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Thursday 28 May 2015

चाय, कॉफ़ी और सेल्फी

    Travelling - it leaves you speechless then turns you into a storyteller - Ibn Battuta

आजकल लम्बी यात्रा करना इतना मुश्किल नहीं है जितनी की इब्ने बतूता ( जन्म 1304 - देहान्त 1377, मोरक्को। जीवन के सात साल बतूता ने भारतीय उप महाद्वीप में गुज़ारे ) के समय थी। आजकल यात्रा का कोई भी साधन हो बीच बीच में ढाबे, होटल या स्टेशन आ जाते हैं और आप यात्रा ब्रेक कर सकते हैं। साथ ही चाय कॉफ़ी ले कर ताज़ा दम हो सकते हैं। 

हालाँकि चाय, कॉफ़ी और कोल्ड ड्रिंक फिरंगियों की देन हैं पर दैनिक जीवन में हवा और पानी की तरह शामिल हो चुकी हैं। ख़ास तौर से यात्रा के दौरान इनके बग़ैर गुज़ारा नहीं है। अब इनमें चाहे कैफीन हो या कोई दूसरी नशीली चीज़ हो पर चाय कॉफ़ी के बग़ैर गाडी चलती नहीं। छाछ, लस्सी और नींबूपानी अब निचली पायदान पर हैं। 

और जब से मोबाइल में कैमरा आया है तो चाय कॉफ़ी के साथ सेल्फी का नशा भी चढ़ गया है। नमूने के तौर पर :

एलेप्पी होटल, केरल। दोसा और इडली के नाश्ते के साथ गरमा गरम फ़िल्टर कॉफ़ी का मजा ही कुछ और है। बड़ा अच्छा स्वाद, ख़ुशबू और स्फूर्ती देने वाली है ये कॉफ़ी। भारत के दो हिस्से हैं एक उत्तर भारत जहाँ रेलगाड़ी में आवाज आती है 'चाय चाएय्या' दूसरा दक्षिण भारत जहाँ रेलगाड़ी में आवाज आती है ' कोपी कोपीय्या' 

आगा खान पैलेस पुणे। सुबह जल्दी पहुँच गए पैलेस देखने पर उस वक़्त टिकट बूथ तो खुला नहीं था पर चाय का बूथ खुला था। ऐसे में चाय की चुस्की लेते लेते ही टाइम पास हो जाता है  

राजस्थान सरकार का मिडवे होटल जो जयपुर-दिल्ली के बीच में है। नाश्ते में बढ़िया कॉफ़ी पेश की गई तभी तो चेहरे पर मुस्कराहट आ गई !

हथगढ फ़ोर्ट रिसोर्ट, शिरड़ी के नज़दीक। महाराष्ट्र में भी कॉफ़ी का काफ़ी प्रचलन है





1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/05/blog-post_7.html