108 का आंकड़ा बड़ा रोचक और रहस्यमयी आंकड़ा है. इसे गणित में और बहुत सी धार्मिक मान्यताओं में काफी इस्तेमाल किया जाता है. जपने वाली माला ही लीजिये जिसमें 108 मनके होते हैं. इस तरह की माला हिन्दू, जैन, तिब्बती बौद्ध और जापान के ज़ेन बौद्ध के बहुत से अनुयायी इस्तेमाल करते हैं.
* शरीर के साथ भी इस नंबर का सम्बन्ध गहरा बताया जाता है. ह्रदय चक्र से 108 नाड़ियाँ संचालित होती हैं. शरीर का तापमान अगर 108 डिग्री फारेनहाईट पहुँच जाए तो शरीर के सिस्टम फेल हो सकते हैं.
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प्राचीन ऋषि मुनियों के अनुसार आकाश में 27 नक्षत्र या तारा समूह हैं जैसे कि अश्विनी, रोहिणी,रेवती इत्यादि. प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण हैं. दोनों संख्याओं का गुणा करें तो 108 चरण हो जाते हैं.
* वैदिक ज्योतिष के अनुसार सौर मंडल में 9 ग्रह हैं जो एक समय चक्र पूरा करते हुए 12 राशियों से होकर गुज़रते हैं. तो यहाँ भी 9 x 12 से 108 की संख्या आ जाती है.
* जन्मपत्री में 12 राशियों के 12 घर होते हैं. इन 12 घरों में 9 ग्रह स्थापित करने होते हैं. अर्थात हर एक ग्रह 12 बार सजाया जा सकता है. गिनती हुई 12 x 9 याने 108 तरीके से पत्री सजाई जा सकती है.
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अब अगर धरती, चंद्रमा और सूर्य का आपसी सम्बन्ध देखें तो वहां भी 108 का आंकड़ा दिखाई दे जाता है. सूर्य का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग 108 गुणा है. पृथ्वी से सूर्य की दूरी सूर्य के व्यास की 108 गुना है. इसी तरह से पृथ्वी से चाँद की दूरी चाँद के व्यास की 108 गुना है.
* जैन दर्शन में इस संख्या 108 की गणना कर्म के प्रवाह के सन्दर्भ इस तरह से बताई गई है. चित्त में धब्बे या आस्रव छा जाते हैं. ये 4 आस्रव हैं क्रोध, अभिमान, दम्भ और लालच. इन चारों के कारण हम 3 माध्यमों से क्रिया करते हैं - मन से , वाणी से और शरीर से. क्रिया के शुरूआती 3 चरण हैं - योजना, प्राप्ति(procurement) और प्रारंभ. फिर 3 तरह से योजना प्रभावी होती है - स्वयं करने से, करवाने से और समर्थन करने से. इन संख्याओं का गुणा करें - 4x3x3x3 तो 108 आ जाता है.
* बौद्ध दर्शन में 108 का अंक इस तरह से आता है. पांच इन्द्रियों और एक चित्त मिला कर हुए 6. इन 6 द्वारों से मिलने वाली संवेदनाएं 3 प्रकार की भावनाएं लाती हैं - सुखद, दुखद या तटस्थ. ये भावनाएं 2 प्रकार से उत्पन्न हो सकती हैं - एक जो आतंरिक मन में उत्पन्न हुई हो और दूसरी जो बाहर घटित हुई हो. पुनः सुखद, दुखद और तटस्थ भावनाएं 3 कालों में विभाजित हैं - भूत, भविष्य और वर्तमान काल में. तो भावनाओं की गिनती हुई 6x3x2x3 अर्थात 108.
* गणित में इस संख्या 108 हर्षद नम्बर कहलाता है क्यूंकि ये नम्बर अपनी ही संख्याओं के योग 1+ 0 + 8 याने 9 से विभाजित किया जा सकता है. इसके अलावा 108 को 1, 2, 3, 4, 6, 9, 12, 18, 27, 36, 54 और 108 से भी विभाजित किया जा सकता है.
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इस नंबर को ग्रीक में PH और रोमन में CVIII लिखा जाता है.
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गणित में ये नंबर एक cardinal number, abundant number, semiperfect number और tetranacci number कहलाता है.
है ना रोचक नंबर !
* शरीर के साथ भी इस नंबर का सम्बन्ध गहरा बताया जाता है. ह्रदय चक्र से 108 नाड़ियाँ संचालित होती हैं. शरीर का तापमान अगर 108 डिग्री फारेनहाईट पहुँच जाए तो शरीर के सिस्टम फेल हो सकते हैं.
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प्राचीन ऋषि मुनियों के अनुसार आकाश में 27 नक्षत्र या तारा समूह हैं जैसे कि अश्विनी, रोहिणी,रेवती इत्यादि. प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण हैं. दोनों संख्याओं का गुणा करें तो 108 चरण हो जाते हैं.
* वैदिक ज्योतिष के अनुसार सौर मंडल में 9 ग्रह हैं जो एक समय चक्र पूरा करते हुए 12 राशियों से होकर गुज़रते हैं. तो यहाँ भी 9 x 12 से 108 की संख्या आ जाती है.
* जन्मपत्री में 12 राशियों के 12 घर होते हैं. इन 12 घरों में 9 ग्रह स्थापित करने होते हैं. अर्थात हर एक ग्रह 12 बार सजाया जा सकता है. गिनती हुई 12 x 9 याने 108 तरीके से पत्री सजाई जा सकती है.
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अब अगर धरती, चंद्रमा और सूर्य का आपसी सम्बन्ध देखें तो वहां भी 108 का आंकड़ा दिखाई दे जाता है. सूर्य का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग 108 गुणा है. पृथ्वी से सूर्य की दूरी सूर्य के व्यास की 108 गुना है. इसी तरह से पृथ्वी से चाँद की दूरी चाँद के व्यास की 108 गुना है.
* जैन दर्शन में इस संख्या 108 की गणना कर्म के प्रवाह के सन्दर्भ इस तरह से बताई गई है. चित्त में धब्बे या आस्रव छा जाते हैं. ये 4 आस्रव हैं क्रोध, अभिमान, दम्भ और लालच. इन चारों के कारण हम 3 माध्यमों से क्रिया करते हैं - मन से , वाणी से और शरीर से. क्रिया के शुरूआती 3 चरण हैं - योजना, प्राप्ति(procurement) और प्रारंभ. फिर 3 तरह से योजना प्रभावी होती है - स्वयं करने से, करवाने से और समर्थन करने से. इन संख्याओं का गुणा करें - 4x3x3x3 तो 108 आ जाता है.
* बौद्ध दर्शन में 108 का अंक इस तरह से आता है. पांच इन्द्रियों और एक चित्त मिला कर हुए 6. इन 6 द्वारों से मिलने वाली संवेदनाएं 3 प्रकार की भावनाएं लाती हैं - सुखद, दुखद या तटस्थ. ये भावनाएं 2 प्रकार से उत्पन्न हो सकती हैं - एक जो आतंरिक मन में उत्पन्न हुई हो और दूसरी जो बाहर घटित हुई हो. पुनः सुखद, दुखद और तटस्थ भावनाएं 3 कालों में विभाजित हैं - भूत, भविष्य और वर्तमान काल में. तो भावनाओं की गिनती हुई 6x3x2x3 अर्थात 108.
* गणित में इस संख्या 108 हर्षद नम्बर कहलाता है क्यूंकि ये नम्बर अपनी ही संख्याओं के योग 1+ 0 + 8 याने 9 से विभाजित किया जा सकता है. इसके अलावा 108 को 1, 2, 3, 4, 6, 9, 12, 18, 27, 36, 54 और 108 से भी विभाजित किया जा सकता है.
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इस नंबर को ग्रीक में PH और रोमन में CVIII लिखा जाता है.
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गणित में ये नंबर एक cardinal number, abundant number, semiperfect number और tetranacci number कहलाता है.
है ना रोचक नंबर !
108 मनकों की माला |