Two things are infinite: the universe and human stupidity. And I am not sure about universe - Albert Einstein
भारत में मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों की संख्या के कोई सरकारी आँकड़े नहीं मिलते। इन इमारतों की अलग से रजिस्टर करने की कोई प्रथा नहीं है न ही कोई नियम है। चर्च की संख्या हज़ारों में हो सकती है क्यूँकि अंग्रेज़ों के जाने के बाद कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं हुई होगी। पर मसजिदें काफ़ी ज्यादा होंगी शायद लाखों में हों। मंदिरों की संख्या शायद दस लाख से ऊपर ही होगी।
भारत में छै लाख से ज्यादा गाँव हैं, पाँच हज़ार छोटे शहर हैं और चार सौ बड़े शहर हैं और इन सब में एक सौ चालीस करोड़ लोग समाए हुए हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या और भौगोलिक फैलाव वाले देश में दस पंद्रह लाख मंदिर ज्यादा नहीं हैं। चाहे बिजली पानी सब तक न पहुँचा हो पर धर्म हर नुक्कड़ हर गली में किसी न किसी रूप में पहुँचा हुआ है। और धर्म की विभिन्नता के साथ देश के कोने कोने में कई तरह की मान्यताएं, कर्म काण्ड, पूजा पाठ की विधियाँ, भ्रांतियाँ, जादू टोने और अंधविश्वास भी ख़ूब पहुँचे हुए हैं। बाबा, गुरू, गुरुदेव और गुरूघंटाल भी दूर दूर तक फैले हुए हैं।
फ़िल्म इंडस्ट्री, बैंकिंग इंडस्ट्री, सीमेंट इंडस्ट्री की तरह धार्मिक इंडस्ट्री भी चल रही है। भक्तों और अंधभक्तों की भारी भीड़ है। दान देने वालों की कमी नहीं क्यूँकि इस इंडस्ट्री में काले या सफेद धन का झंझट नहीं है। बिचौलियों की कमी नहीं है। साथ ही आम आदमी की ख़्वाहिशों में कमी नहीं है इसलिए इस इंडस्ट्री के अच्छे दिन चल रहे हैं।
धार्मिक संगठन हैं जिसमें और इंडस्ट्री की तरह CEO हैं, जनरल मैनेजर हैं, मैनेजर हैं, सफ़ेदपोश वर्कर हैं और नीलपोश मज़दूर भी हैं। किताबें, मैगज़ीन, वीडियो बनते और छपते हैं। चूरन, दवाइयाँ, तेल और साबुन भी बनवाए जाते हैं। जन्म कुण्डली, हस्त रेखा और ग्रह जनता के दिमाग़ को घुमा रहे हैं। टीवी चैनल हैं और अख़बारों में विज्ञापन हैं। पर कभी कभी इस इंडस्ट्री में भी भूचाल आ जाता है।
नीचे दिए गए आँकड़े इंटरनेट से लिए गए हैं। इस तरह के आँकड़े और भी होंगे। घायल भी बहुत हुए होंगे और दुर्घटना के कारण भी रहे होंगे। हर दुर्घटना के बाद जांच पड़ताल भी हुई होगी और कुछ मुआवज़ा भी दिया गया होगा और फ़ाइलें रद्दी में फेंक दी गई होंगी :
03-02-1954 - कुम्भ मेले में भगदड़ मच गई और लगभग 800 लोग मरे।
23-11-1994 - गोवारी आदिवासियों पर नागपुर पुलिस ने लाठी चलाई और भगदड़ में 114 लोग मरे।
15-07-1996 - भगदड़ की दो वारदातें हुईं : हरिद्वार में 21 लोग मारे गए और उज्जैन में 39 लोग।
14-01-1999 - मकर ज्योति के दिन पामबा, केरल में भगदड़ मच गई जिसमें 53 लोग मरे।
25-01-2005 - मंधेर देवी मंदिर, सतारा, महाराष्ट्र में पूर्णिमा के दिन मची भगदड़ में 291 लोग मरे।
03-08-2008 - नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश में भगदड़ के कारण 146 तीर्थ यात्री मारे गए।
04-03-2010 - कृपालु महाराज आश्रम, ज़िला प्रताप गढ़, उत्तर प्रदेश में भगदड़ के कारण 63 लोग मरे।
14-01-2011 - मकर ज्योति के दिन पुल्लूमेदू , सबरीमाला, केरल में भगदड़ मच गई और 106 लोग मारे गए।
24-09-2012 - सत्संग देवघर, झारखंड में हुई भगदड़ में 12 लोग मारे गए।
13-02-2013 - कुम्भ मेला इलाहाबाद में भगदड़ मची और 36 लोग मारे गए।
13-10-2013 - नवरात्रों में पुल पर जो रतनगढ़ माता मंदिर के नज़दीक है, भगदड़ मच गई और 115 लोग मरे।
08-01-2014 - मालाबार हिल, मुम्बई में सैयदना मोहम्मद बुरहान्नुद्दीन के अंतिम दर्शन में भगदड़ में 18 मरे।
03-10-2014 - दशहरे के मेले में गांधी मैदान पटना में भगदड़ मची और 32 लोग मारे गए।
14-07-2015 - राजमुंदरी, आंध्र में गोदावरी के घाट पर पुष्करम त्यौहार में भगदड़ से 27 लोग मारे गए।
01-01-2022 - माता वैष्णो देवी मन्दिर में मची भगदड़ के कारण 12 लोगों की मृत्यु हो गई।
02-07-2024 - हाथरस उत्तर प्रदेश में नारायण साकार बाबा के समागम में भगदड़ से 121 जानें गईं।
12-08-2024 - जहानाबाद बिहार में बाबा सिद्धनाथ मंदिर में 7 मरे और 10 घायल।
इनक्वायरी कमीशन तो इस पर भी बैठना चाहिए की किस भ्रम में थे ये ग़रीब मरने वाले ?
क्या इच्छा या मान्यता लेकर जा रहे थे ये लोग और क्यूँ ?
किसने बरगलाया इन्हें कि गुरु और पीर क़िस्मत चमका देंगे ?
बिना पुरुषार्थ के कुछ होने वाला नहीं है। बिना अपने अंदर झाँके ज्ञान मिलने वाला नहीं है।