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Thursday, 14 April 2016

ये तो राम जाने

बॉस तो बॉस होता है और हर एक का कोई बॉस होता है. और उस बॉस का भी कोई बॉस होता है और उस बॉस के ऊपर भी एक कमबखत होता है. खैर छोड़िये हमें तो अपने बॉस से मतलब है जो कि झुमरी तल्लिय्या के रीजनल मैनेजर है.

आइये आप को मिलवा देते हैं गोयल साब से. 56 के हैं, रंग सांवले और काले के बीच का है और दिल भी वैसा ही है. छोटा कद है पर पेट बड़ा है क्यूंकि बियर के शौक़ीन जो हैं. अगर मुफ्त की मिले तो और भी अच्छा है. सिर के बाल उड़ चुके हैं बस किनारे किनारे एक झालर सी बची हुई है. फिर भी पिछली जेब से कंघी निकाल कर दिन में 5 - 7 बार झालर को जरूर संवारते हैं. इन बॉस का बस चले तो अपना सारा स्टाफ महिलाओं का हो पर झुमरी में कहाँ से लाएं ?

अब ट्रान्सफर झुमरी रीजनल ऑफिस में हो गई तो गोयल साब से भेंट हुई दो साल पहले. अब वापिस जाना है दिल्ली इसलिए अर्जी लगा दी है बॉस के दरबार में लेकिन कम्बखत आगे ही नहीं खिसक रही है. यहाँ से चले तो बड़े दरबार के बड़े बॉस के पास जाएगी तब ना काम होगा.

एक दिन मौका देख कर उनके पी ए से अर्जी के बार में पूछा तो पहले तो उन्होंने टेबल के नीचे डस्टबिन उर्फ़ पीकदान में पिचकारी फेंकी फिर बोले:
- हम आपकी अर्जी देखे थे और पढ़े भी थे. फ़ाइलवा में तरीके से रख के साब के टेबलवा पर रख दिए थे. अभी तो जो है सो साब अर्जी देखे नहीं ना हैं. आजकल क्लोजिंग के चलते दौरे पर चल रहे हैं ना भाई. 31 मार्च का टारगेटवा का सवाल है भाई. अर्जी पे जे कुछ होगा तो बताय दिया जाएगा. चिंता न करें. खैनी खाइए ना ?

कुछ दिन बाद बॉस के ड्राईवर को पकड़ा शायद अर्जी को आगे बढाने का रास्ता बताए तो बोला:
- हम बताय रहें सर जी कुछ खर्चा कीजिये पार्टी शार्टी दीजिये साहब को तब ना कुछ होगा. अपने आप से फाइल नहीं ना चलती है. जब पार्टी करें तो ज़रा सा हमारा भी ख़याल रखियेगा साब.

अब बॉस के शेयर ब्रोकर से बात की तो कहने लगा,
- सर जी कहाँ दिल्ली के चक्कर में पढ़े आप. यहाँ झुमरी में रहिये दो ठो साल और. सुबह जंगल में तितर बटेर का शिकार कीजिये. और सर जी ताल तल्लिय्या बहुत हैं. सांझ को काँटा डालिए, माछ पकड़िए और बियर के साथ आनंद लीजिये. दिल्ली जाइएगा तो रोजाना डांट ना खाइएगा मैडम से ? देखते हैं गोयल साब को मैडम डोज़ दिए रहती हैं. किसी दिन हाकिम का अच्छा मूड देख कर बात चला दीजिएगा अर्जी के बारे में. काहे कि जल्दी है?
तबसे बॉस का मूड रोज देख रहे हैं कि कौन से दिन सुधरेगा:

सुना है बॉस का है मूड ख़राब -- क्यों ?
ये तो राम जाने !
चढ़ा है बुखार ? क्या है मौसमी या है वाइरल ?
ये तो राम जाने !
या फिर लुढ़का होगा शेयर बाज़ार ?
ये तो राम जाने !
क्यूँ चढ़ा है पारा बॉस का ? शायद लड़ा हो बीवी से ?
ये तो राम जाने !
क्यूँ गरम है ? क्यूँ बरस रहा है बॉस ?
ये तो राम जाने !
क्यूँ उड़ गए उसके बाल ? या फिकर से ? या काम से ?
ये तो राम जाने !
अब होगा क्या मेरी दिल्ली ट्रांसफ़र का ?
ये तो राम भी ना जाने !
                                              
बॉस 
     

2 comments:

A.K.SAXENA said...

Wah wah kya baat hai. Haqikat bayan kar di hai aaj kal ke Boss ki. Badi mazedar hasya bhasha ka prayog kiya hai aapne. Kahan se hasya ke khyalat laate hain aap,*yeh to raam jane*।

Harsh Wardhan Jog said...

धन्यवाद सक्सेना जी. चलते फिरते क्या नज़र आ जाए ये तो राम जाने !