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Friday 7 December 2018

कोंडा रेड्डी बुर्ज, आन्ध्र प्रदेश

कुर्नूल शहर तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा शहर है और आन्ध्र प्रदेश में है. कुर्नूल शहर का इतिहास काफी पुराना है और खोज में मिली जानकारी के अनुसार बारहवीं शताब्दी में यहाँ चोला और तेरहवीं शताब्दी में काकातिया वंश का राज रहा है. कुछ समय यहाँ जागीरदारी की प्रथा भी रही. सोलहवीं शताब्दी में कुर्नूल विजयनगर साम्राज्य के आधीन हो गया था. इस विजयनगर साम्राज्य के शासक अच्युता देव रायलु ने यहाँ 1530 - 42 में कुर्नूल किले का निर्माण करवाया था. सत्रहवीं सदी में कुर्नूल मुगलों के आधीन हो गया और उसके बाद से कमोबेश यहाँ नवाबों का राज रहा जो 1947 तक चला. '47 के बाद कुर्नूल चार साल तक आन्ध्रा की राजधानी भी रहा.

कुर्नूल से 24 किमी दूर एक जगह है आलमपुर जहाँ के अंतिम राजा थे कोंडा रेड्डी ( 1597 - 1643 ). कोंडा रेड्डी नवाबों के लिए सिर दर्द थे. एक लम्बी लड़ाई के बाद कोंडा रेड्डी को कुर्नूल के नवाब ने गिरफ्तार कर लिया और कुर्नूल के इस किले में बंदी बना दिया. मान्यता है कि कैद में रहते हुए राजा कोंडा रेड्डी ने नदी तक एक सुरंग खोद ली और बाहर निकल गए परन्तु अगले युद्ध में मारे गए. उनके सम्मान में इस बुर्ज को कोंडा रेड्डी बुरुजू कहा जाता है. किले का काफी बड़ा भाग बाढ़ में बह चुका है. कुछ फोटो:

1. कुरनूल किले का कोंडा रेड्डी बुर्ज जिसका स्थानीय नाम कोंडा रेड्डी बुरुजू है. किले का यही भाग बचा हुआ है बाकी दो तिहाई से ज्यादा हिस्सा बाढ़ में बह गया है  

2. कोंडा रेड्डी बुर्ज कुर्नूल शहर के बीचों बीच है 

3. ऐसा कहा जाता है की किले में खजाना भी दबा हुआ था पर अब तक की कोशिशें बेकार गईं हैं 

4. बुर्ज की बेसमेंट दर्शकों के लिए बन्द है 

5. बुर्ज की दो मंजिलें खुली हैं समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक 

6. कुर्नूल स्टेशन से केवल दो किमी दूर है 

7. किले का प्रवेश 

8. नोटिस बोर्ड 




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/12/blog-post_7.html