मिनट पहले निकलूंगा सर.
- वाह खुशखबरी है ! चलो ठीक है तुम पास बुक की सीट संभाल लो एक महीने के लिए. पर कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए ठीक है न ?
- जी सर, जी सर. सीट बिलकुल साफ़ मिलेगी सर एकदम टिच.
दो हफ्ते में ही नरूला जी ने ख़ुशख़बरी सुना दी कि जुड़वां बेटियां हुई हैं. मिठाई भी बाँट दी गई. आप तो जानते हैं बातें रुकती नहीं हैं चलती रहती हैं और बात चलते चलते मिसेज़ सुनीता टंडन तक भी पहुँची जो कि फ़ैमिली वे में थी. उन्हें लगा कि पास बुक सीट का फ़ायदा मिल सकता है. मिसेज़ सुनीता ने मैनेजर साब को अनुरोध किया,
- सर कभी कभी डाक्टर के पास जाना होता है तो मुझे पास बुक की सीट दे दें आप.
- ठीक है सुनीता जी आप कल से पास बुक की सीट सम्भाल लो. पर कोई शिकायत तो नहीं आएगी ना ?
- आप निश्चिंत रहें सर ऐसा कुछ नहीं होगा.
नरूला साब को पास बुक से हटा कर डे बुक सेक्शन में भेज दिया गया और पास बुक की सीट पर मिसेज़ सुनीता टंडन को बिठा दिया. अगले महीने ख़ुशख़बरी आ गई कि मिसेज़ सुनीता टंडन के जुड़वाँ बेटियाँ हुई हैं साथ ही मिठाई भी बँट गई. अब नरूला साब वापिस पास बुकें बनाने में जुट गए.
बातें तो चलती हैं और चलते चलते मिसेज़ भाटिया तक भी पहुंची. मिसेज़ भाटिया मैनेजर से मिली और अनुरोध किया कि मुझे पास बुक की सीट दे दी जाए. मैनेजर साब बोले,
- क्यूँ नहीं क्यूँ नहीं ! मिठाई ज़रूर खिला देना ! पर सीट का ध्यान रखना मिसेज़ भाटिया कोई शिकायत ना आए.
- बहुत बहुत शुक्रिया सर ! मैं पूरा ख़याल रखूँगी.
कुछ दिनों बाद मिसेज़ भाटिया ने भी मिठाई भिजवा दी और साथ में संदेशा भी कि जुड़वाँ बेटियाँ हुई हैं !
मैनेजर साब ने नरूला साब को बुलवाया और बोले,
- ओ भई नरूला ये क्या हो रहा है ?
- जी सर ?
- जबसे आप को पास बुक की सीट पर लगाया था ब्रांच में हलचल शुरू हो गई थी. सभी लेडीज़ को यही सीट पसंद आ रही थी.
- जी सर ?
- और अब कोई लेडी यहाँ बैठने को तैयार नहीं है. ये भी तुम्हारी वजह से है. तुम्हारी जुड़वां बेटियां, फिर मिसेज़ टंडन की जुड़वां बेटियां और अब मिसेज़ भाटिया की जुड़वां बेटियां ! अब कोई भी लेडी यहाँ नहीं बैठना चाहती. अब आप ही पास बुकें बनाते रहो.
- नो सर नो सर ! मैं भी नहीं बैठना चाहता हूँ यहाँ पास बुक की सीट पर. अब अगर जुड़वां मेरे घर दोबारा आ गईं तो ?
मैनेजर साब ने नरूला साब को बुलवाया और बोले,
- ओ भई नरूला ये क्या हो रहा है ?
- जी सर ?
- जबसे आप को पास बुक की सीट पर लगाया था ब्रांच में हलचल शुरू हो गई थी. सभी लेडीज़ को यही सीट पसंद आ रही थी.
- जी सर ?
- और अब कोई लेडी यहाँ बैठने को तैयार नहीं है. ये भी तुम्हारी वजह से है. तुम्हारी जुड़वां बेटियां, फिर मिसेज़ टंडन की जुड़वां बेटियां और अब मिसेज़ भाटिया की जुड़वां बेटियां ! अब कोई भी लेडी यहाँ नहीं बैठना चाहती. अब आप ही पास बुकें बनाते रहो.
- नो सर नो सर ! मैं भी नहीं बैठना चाहता हूँ यहाँ पास बुक की सीट पर. अब अगर जुड़वां मेरे घर दोबारा आ गईं तो ?