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Tuesday 4 December 2018

ओरछा की छतरियां

ओरछा नगर बुंदेला राजपूत राजा रूद्र प्रताप सिंह ने बेतवा नदी के किनारे 1531 में बसाया था. ओरछा झाँसी से 17 किमी और ग्वालियर से लगभग 200 किमी दूर है. ओरछा में प्रवेश करते ही एक तरफ बेतवा नदी और दूसरी तरफ ऊँचे बड़े महल, मंदिर और छतरियां दिखाई पड़ने लगती हैं. छतरी का अर्थ है स्मारक. राजाओं या शाही परिवार जनों की मृत्यु के बाद उनके पुत्रों या पौत्रों द्वारा ये स्मारक बनाए गए थे. बेतवा नदी के किनारे कंचना घाट के आस पास 15 बुन्देली राजपूत राजाओं की छतरियां हैं जिनमें राजा मधुकर शाह, वीर सिंह देव, जसवंत सिंह, उदित सिंह, पहाड़ सिंह भी शामिल हैं.

कला और वास्तु की दृष्टि से ये छतरियां बहुत आकर्षक हैं. अनूठी रचना और वास्तु देखने को मिलेगी. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय ख़ास तौर से ये विशाल छतरियां अनोखी और सुंदर लगती हैं. छतरियां बड़े चौकोर चबूतरों पर दो या तीन मंजिली ऊँची बनी हुई हैं. ज्यादातर पंचायतन हैं याने चारों कोनों पर छोटे शिखर हैं और बीच में एक बड़ा नागर शैली का मन्दिरनुमा शिखर है. छतरी के अंदर चबूतरे पर चौकोर हाल है पर मूर्तियाँ नहीं हैं. दरवाजों और झरोखों में खुले और बड़े बड़े मेहराब हैं. सोलहवीं और अठारहवीं शताब्दी के बीच ये छतरियां बनाई गई थी.

ओरछा का मतलब है छुपा हुआ. शायद इसीलिए इतिहास और अब के टूरिस्ट नक्शों में ओरछा खूबसूरत होते हुए भी छुपा सा ही है.
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

बुंदेला राजाओं की छतरियां 

इस छतरी की वास्तु शैली कुछ अलग है. शिखर गुम्बदनुमा है 

कुछ छतरियों के शिखर मंदिर जैसे हैं 

इस्लामिक स्टाइल की छतरी ? 

बेतवा नदी किनारे  

छतरी के साथ छोटा ढांचा 

सबसे बड़ी और सबसे अलग छतरी बुंदेला राजा वीर सिंह देव की है 

छोटी छतरी पर गुम्बद . रख रखाव की सख्त जरूरत है 

बीच में इस्लामिक बनावट 

छतरी के सामने शिवलिंग

छतरियों के अंदर कुछ है नहीं 

ना घर तेरा ना घर मेरा चिड़िया रेन बसेरा. छतरियों पर गिद्ध रात गुजारते हैं. नदी और जंगल पास होने के कारण इन्हें शिकार मिल ही जाता है. लाल निशान देखें गिद्ध बैठे हुए हैं 

ओरछा की छतरियां, बेतवा नदी और ढलती शाम 





5 comments:

Unknown said...

आपके blogs जब से पढने शुरू किए हैं भारत के शहरों के इतिहास में रुचि उत्पन्न हो गई है

Unknown said...

Anonymous1 June 2021 at 11:37
आपके blogs जब से पढने शुरू किए हैं भारत के शहरों के इतिहास में रुचि उत्पन्न हो गई है...this is me

Unknown said...


आपके blogs जब से पढने शुरू किए हैं भारत के शहरों के इतिहास में रुचि उत्पन्न हो गई है

Unknown said...

Fufaji...मैं baby
Baar baar apne naam se publish kerne ki koshish kr rahi hoo aur ye anonymous ho ja raha hai

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/12/blog-post_4.html