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Tuesday 11 December 2018

ओर्वाकल रॉक गार्डन, आन्ध्रा

ओर्वाकल एक गाँव का नाम है जो आन्ध्र प्रदेश में है. यहाँ एक सुंदर सा गुलाबी चट्टानों वाला रॉक गार्डन है जिसे Orvakal Rock Garden कहते हैं. कई जगह इसका नाम बंगलुरु और मैसूरू की तर्ज़ पर ओर्वाकल्लू-Orvakallu भी लिखा देखा था. ये रॉक गार्डन कुरनूल शहर से 20 किमी, बंगलुरु से 370 किमी और हैदराबाद से 250 किमी दूर है. अगर आप NH 44 से बंगलुरु या हैदराबाद जा रहे हैं तो ऐसी गुलाबी चट्टानें सड़क के दोनों और नज़र आएंगी. एक साइड पर बड़ी मशीनों से माईनिंग होती भी दिख सकती है.

ये आड़ी तिरछी गुलाबी चट्टानें quartz और silica की हैं जो छूने से नरम, चिकनी और चलने में फिसलन वाली हैं. इन चट्टानों का पाउडर कांच बनाने के में काम आता है. और इसलिए कम्पनियां बड़ी मशीनों से खुदाई में लगी हुई हैं. पता नहीं इस खुदाई से पर्यावरण को कोई ख़तरा है या नहीं.

बहरहाल राजमार्ग के एक तरफ आन्ध्रा टूरिज्म - APTDC, द्वारा एक हजार एकड़ में रॉक गार्डन बनाया गया है. यहाँ एक रेस्तरां, दस कॉटेज का होटल और बच्चों के झूले वगैरा लगा दिए गए हैं. दर्शकों के लिए चट्टानों के बीच से तीन किमी लम्बा घुमावदार रास्ता भी बना दिया गया है. चट्टानों के बीच पूल भी है जहां बोटिंग की जा सकती है. कुछ और काम अभी जारी हैं. अगर आप जाएं तो दोपहर की तीखी धूप से बचें. उगते और ढलते सूरज में नज़ारा बड़ा सुंदर लगता है.

सुंदर जगह होने के कारण यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है जिनमें बाहुबली भी शामिल है. पर कुछ फ़िल्मी यूनिट यहाँ अपना कचरा और प्लास्टर ऑफ़ पेरिस भी फेंक गए जो यहाँ की चट्टानों के लिए अच्छा नहीं बताया जाता. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो:

1. Quartz and silica rocks 

2. पैदल रास्ता 

3. अभी काम जारी है  

4. अनोखी और मजेदार शक्लों वाली चट्टानें 
5. पेड़ की जड़ों और पत्थर की जंग  

6. चट्टानों के बीच में पानी रुकता है इसलिए हरियाली भी है 

7. लोहे की नकली चिड़ियाँ लगा दी गई हैं जो जची नहीं 

8. बेंच लगे हैं आप बैठ कर सीनरी का आनन्द लें 

9. कई भरी भरकम पत्थर भी हैं 

10. ये पत्थरों का शहर है 

11. धूप बड़ी तीख़ी है यहाँ  

12. I am the master of all I survey

13. धूप छाँव

14. रेस्तरां. पत्थर की कुर्सियां, पत्थर के टेबल, पत्थर की छत और पत्थर का फर्श  

15. हरियाली और रास्ता 


16. मुसाफिर 




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/12/blog-post_11.html