गोयल साहब ने गाड़ी चालू की और डैशबोर्ड पर लगी शंकर भगवान की मूर्ति पर नन्हें नन्हें बल्ब जगमगाने लगे. तीन बार नमस्कार किया और तीन बार कानों पर हाथ लगाया फिर पहला गीयर लगा दिया. अब यहाँ से बैंक तक दस किमी लम्बे रास्ते पर जितने मंदिर, गुरुद्वारे, पीर पैग़म्बर और पीपल के पेड़ मिलेंगे साहब सभी को नमन करते हुए जाएँगे. चौराहे पर अगर कोई भिखारी मिला तो उसे आज दस का नोट मिलेगा!
मन में वैसे तो आश्वस्त हैं की आज प्रमोशन हो ही जाएगी पर क्या जाने कोई काली बिल्ली ऐन मौक़े पर रास्ता न काट जाए सुसरी. वैसे तो रीजनल मैनेजर से बढ़िया सम्बन्ध हैं और चेयरमैन के पास नेता जी का फ़ोन जा चुका है और विश्वस्त सूत्रों ने विश्वास दिला दिया है की प्रमोशन पक्की है, पर साहब बड़े बड़े खिलाड़ी पड़े हैं देश में कहीं कोई कन्नी न काट जाए.
अब पचपन साल की उम्र हो गई है और शायद ये आख़री मौक़ा है प्रमोशन का. गोयल सा का चेहरा गोल है और खुद भी गोल मटोल हैं. बड़ा सा गोल पेट है, सिर के बाल उड़ चुके हैं. दोनों कानों के बीच सफेद बालों की एक झालर है जिस पर कभी कभी काला रंग लेप देते हैं. झालर पर दिन में चार पाँच बार कंघी ज़रूर फेरते हैं. दफ़्तर में ज़्यादातर गोलू या मोटू के नाम से जाने जाते थे. पर ये बात आप प्लीज़ अपने आप तक ही रखें.
दफ़्तर पहुँचे, केबिन में घुसे और टेबल के शीशे के नीचे रखी हुई भगवान की तीन फोटों पर तीन बार नमस्कार किया और तीन बार कानों को हाथ लगाया. आज का दिन था ही ऐसा - आर या पार!
तीन बजे रीजनल मैनेजर का फ़ोन आया,
- गोयल हो गया तेरा काम. लिस्ट निकल गई है.
- थैंक्यू सर थैंक्यू सर. आई टच योर फ़ीट सर! सब आपकी आशीर्वाद है सर. पोस्टिंग भी तो आपने करवानी है सर?
- करवाते हैं.
गोयल सा ने चैन की लम्बी साँस ली और घंटी बजा कर चाय मँगाई. चाय वाले को कहा की भाग कर बढ़िया वाले लड्डू ले आए और सब का मुँह मीठा करा दे. चेहरे पर मुस्कराहट आ गई. मूड बन गया. फ़ोन मिलाने शुरू किये. मीना का फ़ोन बिज़ी मिला, दोनों बच्चों को एसएमएस किए. दोस्तों यारों को ख़बर की. उन्हे इस अंदाज में बताया की ये तो होना ही था. आख़िर काम करने वालों को कौन रोक सकता है प्रमोशन से. जिनकी तरक़्क़ी नहीं हुई उन्हे सांत्वना दी की यार लाईफ़ में ये सब तो चलता ही रहता है, अगली बार सही!
इधर बात केबिन के बाहर निकली और उधर स्टाफ़ केबिन के अंदर आ गया. मुबारक हो, बधाई हो सर, पार्टी कहाँ है सर?, सर आपको तो मिलनी ही थी सर, कहाँ पोस्टिंग होगी सर? बड़ी ख़ुशी हुई सर, वग़ैरा वग़ैरा. एक दम से ज़िंदगी में मिश्री सी मिठास घुल गई. फ़ोन रुक नहीं रहे थे और साहब गदगद हुए जा रहे थे.
डिनर होते होते तक गोयल सा को समझ आ गया की मैं अब वाक़ई बड़ा साहब बन गया हूँ. लगातार फोन का सिलसिला जारी था. अगर मीना पर ध्यान नहीं गया तो क्या फर्क पड़ता है? रात के बारह बजने वाले थे बिस्तर में लेट कर एक बार फिर लम्बी साँस लेकर पूरे दिन का फिर ज़ायक़ा लिया. मज़ा आ गया. मीना की तरफ़ हाथ बढ़ाया पर उसने 'हुंह' करके हाथ वापिस फैंक दिया. फिर ट्राई मारी पर इस बार कर्कश आवाज़ में घोषणा हुई 'क्या है?' गोयल सा ने मायूसी से करवट ली और बड़बड़ाए 'यो न समझे सुसरी'!
शनिवार शाम शानदार पार्टी हुई. बड़े साहब ने दिल खोल कर पी और पिलाई. बारह बजे तक बिस्तर पर पहुँचे. पहुँचते ही लुढ़क गए.
मीना ने धीरे से हाथ लगाया और पूछा:
- सो गए क्या?
कोई जवाब नहीं आया. मीना बड़बड़ाई:
- मोटा टुन्न हो गया!