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Wednesday 21 November 2018

ग्रीक राजदूत का खम्बा

ग्रीक राजदूत का खम्बा दरअसल एक पत्थर का खम्बा है जो लगभग 2100 साल पुराना है. ये खम्बा बेसनगर जिला विदिशा, मध्य प्रदेश में है. ये स्थान भोपाल से साठ किमी, साँची के बौद्ध स्तूपों से ग्यारह किमी दूर और उदयगिरी की गुफाओं से तीन किमी दूर है. स्थानीय लोग इसे 'खाम बाबा' या 'खम्बा बाबा' भी कहते हैं. ये स्तम्भ 6.5 मीटर ऊँचा है और ये 113 ईसा पूर्व में ग्रीक राजदूत हेलिओडोरस ने बनवाया था.

2. इस ऐतिहासिक खम्बे का बड़ा रोचक किस्सा है. तक्षशिला, ( पाली भाषा में तक्खिला, अंग्रेजी में Taxila जो अब पंजाब, पाकिस्तान में है ) में 200 साल ईसा पूर्व ग्रीक राजा अन्तियलसिदास ( Antialcidas ) का राज था. तक्षशिला एक व्यापारिक केंद्र भी था और भारतीय उप महाद्वीप के कई शहरों से इसके व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध थे. यूनानी राजा ने हेलिओडोरस को राजदूत बना कर विदिशा भेजा था. उस समय विदिशा समेत उत्तर भारत में शुंग वंश के पांचवें राजा भागभद्र का राज था. हेलिओडोरस यात्रा के दौरान या फिर विदिशा में रहते हुए विष्णु भक्त हो गया और उसने 113 ईसा पूर्व में इस स्तम्भ और साथ में एक मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर अब नहीं है. खम्बा गोल ना होकर कोणीय है. इस स्तम्भ का निचला हिस्सा 8 कोणीय है, बीच में 16 कोणीय और ऊपर 32 कोणीय है. मतलब की बड़े कौशल और मेहनत से ये स्तम्भ बनाया गया था.

3. विदिशा के आस पास पहाड़ियां, घने जंगल और बेस नदी भी है. कालान्तर में हेलिओडोरस का खम्बा और मंदिर झाड़ झंखाड़ और जंगल में खो गए. 1887 में एलेग्जेंडर कन्निन्घम ने बेस नगर और आस पास की खोज में इस पत्थर के खम्बे के बारे में लिखा था. पर खम्बा सिंदूर, तेल और धूल की मोटी परत से से ढका हुआ था इसलिए कन्निन्घम ने उस पर लिखे अभिलेख को शायद नहीं देखा और ना ही अभिलेख के बारे में जिकर किया. उसके विचार में यह खम्बा गुप्त कालीन याने ईसा के बाद सन 300 से 350 के दरम्यान का रहा होगा.

4. 1901 में जॉन मार्शल और लेक ने आगे खोज की. इस बीच खम्बे के आस पास देसी बाबाओं का डेरा लग चुका था और पत्थर का खम्बा भी अब 'बाबा' बन चुका था. आस पास के गाँव के लोगों द्वारा 'खम्बा बाबा' को सिंदूर लगा कर पूजा जा रहा था. जब खम्बे पर से सिंदूर की  जमी परतें हटवाई गई तो मालूम हुआ कि खम्बे पर तो कुछ खुदाई कर के लिखा भी गया है. तब मार्शल ने कहा कि यह खम्बा गुप्त कालीन नहीं बल्कि कई सदी पुराना होना चाहिए. जब अभिलेख पढ़ा गया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए कि एक ग्रीक राजदूत हेलिओडोरस विष्णु का भक्त हो गया था और उस भक्त ने यह खम्बा और मंदिर बनवा दिया था.

5. बाद में खम्बे के आस पास खुदाई होने पर प्रमाण मिले की पहले यहाँ मंदिर भी रहा होगा जो शायद बाढ़ में बह गया. अगर आप साँची या उदयगिरी गुफाएं देखने जाएं तो खाम बाबा को आसानी से देख सकते हैं. चूँकि स्तम्भ के अलावा यहाँ कुछ भी नहीं है और वहां गाइड भी उपलब्ध नहीं है इसलिए देखने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. पर रोमांच जरूर होगा कि कहाँ विदिशा और कहाँ ग्रीस ! गूगल में देखें तो विदिशा से तक्षशिला की दूरी 1234 किमी है और तक्षशिला से ग्रीस की दूरी 5791 किमी है. हेलिओडोरस को महीनों लग गए होंगे यहाँ पहुँचने में. और फिर उसका विष्णु भक्त बन जाना भी एक चमत्कार सा ही है. 

6. पत्थर के स्तम्भ में खुदा हुआ अभिलेख का  रूपांतरण इस प्रकार है जो की विकिपीडिया से लिया है:
देव देवस वासुदेवस गरुड़ध्वजे अयं
कारिते इष्य हेलियो दरेण भाग
वर्तन दियस पुत्रेण नखसिला केन
योन दूतेन आगतेन महाराज स
अंतलिकितस उपता सकारु रजो
कासी पु (त्र)(भा) ग (भ) द्रस त्रातारस
वसेन (चतु) दसेन राजेन वधमान
अर्थात
देवाधिदेव वासुदेव का यह गरुड़ध्वज (स्तंभ) तक्षशिला निवासी दिय के पुत्र भागवत हेलिओवर ने बनवाया, जो महाराज
अंतिलिकित के यवन राजदूत होकर विदिशा में काशी (माता) पुत्र (प्रजा) पालक भागभद्र के समीप उनके राज्यकाल के चौदहवें वर्ष में आए
त्रिनि अमृतपदानि अनुत्थानी
नयमती स्वग दमो छगो अप्रमादो
अर्थात
तीन अमृत पद के अनुष्ठान से स्वर्ग मिलता है - संयम, दान, निष्ठा. 
प्रस्तुत हैं कुछ फोटो -

1. हेलिओडोरस का खम्बा 

2. खम्बे का ऊपरी भाग 

3. प्राकृत भाषा और ब्रह्म लिपि में अभिलेख 

4. चबूतरे में लगा पत्थर. स्तम्भ का जीर्णोद्धार 1921 में ग्वालियर के महाराजा माधवराव सिंधिया, आलीजाह बहादुर के शासन काल में हुआ 

5. पास ही चबूतरे पर रखे कुछ आइटम. इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली 

6. चलो चलें खाम बाबा को देखने 



3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/11/blog-post_21.html

Om Soni said...

बढिया जानकारी

Anonymous said...

Very thrilling and informative