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Wednesday, 8 June 2016

गरम सूट

चीफ साब का प्रवचन चल रहा था और ब्रांच के चारों मैनेजर ध्यान से सुन रहे थे. या फिर ध्यान से सुनने का नाटक कर रहे थे कौन जाने? चीफ साब के साथ विचारों का आदान प्रदान बहुत ही कम होता है केवल आदान आदान ही होता है. वो बोलते हैं मैनेजर सुनते हैं. ऐसा सुना गया है कि चीफ साब भी वही बोलते हैं जो उनके जनरल मैनेजर ने मीटिंग में कहा था. याने जैसे पानी ऊपर से नीचे चलता है वैसे ही डांट, फटकार और झिड़कियाँ ऊपर से चालू होती हैं और नीचे की ओर चल पड़ती हैं. कुछ समय बाद नीचे धीरे धीरे शान्ति हो जाती है तब तक ऊपर से फटकार की दूसरी लहर चल पड़ती है!

अभी डांट फटकार पूरी भी नहीं हो पाई थी कि उस से पहले ही फ़ोन बज गया. लीजिये ऑडिटर आने की खबर आ गई. चीफ साब ने घोषणा कर दी कि सोमवार को गुड़गांव से ऑडिट टीम आ रही है तैयारी कर ली जाए. बंगाली बाबू आ रहे हैं. ऑडिट याने गरीबी में आटा गीला, सन्डे की छुट्टी भी गई!

मैनेजर 1 ने सोचा यार 30 साल की सर्विस हो गयी है. 30 ऑडिटर आये और 30 आ कर चले गए. एक और आ जाएगा तो कौन सी बड़ी बात है. बस खड़ूस नहीं होना चाहिए. आये गपशप मारे, किताबें चेक कर ले और छुट्टी करे. कौन सा हमारे घर का काम है. जवाब दे देंगे गलती होगी तो ठीक कर देंगे क्यूँ जी ? ये तो ज़िन्दगी के मेले हैं चलते रहेंगे.

मैनेजर 2 ने सोचा हर साल का लफड़ा है स्साला. टाइम भी लगाओ, खातिरदारी भी करो,और फिर भी गलतियां निकालते रहते हैं. काम हम करते हैं और हमारे सर पे सवारी ये करते हैं. पिछले साल की ऑडिट रिपोर्ट अभी बंद नहीं हुई है और नया ऑडिटर आ गया है. स्सालों को बुलाते ही क्यूँ हैं?

मैनेजर 3 ने मन ही मन अपने जॉब-चार्ट पर नज़र डाली दो कमज़ोर एरिया याद आये. उसे लगा कि ऑडिटर के आने से पहले सफाई की जा सकती है. फिकरनॉट आने दो बंगाली बाबू को माछ-भात की दावत होगी.

मैनेजर 4 आने दो आने दो. इन्हें क्या चाहिए सब पता है अपन को, दिन में मीठी बोतल रात में कड़वी और सन्डे का सैर सपाटा बस हो गया ऑडिट. बाबू मोशाय को घुमा भी देंगे और बोतलें भी पिला देंगे कौन सा अपने पल्ले से पिलानी है?

सोमवार को ऑडिटर बनर्जी अपनी टीम के साथ आ गए. परिचय के लिए मीटिंग बुलाई गई उसमें ऑडिटर साब बोले,
- मैं फ़ास्ट काम करना पसंद करता हूँ. इसलिए आप अपना काम करते रहें मुझे डिस्टर्ब ना करें. लंच में केवल एक प्लेट सलाद लूँगा बस. सन्डे को आसपास कहीं घूमने घामने का इरादा नहीं है बल्कि काम करूंगा आप इंतज़ाम कर लो. मेरे पास पेन, पेंसिल और लैपटॉप है इसलिए आप ये जो स्टेशनरी लाए हो अपने पास रख लो.
ऑडिट आनन फानन में समय से पहले समाप्त हो गया. जाने से पहले चीफ साब के केबिन में विदाई समारोह का प्रबंध किया गया. धन्यवाद प्रस्ताव के साथ गरम सूट का गिफ्ट पैक पेश किया गया तो ऑडिटर बाबू बोले,
- मैं नहीं लूँगा ये और ना ही आपने मेरी टीम में किसी को कुछ देना है. धन्यवाद, बाय !

सब ने खड़े हो कर नमस्ते की और ऑडिटर साब को विदा कर दिया.
सभी मैनेजरों को लगा कि ऑडिट और ऑडिटर के बारे में अपने विचार एडजस्ट करने की ज़रुरत है. 
हाँ वो गरम सूट? वो तो चीफ साब ने सिलवा लिया है.

नया सवेरा नए विचार

1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/05/blog-post_27.html