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Thursday 28 April 2016

किट्टी

रीजनल मैनेजर गोयल साब की पत्नी की इच्छा थी कि झुमरी तल्लैया में एक किट्टी क्लब होना चाहिए.
- कौन सा मुश्किल काम है साहब. बस समझिये कि किट्टी क्लब खुल गया. मेम्बर्स किसको बनाना चाहेंगी मैडम?
गोयल साब तो हमारे बॉस हैं और उन के अंडर में चार अदद चीफ मैनेजर और चार ही छोटे मैनेजर थे तो आठ पत्नियाँ मेम्बर हो सकती हैं. पर बॉस का विचार कुछ और था बोले:
- भई मैडम सिलेक्टेड ही रखना चाहती हैं.
- बिलकुल ठीक सरजी. झुमरी में हम चार ही तो चीफ हैं जी सबको ख़बर कर देता हूँ. भीड़ बढ़ाने का क्या फायदा. पहली मीटिंग अपने घर रख देता हूँ साब शनिवार शाम को.
- भई ये किट्टी है मैडम की उन्हीं को ही करने दो.
- जी सर जी सर. आप ठीक कह रहे हैं सर. मैं मैडम का नम्बर दे देता हूँ सभी को वो आपस में खुद बात कर लेंगी. कुछ सामान की ज़रुरत पड़ी तो मैं पहुंचा दूंगा सर.

एक तो बॉस और फिर उसका बॉस आप जानो कि दो पाटन के बीच में साबुत बचा ना कोये ! अब तक हमारी सलामी लगती थी गोयल साब को अब हमारी पत्नी की सलामी लगेगी श्रीमती गोयल को. गोयल साब तो बड़े खड़ूस किसम के हैं और श्रीमती गोयल का पता नहीं - खुदा खैर करे ! पर वो ही बात हुई जिसका अंदेशा था याने हमारी तो पहली किट्टी में ही मिट्टी फेर दी हमारी पत्नी ने. सजधज के तो चली गयीं पर खाली हाथ. चीफ न. 2 की मैडम एक बुक्के ले गयीं, चीफ न. 3 की मैडम कॉफ़ी मग का सेट ले गयी और चीफ न. 4 की मैडम गिलास का सेट. अब तो कुछ आपातकालीन कदम उठाने पड़ेंगे तुरंत.

बीच बीच में किट्टी की ख़बरें आती रहती हैं. गोयल मैडम गहने बदल बदल कर किट्टी में आती हैं. जैसे गोयल साब दफ्तर में रौब जमाते हैं वैसे ही मिसेज़ गोयल किट्टी में बॉस बनने की कोशिश करती हैं. आज मैडम न. 4 की साड़ी की बड़ी चर्चा रही. इस बार मैडम न. 2 का नेक्लेस बड़ा पसंद किया गया. इस किट्टी में मैडम न. 3 की इडली बड़ी पसंद आई. इस बार आने वाली प्रमोशन की चर्चा रही जिसमें मैडम न. 2 और 4 बहुत उम्मीद कर रही हैं. और एक किट्टी में तो ड्राईवर का ही मुद्दा छाया रहा. बस जी किट्टी कथा क्या पूछो जैसे - हरी अनंत हरी कथा अनंता!
कुछ दिनों बाद चीफ न. 4 का ट्रान्सफर हो गया और उनकी जगह जो नए चीफ न. 4 आये वो अकेले ही आ गए क्यूंकि उनकी मैडम दिल्ली में किसी दूसरे प्राइवेट कंपनी में मैनेजर थीं. पर किट्टी हर दूसरे शनिवार को यथावत जारी रही.

कुछ दिनों बाद मैडम न. 4 छुट्टी ले कर झुमरी घुमने आई तो उन्हें भी किट्टी में शामिल करने का न्योता भेज दिया गया. मैडम न. 4 ने कसी हुई जीन, स्पोर्ट्स शूज़ और लाल टॉप पहन कर किट्टी में प्रवेश किया. बाल कटे हुए और अंग्रेजी फर्राटेदार. सबकी साड़ियाँ और शक्लें फीकी पड़ गयीं. हेल्लो बाद में की पहले सब से गले मिली और तपाक से बोली,
- मिसेज़ गोयल आपका फ्रिज किधर है? और ग्लासेज कहाँ हैं? मुझे पता है कि गोयल सर बियर बहुत पसंद करते हैं.
फ़टाफ़ट मैडम न. 4 ने फ्रिज में से दो बियर निकाल ली और नमकीन और पांच गिलास भी किचन में से खोज निकाले. सारा सामान ट्रे में रख कर ले आई.
-  किट्टी बिना बियर के थोड़ी होती है कमऑन यार चियर्स!

मैडम न. 4 आँधी की तरह आई और तूफ़ान की तरह निकल गई. पर उस किट्टी के बाद से तो झुमरी तल्लैया में बियर की सेल बहुत बढ़ गयी है.

किट्टी पार्टी 
     

Tuesday 26 April 2016

Shivasamudram, Karnataka

Bangalore and nearby area are situated on Deccan Plateau having average elevation of 3020 feet above sea level. Due to this elevation Bangalore enjoys cool breeze and equable climate all through the year. Temperature rarely goes below 12 degrees or above 30 degrees Celsius. Several small and large hills, good amount of rains have resulted in monsoon rivulets and lakes which form delightful part of the landscape. Falls are also formed in various places. Shivasamudram Falls is one such lovely example where water falls down about 380 feet. This Falls is a fragmented falls best seen during monsoon. Shivasamudram is a small town on the banks of Kaveri in Mandya district of Karnataka. It is about 130 km from Bangalore. Road snakes through populated villages having temples and dargahs. Bridges are also narrow therefore careful and patient driving is suggested. 
Water falling down 380 feet

Kaveri river meanders it's way through rocks & boulders of Deccan Plateau. The river splits in two channels before it reaches the town and falls down 380 feet in fragmented Falls. Roaring and abundant Falls are seen in monsoon. 

Of the two channels the western one falls on the left side and is called as Gaganchukki. The eastern channel falls on right side and is called Bharachukki. These two channels are not close but are separated by a few kilometers. Bharachukki has natural surroundings and the scenery here is beautiful. Fall of water generates mist which adds to the beauty. 

This place also boasts of first hydro electric power station in Asia set up in 1902. It was commissioned by Diwan of Mysore Sir K Seshadri Iyer. First town to receive the hydro electricity was Kolar Gold fields. 

One with nature

A visitor enjoying the scenery

Another panoramic view

More visitors

View from afar

One of the temples on the way

One of the houses on the way



Friday 22 April 2016

नैनो, नीनो और नीना

नैनो का नाम लेते ही कार की याद आ जाती है. सबसे छोटी और सबसे सस्ती कार जो ना अब सस्ती रही और ना छोटी. आजकल बदलाव तो तेजी से आ रहा है चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो. पहले चलने वाले बड़े और भारी भरकम टीवी, मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर छोटे, हलके और सुंदर होते जा रहे हैं. छोटे या नन्हें या नैनो होते जा रहे हैं. ग्रीक भाषा से लिए गए इस शब्द 'नैनो' का मतलब है छोटा. अब नैनो का मतलब छोटा तो है पर कितना छोटा है ये नापने के लिए नैनो मीटर की परिभाषा भी बना दी गई - एक मीटर का एक अरब-वां भाग एक नैनो मीटर कहलाता है.
गणित में इसे यूँ लिखेंगे: 10−9
आँख से तो देख नहीं सकते नैनो मीटर के बराबर की चीज़ को पर अंदाजा लगाने की लिए कुछ मजेदार उदाहरण हैं :
* एक इंच में दो करोड़ चौव्वन लाख नैनो मीटर हैं.
* अगर खेलने वाला एक कंचा एक नैनो मीटर का है तो पृथ्वी एक मीटर की होगी!
* एक और मजेदार तुलना देखिए. पुरुष की दाढ़ी 24 घंटे बढ़ती रहती है. और रोज ही उस्तरा चलता है. अब अगर किसी महानुभाव ने उस्तरा उठाया और गाल पर लगाया तो इस दौरान दाढ़ी एक नैनो मीटर बढ़ गई होगी !

हमारा शरीर, खाना, कपड़े यहाँ तक की ये धरती सभी छोटे छोटे अणु परमाणु से बने हुए हैं जो आँखों से देखे नहीं जा सकते. देखने के लिए अगर औजार हों तो बहुत सी चीजें देखी समझी जा सकती हैं और बहुत सी फायदेमंद चीज़ें की भी जा सकती हैं. इस ओर वैज्ञानिकों ने लगभग 30 साल पहले काम शुरू किया था. पहले STM याने scanning tunneling microsope आया फिर AFM याने atomic force microscope आया तो नैनोविज्ञान और नैनोटेक में काम चल पड़ा. नैनोटेक या नानो टेक्नोलॉजी को यूँ परिभाषित किया गया की है कि1 नैनो मीटर से 100 नैनो मीटर तक के पदार्थ की इंजीनियरिंग या जुगाड़ बाजी. नैनोटेक से बने खेलकूद के सामान, साइकिलें, शीशे के सामान हलके फुल्के और ज्यादा मजबूत हैं. कई तरह के रसायन भी नैनोटेक से बनने लगे हैं.

अमरीका ने 2001 से अब तक नैनो विज्ञान और नैनो टेक पर 24 अरब डॉलर लगाए हैं. यूरोपियन सरकारें भी R&D में काफी पैसा लगा रही हैं जिससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह विषय महत्वपूर्ण है और आगे आने वाले समय में नैनोटेक का बहुत उपयोग होगा.

सागर तट पर बादल, कन्याकुमारी 

अब बात करते हैं नीनो की. नीनो / एल नीनो / अल नीनो / अल निनो यह स्पेनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है छोटा या नन्हा बालक. दक्षिणी अमरीका के देश पेरू और इक्वाडोर प्रशांत महासागर के किनारे बसे हैं. वहां के मछुआरों ने अल नीनो का अर्थ नन्हा ईसा या शिशु क्राइस्ट लिया हुआ है क्यूंकि अल नीनो का प्रभाव क्रिसमिस के दिनों में ही देखा जाता है.

क्रिसमिस के आस पास के दिनों में प्रशांत महासागर के तल के तापमान में बढ़ोतरी और साथ ही वायु मंडल में बदलाव आता है. इस घटना को अल नीनो कहा जाता है. परन्तु यह परिभाषा जरूरत से ज्यादा सरल हो गई. प्रशांत महासागर, किनारे की जमीन याने दक्षिणी अमरीका और समुद्री हवा का तापमान, दबाव और स्पीड के सम्बन्ध जटिल हैं. और यह किसी विशेष समय पर होने वाली एक घटना न होकर बहुत सी घटनाओं का मिश्रण है. आजकल अल नीनो का अर्थ इन घटनाओं से विश्व के मौसम का बदलाव माना जाता है. यह अल नीनो हर साल न होकर कई सालों के अंतराल में होता है.

अल नीनो याने गर्म जलधारा और समुद्री हवाओं का असर ऑस्ट्रेलिया, फिलिपीन्स होते हुए इंडोनेशिया और भारत तक पहुँच जाता है. इसके गर्म होने के कारण मानसून भी कमजोर पड़ जाता है और बारिश कम हो जाती है. बारिश कम होती है तो खेती खराब होती है और महंगाई बढ़ जाती है. रिज़र्व बैंक ब्याज दर बढ़ा देता है. हमारे होम लोन की किश्त बढ़ जाती है.
लो कर लो बात अल नीनो की!

पानी नीचे की ओर बदल ऊपर की ओर, जोग फाल्स, कर्णाटक 
अल नीनो का विपरीत है ला नीना याने ठंडी जलधारा. अल नीनो अगर सागर पुत्र है तो ला नीना सागर पुत्री. ये सागर की संतानें विपरीत स्वभाव की हैं और इनका प्रभाव भी विपरीत ही होता है. ला नीना में प्रशांत महासागर की सतह का तापमान 2 से 5 डिग्री तक कम हो जाता है.  ला नीना आर्द्र याने humid मौसम लाती है जिसकी वजह से उत्तरी अमरीका, इंडोनेशिया और आस पास बारिश बढ़ जाती है. भारतीय मानसून भी प्रभावित होता है और ज्यादा बारिश लाता है.

ला निना भी स्पेनिश भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है नन्हीं बालिका. परन्तु ला नीना कई बार भयंकर बारिश और बाढ़ का भी कारण बन जाती है.

अल नीनो और ला नीना का कोई निश्चित समय नहीं है. ये भी जरूरी नहीं की अल नीनो के बाद ला नीना ने आना ही है. इन दोनों धाराओं का अध्ययन 1960 के बाद से शुरू हुआ था और इनसे विश्व के मौसम की बेहतर जानकारी मिलने लगी है.

चलिए हम तो इस मानसून में ला नीना का स्वागत करेंगे. बारिश ज्यादा आये, खेती का उत्पादन बढ़े तो मंहगाई घटे. और मंहगाई घटे तो पूरे देश का कल्याण हो. 

बादल तो बहुत हैं पर बारिश नहीं 


Wednesday 20 April 2016

बाइक बंद

कबीर नरूला का मन मोटर साइकिल देख कर बड़ा ललचाता था. उसे ख़याल आता की बाइक फटफट कर के दौड़ रही है और मैं कमीज़ के ऊपर के बटन खोल कर चला रहा हूँ और शर्ट के कॉलर हवा में फड़फड़ कर रहे हैं वाह! बाइक मिले तो बस ज़िन्दगी बन जाए. बड़े लड़कों की महफ़िल में बाइक की बातें सुन सुन कर सभी तरह के मॉडल पहचानता था, उनकी कीमतें, स्पीड और गियर सिस्टम वगैरा के बारे में जानता था.

बार बार मम्मी से कहता की अब की बार मैं बाइक लूँगा. हर बार एक ही जवाब मिलता की अभी 15 साल का है थोड़ा रुक जा जरूर दिलवाएँगे. पापा का भी वही जवाब अरे रुक जा यार अभी लाइसेंस तो बने पहले तेरा फिर दिलवा देंगे. अभी तो तेरी क्लास वाले सारे बच्चे साइकिल पर ही जाते हैं. 32 नम्बर की नम्रता भी तो साइकिल पे जाती है.

नम्रता के नाम से कबीर चिढ़ जाता था. इन लड़कियों को क्या पता बाइक के मज़े का? इनका काम है पीछे बैठना बस. बाइक तो मर्दों की निशानी है. वैसे भी दोनों के बीच पढ़ाई के नंबरों की भी रेस लगती थी. कभी नम्रता के किसी सब्जेक्ट में ज्यादा तो कभी कबीर के. पर अगर मम्मी पूछ ले कि नम्रता के नम्बर कम आये या ज्यादा तो कबीर का माथा झनझना जाता था. जब देखो नम्रता?

सन्डे सुबह मामाजी अपनी नई बाइक ले कर मिलने आ गए. कबीर की तो बांछे खिल गयीं. मामा से उसके बारे में एक एक चीज़ पूछी और जब मामा ने पूछा चलानी आती है तो यूँ ही बोल दिया हाँ हाँ मैंने दोस्तों की बाइक चलाई है. अंदर चाय शुरू हुई और इधर कबीर ने बाइक में चाबी लगाई और थोड़ी दूर तक ठेल ठाल के सड़क पर ले आया. बाइक पर बैठ कर बटन दबाया फटफट चालू हो गई. मन में जोश आ गया चेहरे पर मुस्कान आ गई. अब तो 32 नम्बर के आगे से ही निकालूँगा नम्रता की बच्ची.

नम्रता अपनी साइकिल ले कर घर से बाहर निकल रही थी. उसने मोटर साइकिल आते देखा ओ ये तो कबीर का बच्चा लग रहा है. नजदीक आते ही उसने कांग्रेट्स बोला और हाथ कबीर की तरफ बढ़ा दिया. तपाक से कबीर ने भी थैंक्यू बोलकर हाथ बढ़ा दिया. पर दोनों के हाथ मिलने से पहले ही बाइक का हैंडल डगमगाया और कबीर धाड़ से नीचे गिरा. बाइक गिरी और घूंघूं करके पिछला पहिया तेजी से घुमने लगा और फिर बाइक का इंजिन बंद हो गया.

घबरा कर और झेंप कर कबीर जल्दी से उठा. कोहनी में तेज़ दर्द हो रहा था हाथ लगाया तो देखा खून भी निकल रहा था. सिर के दाहिने ओर भी खरोंच थी और एकाध बूँद खून की भी थी. कमीज़ कोहनी से फट गई थी. घुटने पर भी पैंट फट गयी पर खरोंच हलकी थी. पर उसे चिंता नयी बाइक की थी. आज तो हो गया काण्ड. बाइक उठाने की कोशिश की तो उसके मूंह से 'हुंह' की आवाज़ निकली. तुरंत नम्रता ने बाइक को दूसरी तरफ से पकड़ा और दोनों ने स्टैंड पर खड़ी कर दी.

नम्रता उसे खींच कर अंदर ले गई. वो, उसकी मम्मी, उसके पापा और छोटी बहन सेवा में लग गए. डेटोल, रुई, बैंड-ऐड, हल्दी और गरम दूध सब एक साथ हाजिर हो गए. घर फोन भी कर दिया. पर कबीर का ध्यान बाइक में ही था. मामा, मम्मी और पापा सब आज पीटेंगे. पट्टी करने के बाद नम्रता ने कबीर को अपने साइकिल पर बिठाया. कबीर कैरियर पर बैठा और एक टांग एक तरफ और दूसरी टांग दूसरी तरफ लटका ली. नम्रता ने कहा अरे बच्चू इमप्रैशन ज़माने आया था और हंस पड़ी. बच्चू को भी हंसी आ गयी.

अगले दो घंटे कबीर की जबान पर ताला लगा रहा पर कान तो खुले थे और सबके लेक्चर सुनकर गरम हो कर लाल हो रहे थे.
- जरा सबर नहीं है लड़के को. सोते जागते मोटर साइकिल, मोटर साइकिल. और चला ले मोटर साइकिल!
- दिल तो कर रहा है की दो चांटे लगाऊं इसकी कनपटी पर. कमबख्त नई गाड़ी चोरों की तरह ले गया. कम से कम पूछता तो सही.
- ओ जी बच्चा है जाने दो अब.
- काए का बच्चा है ये? ( ये सुनकर कबीर मुस्कराया ), अपना भी नुकसान कर आया और दूसरों का भी. बाज़ार में होता तो इसने पिट जाना था आज.
- ये तो नम्रता पास में थी तो फ़टाफ़ट पट्टी हो गई बाहर होता तो किसने पूछना था ( ये सुनकर कबीर फिर मुस्कराया लो फिर नम्रता आ गई! ). पुलिस ले जाती पकड़ के.
- इसे टेटनस का इंजेक्शन तो लगवा दो जी ( जरा सी चोट है हंगामा कर रखा है. किस बात का इंजेक्शन? वो सोने का नाटक करने लगा ).

अगले कई हफ़्तों तक घर में कोल्ड वार छाई रही और फटफट का जिकर नहीं हुआ. पर इस बीच नम्रता से दोस्ती बढ़ गई और दोनों अब अपनी अपनी साइकिल पर इकट्ठे ही स्कूल जाते हैं.

बाइक बंद !

Saturday 16 April 2016

Long drive

It was a real long drive when we look back - 4900 km. The road went on & on criss-crossing hills, plains & touching the sea coast. It also meant passing through various cultural zones, visiting variety of temples, monuments & museums. This journey of 30 days resulted in 43 photo-blogs which were published in 2015 in instalments. In this present blog, links of all 43 photo-blogs have been brought together at one page for ease of reference.

* Not much of the planning went into this long drive. Lots of diversions took place if we compare to the proposed route map shown here. There were no advance bookings of hotels so as soon as we hit a new town we looked for shelter. That also meant testing mixture of Hindi plus English plus sign language. It was fun! We insisted on Senior Citizen discount but it was not easy to get. During the 30 day tour in Sept '14 min tariff paid was Rs. 500 for the night & max Rs. 3500.

* We stocked fruits, dry fruits, biscuits & namkeen & kept on replenishing. Tried local foods & delicacies also except for non-veg items just to avoid any possibility of sickness or indigestion though we do enjoy them at home. Of course tea, coffee, chach or lassi, cold drinks & packed juices were kept handy & are available all over.

* Our chariot Maruti 800 Alto never gave us any trouble. No puncture or breakdown occurred. We went along smoothly at 40 kmph to max 70 mostly with a/c on. Mid way we had wheel balancing done as a precautionary measure. Parking, manoeuvring Alto was easier but overtaking was not. There was no driving after 5 PM.

* Roads were better in Karnataka, Tamilnadu, Gujrat & Rajasthan but not so good in Kerala & in Maharashtra. Most of Kerala roads are 2 laned but at the same time least toll was paid in Kerala. Roadside greenery in general is pleasing in Kerala, Karnataka & Maharashtra whereas in TN, Guj & Raj it is comparatively less so. Vehicular population on Kerala roads was very high & in Raj it was pretty low. Drive to & fro Jog Falls was toughest - hills, jungles & lonely roads with sign boards mostly in Kannad warning of wild animals!

* GPS failed us couple of times as in some places local traffic police made the roads 'one way' temporarily. But by & large GPS Lady proved helpful. In number of places the pronunciation of the Lady made us laugh specially in Tamilnadu & Kerala. In lots of places mobile phones became useless for want of signals.

* For visiting inside of temples it was always a hassle - take off shoes, camera not permitted or mobile not permitted. In some place leather belts & purses are not permitted. At times camera was permitted but video camera was not. Or permitted with a fee. Wish they make it simpler. Similarly timings differed in temples, monuments & museums.

* Before start we had a basket with loads of 'ifs' on our heads - what if car breaks down? if we fall sick? if we are lost? if the car is stolen? if car is hit? & so on. But the ride finished without any such thing. We feel now that the basket on our heads can be lighter with no 'ifs'. We perhaps drum up imaginary obstacles!

* People all along were friendly & helpful in telling directions or locations of restaurants or monuments despite language mismatch. Variety of food items and of attire encountered is simply amazing. Of course food & clothes depend on geo-climatic conditions. Further we have some type of food here some have another. Here we wear such & such clothes elsewhere they wear other clothes. Therefore to say that me or my community has the best food or best life style is not done. The tour broadened our ideas about India.

Your comments are welcome.

The route 
43. चित्तौढ़गढ़ से
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/03/blog-post_25.html

42. Chittorgrh, Rajasthan.
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/01/long-drive-to-delhi-41-chittorgarh.html

41. Towards Chittorgarh, Rajasthan
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/01/long-drive-to-delhi-41-towards.html

40. Baroda City
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/01/long-drive-to-delhi-40-baroda-city.html

39. Vadodra - ii of ii - Luxmi Vilas Palace
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/01/long-drive-to-delhi-39-luxmi-vilas.html

38. Vadodra - i of ii
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/01/long-drive-to-delhi-38-vadodara-i-of-ii.html

37. On lonely roads in Dang, Gujrat - iii of iii
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/12/long-drive-to-delhi-37-on-lonely-roads.html

36. On lonely roads of Dang, Gujrat - ii of iii
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/12/long-drive-to-delhi-36-on-lonely-roads.html

35. On lonely roads of Dang, Gujrat - i of iii
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/12/long-drive-to-delhi-35-on-lonely-roads.html

34. On lonely roads of Mahrashtra
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/12/long-drive-to-delhi-34-on-lonely-roads.html

33. Trimbkeshwar, Maharashtra
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/12/long-drive-to-delhi-33-trimbkeshwar.html

32. To Shirdi
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/12/long-drive-to-delhi-32-to-shirdi.html

31. Aga Khan Palace, Pune
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-31-aga-khan-palace.html

30. Pataleshwar Temple, Pune
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-30-pataleshwar.html

29. On way to Pune
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-29-on-way-to-pune.html

28. Panhala Fort, Kolhapur
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-28-panhala-fort.html

27. Shree Chatrpati Sahu New Palace, Kolhapur
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-27-shree.html

26. On way to Kolhapur
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-26-on-highway-to.html

25. Jain Temple, Belgaum, Karnataka
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-25-jain-temple-fort.html

24. Belgaum, Karnataka
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-24-to-belgaum.html

23. Warship Museum, Karwar, Karnataka
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-23-warship-museum.html

22. Om Beach, Gokarna, Karnataka.
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-22-om-beach-gokarna.html

21. Jog Falls, Shimoga, Karnataka
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-21-jog-falls.html

20. Murudeshwara Temple, Karnataka http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-20-murudeshwara.html

19. Towards Murudeshwara, Karnataka
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-19-towards.html

18. Bekal Fort, Kasargod, Kerala
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-18-bekal-fort.html

17. Thalaaserry Fort, Kannur, Kerala
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-17-thalassery-fort.html

16. Coast line, Calicut
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-16-coastline-calicut.html

15. Guruvayoor, Kerala
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/11/long-drive-to-delhi-15-guruvayoor-kerala.html

14. Trichur, Kerala
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-14-thrissur-kerala.html

13. In Munnar, Kerala
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-13-munnar-kerala.html

12. Around Fort Kochi
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-12-around-fort.html

11. On way to Cochin
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-11-on-way-to-cochin.html

10. Reached Trivandrum
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-10-reached.html

9. Around Rameshwaram
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-9-rameshwaram.html

8. Summary of places visited
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-8-places-visited.html

7. In Kanyakumari
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-7-kanyakumari.html 

6. Nayak Palace, Madurai
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-6-nayak-palace.html

5. Minakshi temple, Madurai
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-5-meenakshi-temple.html

4. In Madurai Tamilnadu
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/10/long-drive-to-delhi-4-madurai.html

3. Yercaud, hill station of Tamilnadu
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/09/long-journey-to-delhi-3.html

2. Preparing for long drive
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/08/long-drive-to-delhi-2.html 

1. Planning for a long drive
http://jogharshwardhan.blogspot.com/2014/08/long-drive-to-delhi-1.html

The vehicle, the driver & the navigator ready to start from Bangalore


Thursday 14 April 2016

ये तो राम जाने

बॉस तो बॉस होता है और हर एक का कोई बॉस होता है. और उस बॉस का भी कोई बॉस होता है और उस बॉस के ऊपर भी एक कमबखत होता है. खैर छोड़िये हमें तो अपने बॉस से मतलब है जो कि झुमरी तल्लिय्या के रीजनल मैनेजर है.

आइये आप को मिलवा देते हैं गोयल साब से. 56 के हैं, रंग सांवले और काले के बीच का है और दिल भी वैसा ही है. छोटा कद है पर पेट बड़ा है क्यूंकि बियर के शौक़ीन जो हैं. अगर मुफ्त की मिले तो और भी अच्छा है. सिर के बाल उड़ चुके हैं बस किनारे किनारे एक झालर सी बची हुई है. फिर भी पिछली जेब से कंघी निकाल कर दिन में 5 - 7 बार झालर को जरूर संवारते हैं. इन बॉस का बस चले तो अपना सारा स्टाफ महिलाओं का हो पर झुमरी में कहाँ से लाएं ?

अब ट्रान्सफर झुमरी रीजनल ऑफिस में हो गई तो गोयल साब से भेंट हुई दो साल पहले. अब वापिस जाना है दिल्ली इसलिए अर्जी लगा दी है बॉस के दरबार में लेकिन कम्बखत आगे ही नहीं खिसक रही है. यहाँ से चले तो बड़े दरबार के बड़े बॉस के पास जाएगी तब ना काम होगा.

एक दिन मौका देख कर उनके पी ए से अर्जी के बार में पूछा तो पहले तो उन्होंने टेबल के नीचे डस्टबिन उर्फ़ पीकदान में पिचकारी फेंकी फिर बोले:
- हम आपकी अर्जी देखे थे और पढ़े भी थे. फ़ाइलवा में तरीके से रख के साब के टेबलवा पर रख दिए थे. अभी तो जो है सो साब अर्जी देखे नहीं ना हैं. आजकल क्लोजिंग के चलते दौरे पर चल रहे हैं ना भाई. 31 मार्च का टारगेटवा का सवाल है भाई. अर्जी पे जे कुछ होगा तो बताय दिया जाएगा. चिंता न करें. खैनी खाइए ना ?

कुछ दिन बाद बॉस के ड्राईवर को पकड़ा शायद अर्जी को आगे बढाने का रास्ता बताए तो बोला:
- हम बताय रहें सर जी कुछ खर्चा कीजिये पार्टी शार्टी दीजिये साहब को तब ना कुछ होगा. अपने आप से फाइल नहीं ना चलती है. जब पार्टी करें तो ज़रा सा हमारा भी ख़याल रखियेगा साब.

अब बॉस के शेयर ब्रोकर से बात की तो कहने लगा,
- सर जी कहाँ दिल्ली के चक्कर में पढ़े आप. यहाँ झुमरी में रहिये दो ठो साल और. सुबह जंगल में तितर बटेर का शिकार कीजिये. और सर जी ताल तल्लिय्या बहुत हैं. सांझ को काँटा डालिए, माछ पकड़िए और बियर के साथ आनंद लीजिये. दिल्ली जाइएगा तो रोजाना डांट ना खाइएगा मैडम से ? देखते हैं गोयल साब को मैडम डोज़ दिए रहती हैं. किसी दिन हाकिम का अच्छा मूड देख कर बात चला दीजिएगा अर्जी के बारे में. काहे कि जल्दी है?
तबसे बॉस का मूड रोज देख रहे हैं कि कौन से दिन सुधरेगा:

सुना है बॉस का है मूड ख़राब -- क्यों ?
ये तो राम जाने !
चढ़ा है बुखार ? क्या है मौसमी या है वाइरल ?
ये तो राम जाने !
या फिर लुढ़का होगा शेयर बाज़ार ?
ये तो राम जाने !
क्यूँ चढ़ा है पारा बॉस का ? शायद लड़ा हो बीवी से ?
ये तो राम जाने !
क्यूँ गरम है ? क्यूँ बरस रहा है बॉस ?
ये तो राम जाने !
क्यूँ उड़ गए उसके बाल ? या फिकर से ? या काम से ?
ये तो राम जाने !
अब होगा क्या मेरी दिल्ली ट्रांसफ़र का ?
ये तो राम भी ना जाने !
                                              
बॉस 
     

Monday 11 April 2016

मन्नू महाराज

गाड़ी हरिद्वार स्टेशन पर रुकी तो मन्नू उतरा. सामान के नाम पे एक झोला था जिसमें दो जोड़ी कपड़े और टूथ ब्रश वगैरा था. जेब में टिकट तो था नहीं इसलिए प्लेटफार्म की तरफ ना उतर कर दूसरी ओर उतरा. गाड़ी के साथ साथ उलटी दिशा में चल दिया. स्टेशन की हद से बाहर निकल आया तो पटरी फाँद कर सड़क पर आ गया. एक हैंडपंप मिल गया जहाँ हाथ मुंह धोया, पैर धोये तो कुछ ताजगी महसूस हुई. चाय का खोखा देख कर मन्नू बेंच पर बिराजमान हो गए. चाय का गिलास आया तो झोले में हाथ डाल कर मुड़ा तुड़ा पैकेट निकाला जिसमें ढाई बिस्किट और कुछ चूरा निकला. चूरा फाँका, बिस्किट खाए और चाय की चुस्की लेते लेते सोच में डूब गया.

जहाँ तक हरिद्वार का सवाल है वो ऐसा शहर है जहाँ मन्नू जैसे काफी लोगों को समेट लेता है. हरिद्वार में सैकड़ों धर्मशालाएं हैं जैसे कि - खत्री समाज धर्मशाला, गौड़ीय ब्राह्मण धर्मशाला, भराड़ा धर्मशाला, सिन्धी पंचायत धर्मशाला, बहवालपुरी धर्मशाला वगैरा. और इसी तरह से सैकड़ों आश्रम हैं जैसे कि - थानाराम आश्रम, अजरधाम, कमल दास कुटिया, अवधूत जगत राम उदासीन आश्रम, नित्यानंद ब्रह्मचारी आश्रम वगैरा. इनमें कुछ बुज़ुर्ग मिलेंगे जो अपनी मर्ज़ी से यहाँ आये हैं. कुछ मिलेंगे जिन्हें उनके बच्चे छोड़ गए और फिर दुबारा सुध नहीं ली. कुछ नौजवान हैं यहाँ जो शांति की खोज में लगे हैं पर मिल नहीं रही है. बहुत से फिरंगी मिलेंगे जिन्होनें सिर मुंडा कर चोटी रक्खी हुई है पर भटकन उनकी भी जारी है.

मन्नू भी ऐसे ही बेज़ार लोगों में से है. उम्र तो अभी 30 / 32 की ही है पर सूरत पर निराशा छाए रहने के कारण 40 / 45 की लगती है. पिचके हुए गाल, मैले कपड़े और बेतरतीब बिखरे बाल देखकर कोई भी भलामानस दुबारा नहीं देखेगा मन्नू को. पर मन्नू ने अच्छे दिन भी देखे थे. परिवार में तीन बड़ी बहनें भी हैं जिनकी शादीयां हुए ज़माना गुजर गया. पिताजी खंडवा जिले के एक गाँव में पंडिताई करते थे और अच्छा घर चला गए. उनका स्वर्गवास हुए भी समय हो गया.

मन्नू को गाँव छोड़े भी साल भर हो चूका है. इसी गाँव में दसवीं पास करने के बाद शहर में किसी तरह से बी ए कर लिया. पंडिताई करने की जरा भी इच्छा नहीं थी इसलिए कई जगह नौकरी तलाशी पर नहीं मिली. कंप्यूटर भी सीखा पर कोई लाभ ना हुआ. आखिर बैंक से लोन लेकर घर के आगे बरामदे में दूकान खोली पर चली नहीं. माँ ही किसी तरह दूकान चलाती थी और कभी कभी पंडताईन का काम भी कर लेती थी. ताने सुन सुन कर, खीझ और छटपटाहट में मन्नू ने घर छोड़ दिया. बम्बई, जयपुर और ना जाने कौन कौन से शहरों में भटकता रहा. फिर एक दिन यूँ ही हरिद्वार की ट्रेन पकड़ कर यहाँ आ पहुंचा. चाय ख़तम करके चाय वाले से बतियाने लगा.
- भाई यहाँ का कोई आश्रम बताओ जहाँ हफ्ता दस दिन रहने को मिल जाए कुछ खाने को मिल जाए. अपने पल्ले तो अब फूटी कौड़ी भी नहीं है. जो काम बताएंगे हम कर देंगे. जानकारी लेकर मन्नू ने आश्रम की ओर प्रस्थान किया. वहां प्रबंधक से बोला:
- देखिये जी हम तो परमात्मा की खोज में निकले हैं. बी ए पास हैं, पूजा पाठ, कर्मकांड के श्लोक मन्त्र सब जानते हैं और कंप्यूटर भी चलाना जानते हैं. हम तो यहाँ सेवा भी कर देंगे और गुरु जी से ज्ञान भी प्राप्त करना चाहेंगे.

खोजते खोजते एक आश्रम में मन्नू को कमरा मिल गया और काम भी लाद दिया गया. दिनचर्या ही बदल गई. सुबह चार बजे उठना, नहाना धोना और पांच बजे तक हाल में गुरु जी के प्रवचन का इन्तजाम करना. दिन में कभी सफाई का तो कभी खाने का काम देखना. नए लोगों को संभालना वगैरा. फिर शाम के प्रवचन का इंतज़ाम. रात नौ कब बज जाते थे पता ही नहीं लगता था.

तीन महीनों में मन्नू की रंगत ही बदल गई. बदन और गाल भर गए बाल संवर गए. गुरु जी ने भी देखा की लड़का मन्त्र और श्लोक जानता है, फालतू बोलता नहीं है और मन लगा कर काम कर रहा है. छह महीनों में मन्नू गुरु जी के विश्वासपात्रों में शामिल हो गया. अब उससे राय भी ली जाने लगी, बैंक और कैश का काम भी दे दिया गया. मन्नू ने लगातार ईमेल वगैरा से फिरंगियों का आश्रम से संपर्क बढ़ा दिया और अब डॉलर भी ज्यादा आने लग गए. मन्नू ने गुरु जी से घर जाने की आज्ञा मांगी माँ के दर्शन करने हैं. गुरु जी ने यात्रा के लिए पैसे दिये और माँ के लिए अलग से कपड़ों और दक्षिणा की पोटली भी रखवा दी. फिर भी मन्नू ने फुटकर कैश में से बिना पूछे दस हज़ार निकाल लिए और गाँव चला गया.

पंद्रह दिन बाद पुन: वापिस आया तो ना उसने ना किसी और ने दस हज़ार रुपयों की बात की. वहां तो भव्य जन्माष्टमी मनाने की बातें हो रही थी. गुरु जी के विचार में यह कार्य एक सप्ताह पहले शुरू होना चाहिए, लगातार लंगर और प्रसाद, बढ़िया सजावट वगैरा होनी चाहिए. जो आज्ञा कह कर सबने तैयारी शुरू कर दी. बढ़िया इन्तेजाम हुआ, खूब जनता आई, खूब चढ़ावा चढ़ा और आश्रम का और गुरु जी का भी नाम हुआ. सभी कार्यकर्ताओं को गुरु जी ने आशीर्वाद के साथ उपहार और दक्षिणा दी. मन्नू ने इस बार कैश में से एक लाख रूपये पार कर दिए.

अगली जन्माष्टमी पर मन्नू की मन्नत पूरी हो गई. गाँव के पास एक हज़ार गज जमीन खरीद कर अपना आश्रम बना डाला. सुना है कि आजकल मन्नू आश्रम की अच्छी मान्यता है और वहां भक्त जनों की लम्बी लाइन लगती है.
बोलो मन्नू महाराज की जय!

सब नश्वर है 


Friday 8 April 2016

प्रेमी पेपर्स

जबसे ये पनामा पेपर्स की ख़बर आई है नींद खराब हो गई है. पहले पहल तो पनामा के नाम पर पनामा सिगरेट की याद आई पर फिर गौर से पूरी खबर पढ़ी तो देखा मामला धन दौलत का है और इसमें काला सफ़ेद रंग भी है. ये तो बहुत सतर्क रहने वाली बात है साहब. इसलिए अपने ख़ास ख़ास पेपर्स को आजकल रोज रात को चेक कर रहा हूँ कहीं कुछ लीक तो नहीं हुआ.

ये लीक करना भी कुछ खोजी पत्रकारों का रोज का ही काम हो गया है और लीक का साइज़ भी बढ़ता जा रहा है. 2010 में विकीलीक ने 1.7 GB डाटा लीक कर दिया था. 2014 में लक्सम्बर्ग फ़ाइलें की लीक 4.4 GB हो गई. 2015 में स्विस फ़ाइल की लीक 3.3 GB थी. और अब पनामा पेपर लीक ने तो रिकॉर्ड तोड़ दिया 2600 GB. इतने जरूरी पेपर वो भी देवी लक्ष्मी से सम्बंधित कमबख्त संभाल के नहीं रखते?

उत्सुकता हुई तो देख कि पनामा है कहाँ? गूगल में पनामा का नक्शा देखा तो पता लगा कि उत्तरी और दक्षिणी अमरीका के जोड़ पर बसा हुआ छोटा से देश है. इतने छोटे से देश में इतनी बड़ी लापरवाही? पर ये भी हो सकता है वहां क्लीन चिट देने का रिवाज़ भी हो जैसे अपने देश में है। शायद बाद में पनामा सरकार भी क्लीन चिट जारी कर दे. उसके बाद सब भूल भाल जाएंगे.

पनामा की आबादी मात्र 40 लाख है और पनामा टैक्स हैवन है - याने कमाए जाओ और खाए जाओ कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं. एक हम हैं क़ि पेंशन पर भी टैक्स दिए जा रहे हैं. 15 वें प्रधान मंत्री कुर्सी पर बैठे हुए हैं पर किसी ने भी टैक्स हटाने को कोशिश नहीं की. हटाना तो क्या पेंशन पर टैक्स घटाने के लिए भी कोई प्रधान मंत्री तैयार ना हुआ था ना हुआ है.   

खैर अपने तो सारे पेपर्स अभी तक सुरक्षित हैं. कुछ समय पहले एक जैन हवाला डायरी भी लीक हो गई थी तब भी अपन के कागज तो सुरक्षित बच गए थे. अपन के पेपर्स की एक लिस्ट मैंने भी बनाई हुई है वो आप को पढ़वा देता हूँ बशर्ते आप किसी को लीक ना कर दें:

1. फिक्स डिपाजिट - पत्नी के लिए,
2. फिक्स डिपाजिट - बीमारी के लिए,
3. फिक्स डिपाजिट - बियर और चिकन टिक्का के लिए और 
4. पेंशन की पास बुक. 

इनके अलावा भी अपने लॉकर में कुछ अत्यंत गोपनीय पेपर्स हैं:

1. एक लिफाफा जिसमें चार प्रेम पत्र हैं जो लिखे तो थे पर भेजे नहीं गए थे.
2. एक धमकी भरा पत्र एक GF का कि भाई लोगों से पिटवा दूँगी. आपातकालीन स्थिति के लिए सुरक्षित.
3. एक पर्ची जिस पर दूसरी GF ने लिखा था Sunday eve India Gate. पर उस दिन बाइक पंचर हो गई थी.
4. कॉफी हाउस के एक दर्जन बिल जो नाराज़गी की वजह से मुझे पे करने पड़े थे. वसूली अभी बाकी है.

आप भी अपने पेपर्स संभाल के रखें क्यूंकि ज़माना खराब है और लीक होने का खतरा है.


पेपर्स पर मीटिंग 

Tuesday 5 April 2016

बुलबुल

बिज्जू का इंटरव्यू अच्छा हो गया था और अब बस इंटर कॉलेज में नौकरी पक्की ही थी. घरवाले भी खुश और बिज्जू भी. घरवालों को अब लड़की ढूँढने की कसमसाहट होने लगी और उनका बस चलता तो बिज्जू की नौकरी जिस दिन लगती उसी दिन बिज्जू को घोड़ी पर भी चढ़ा देते .

बिज्जू उर्फ़ बिजेंदर सिंह पढ़ाई में तेज़ थे और बढ़िया नंबर लाते थे. पर बात करने में सहमे से और शर्मीले से रहते थे. ज्यादा दोस्ती यारी नहीं रखते थे और किताबों में ही खोये रहते थे. बिज्जू लड़कियों से तो और ज्यादा कतराते थे जबकि दिल में गुदगुदी खूब होती जब लड़की पास में होती. बिज्जू की इच्छा होती कि छोरी से बात करूं, उसका हाथ अपने हाथ में ले लूं. पर ऐसा हो नहीं पता था क्यूंकि बिज्जू की जबान अटकने लग जाती थी और हाथ पैर लटकने लग जाते थे. मन ही मन कहते की मैं उससे क्यूँ बात करूं वो पहले करे. पर लड़की के जाने के बाद बिज्जू सोचते की अरे यार मैं ही बात कर लेता तो ठीक था - नहीं ऐसा गलत होता. ऐसा ठीक-गलत का द्वंद युद्ध जब भी मन में शुरू होता तो बहुत तलवारें चलती पर फिर बिज्जू खुद से कहते अरे क्या रखा है इनसे बात करने में हुंह! बस बिज्जू का सरेंडर.

नौकरी के पहले दिन बिज्जू प्रधानाचार्य की बातचीत बड़ी गम्भीरता से सुन रहे थे. तभी एक महिला ने अंदर प्रवेश किया. प्रधानाचार्य ने महिला से कहा,
- आओ छवि बैठो. ये हैं बिजेंदर सिंह ये भी आज ही ज्वाइन कर रहे हैं.
बिज्जू ने मन ही मन सोचा कि प्रिंसिपल साब इससे बाद में मिल लेते पर शब्द जबान पर नहीं आये. बिज्जू ने जल्दी से अपने कपड़ों और जूतों का मुआयना किया, बटन और ज़िप चेक किये की ठीक से बंद हैं या नहीं. एक क्षण के लिए सोचा कि छवि को हेल्लो कहूँ या नमस्ते पर तब तक छवि ने अपना हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया. बिज्जू सुन्न पड़ गए. उन्हें पता ही नहीं चला कि उन कुछ क्षणों में छवि से हाथ मिलाया था या नमस्ते की थी या हेल्लो कहा था.  

खाली पीरियड में फैकल्टी रूम कई बार छवि नज़र आ जाती तो ठन्डे झोंके की तरह लगती. उससे बात करने के लिए बिज्जू तैयारी करने लगते. कपड़ों की सलवटें दूर करते, बाल सेट कर लेते और मौसम के बारे में पूछने के लिए मन ही मन प्रश्न तैयार कर लेते पर तब तक छवि उस दिन की अखबार पर चर्चा करने लग जाती और बिज्जू प्रश्न भूल जाते. अगले दिन बिज्जू अखबार का घोटा लगाकर आते तो छवि पिकनिक की बात करने लग जाती. अगर बिज्जू कोई शेर याद करके आते तो छवि किसी फिल्म की बात भटनागर सर से हंस हंस के करने लग जाती. बिज्जू शेर भूल कर तिलमिलाने लग जाते.

बिज्जू सोचने लगे कि ये भटनागर सर भी क्या चीज़ हैं? शादी शुदा होते हुए भी लेडीज़ से बतियाते रहते हैं. छवि को तो इनसे बात ही नहीं करनी चाहिए. पर वो तो उनकी मोटरसाइकिल पर भी बैठ जाती है. मैं भी बाइक खरीद लूं? मेरे साथ बैठी अच्छी लगेगी. पर क्या पता बैठेगी या नहीं? बिज्जू को अपने कानों में छवि की आवाज़ सुनाई पढने लगी, नाक में छवि की परफ्यूम बस गई, अपने रुमाल में छवि की छवि दिखने लगी और कंघी करें तो ऐसा लगे कि छवि के रेशमी बालों में कंघी फिसल रही है. कभी बिज्जू को लगता छवि बुलबुल की तरह चहक रही है और कभी लगता की छवि एक मूर्ती है. अब कॉलेज जाने से पहले बिज्जू का अपनी साज सज्जा में ज्यादा टाइम लगने लगा था.

कुछ दिनों बाद फैकल्टी रूम में छवि मिठाई के साथ अपनी शादी का कार्ड बाँट रही थी. बिज्जू का साँस रुक गया और बधाई शब्द भी बड़ी मुश्किल से जबान से निकला. किसी तरह हिम्मत जुटा कर बिज्जू बोले,
- मैं... मैं तो खुद आपसे शादी की बात करना ...
- बिजेंदर जी आपने देर कर दी.
छवि तो मुस्करा कर चल दी पर बिज्जू का दिन बमुश्किल निकला. शायद मैंने ही देर कर दी? गुमसुम बिज्जू शाम को घर पहुँच कर मम्मी से बोले,
- जो आपने किदवई नगर वाली लड़की बताई थी वो ठीक है. आप उनसे बात कर लो पर देर नहीं करना.

बुलबुल 

Saturday 2 April 2016

रुपया आया रुपया गया

प्रमोशन होने के बाद पहली पोस्टिंग मिली नजफ़ गढ़ ब्रांच में. वहां जाकर इच्छा हुई कि नजफ़ गढ़ का गढ़ कहाँ है देखा जाए और इसका इतिहास क्या है पता लगाया जाय. पर ज्यादातर जानकारी ब्रांच के एक चपड़ासी नफे सिंह ने ही दे दी.

दिल्ली के आखिरी मुग़ल सुलतान ने दो भाइयों को उनकी सेवा से खुश होकर लाल किले से करीबन 30 किमी दूर कुछ गाँव दे दिए. एक भाई का नाम नजफ़ खान था और दूसरे का बहादर खान. दोनों ने वहां किले बनवाए -  नजफ़ गढ़ और बहादर गढ़. दोनों किलों की आपसी दूरी लगभग १० किमी होगी. फिलहाल तो नजफ़ गढ़ दिल्ली में है और बहादर गढ़ हरयाणे में. किलों पे तो जनता जनार्दन का कब्जा हो चुका है. कहीं कहीं आधी अधूरी दिवार या टूटी हुई बुर्ज नज़र आती है. गढ़ तो अब बिना लड़ाई के ध्वस्त हो गया है बस नाम ही रह गया है.

उन्हीं दिनों शायद इस इलाके में धर्म परिवर्तन भी हुआ होगा. कुछ स्थानीय लोग मुसलमान बने होंगे. सन 1947 की उथल पुथल में कुछ लोग चले गए कुछ अब भी हैं यहां. स्थानीय भाषा में इन्हें मूले या मूळे जाट कहते हैं क्यूंकि इनके नाम के साथ सिंह अभी भी लगाया जाता है मसलन - सुल्तान सिंह, दरयाव सिंह, नफे सिंह, ज़िले सिंह वगैरा. इन मूळे जाटों के घर में मक्का मदीना की फोटो मिलेगी और शंकर भगवान की भी.

समय का बदलाव आया और अब दिल्ली बेतहाशा और बेलगाम फैलती जा रही है. दिल्ली के आस पास की खेती के जमीनें सन १९८० के बाद तेजी से बिकने लगी थी. इनमें नफे सिंह की भी ज़मीन थी. दिन ब दिन रेट बढ़ते जा रहे थे. नफे सिंह तो बेचने का इच्छुक नहीं था क्यूंकि उसके विचार में 'पुरखां की धरती ना बेकी जाए साब यो तो माँ सामान पेट भरे है जी म्हारा'. पर नफे सिंह की आवाज़ सिक्कों की खनक में कोई नहीं सुन रहा था. उसके अपने बेटे भी नहीं.

नफे सिंह को अक्सर अपनी गाड़ी में साथ लेकर आस पास के गाँव में किसानों से मिलने चला जाता था. उसे खबर रहती थी कि किस गाँव में जमीन का सौदा होने वाला है. हमें ये उम्मीद रहती थी कि सौदे के पैसे हमारी ब्रांच में जमा होंगे. इन कार यात्राओं के दौरान नफे सिंह के परिवार की भी जानकारी मिल जाती थी. वो कार में बैठा बैठा बिना पूछे अपने आप ही बतियाता रहता था.

- म्हारे तो जी तीन छोरे हैं पर सुसरे कतई ना पढ़े. ना खेती में ध्यान दें जी. बड्डा पांचवी पास, बीच वाला आठ पास और भगवान भला करे जी छोटा पांच, बस पांच. इब तीनों पाच्छे पड़े जी की तीन किल्ले जमीन बेक दो. रोज किसी पार्टी ने ले आंवे जी घरां. यो 11 लाख देवगा यो 12 देवगा.

एक दिन सौदा हो ही गया और 12 लाख बैंक में जमा हो गए. तीन तीन लाख तीनों बेटों के नाम करके बाकी नफे सिंह ने अपने नाम करा लिए. बड़े बेटे ने तो एक छोटा ट्रक ले लिया और माल ढुलाई शुरू कर दी. उसे रास्ते भी पता लग गए और शराब के ठेके भी. एक रात नशे में छोटे ट्रक ने किसी बड़े ट्रक को टक्कर मार दी. छोटे ट्रक और बड़े बेटे दोनों की कथा वहीं समाप्त हो गई.

बीच वाले बेटे ने नया ट्रेक्टर ले लिया ये सोच के कि अब अपने खेतों का काम तो फ्री होगा और किराये पे भी चला देंगे तो कुछ पैसे कमा लेंगे. पर एक शाम को ट्रेक्टर बैक करते करते ट्रेक्टर का पिछला पहिया गढ्ढे में डाल दिया और बेटे समेत ट्रेक्टर उलट गया. जब तक लोग आते बेटे की साँस बंद हो गई.

कुछ दिन बाद नफे सिंह से तीसरे बेटे का हाल पूछा तो बिचारा ठंडी साँस भरकर बोला,
- उसकी तो सादी कर दी साब. बस जी दोस्ती यारी पर रुपया लुटा रया जी. आए दिन म्हारे से रुपया मांगे है जी. क्या करें जी. धरती बेक दी मनीजर साब 12 लाख में पर म्हारे तो पताई नई लाग्या कि रुपया आया कहाँ ते अर रुपया ग्या कहाँ को?

कहाँ से आये और कहाँ को जाओगे