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Saturday 25 August 2018

पटरी पर

लापरवाही मनोहर नरूला के चेहरे से और हाव भाव से झलकती रहती थी. बाल अगर पंखे की हवा में तितर बितर हो गए तो हो गए तो नरूला ने कंघी नहीं करनी है. अगर किसी दिन एक जूते की लेस खुली रह गई तो रह गई कसनी नहीं है. कई बार बैंक में काम करते करते नरूला जूते उतार देता था और फाइल लेकर हॉल के दूसरे कोने तक नंगे पैर या फिर जुराबों में ही घूम आता था या फिर केबिन में भी आ जाता था. उसका रुमाल जेब में ना होकर कभी टेबल पर, कभी कुर्सी पर और कभी फर्श पर पड़ा होता था. लोग देख कर मुस्करा देते या कमेन्ट मार देते पर मनोहर नरूला उर्फ़ मन्नू को कोई फर्क नहीं पड़ता. सुबह बैंक आता तो कमीज़ पेंट के अंदर होती पर शाम तक कभी थोड़ी तो कभी पूरी कमीज़ पेंट के बाहर निकल चुकी होती थी. ये तो भला हो झुमरी तलैय्या के ग्राहकों का जो किसी तरह की कोई शिकायत नहीं करते हैं.

पर ऐसी ग़लतफ़हमी भी नहीं रखनी चाहिए कि मन्नू समझदार नहीं है. बन्दा डायरेक्ट अफसर लगा है बैंक में इसलिए इंटेलिजेंस की कमी नहीं है. और अभी है भी कंवारा इसलिए बे लगाम भी है. जो भी आएगी वो मन्नू की मुश्कें कस देगी क्यूँ जी ? आप से क्या छिपा है जी ? अब आप और हम तो एक ही कश्ती में सवार हैं ! केबिन में बैठा जब भी मन्नू को देखता तो मिक्स फीलिंग होती थी. कभी उस पर हंसी आती थी और कभी खीझ भी होती थी. कमबख्त अच्छी तनखा लेता है, बैंक में पब्लिक डीलिंग करता है पर ढंग से क्यूँ नहीं रह सकता ? खोया खोया ही रहता है.

उधर रीजनल ऑफिस को हमारी ब्रांच में एक ऑफिसर या मैनेजर पोस्ट करने की डिमांड भेजी हुई थी. उन्होंने एक कन्या ऑफिसर भेज दी. वैसे तो कन्या होने से कोई फर्क नहीं पड़ता पर कन्या को लेट बैठाना या डांट लगाना अटपटा लगता है. खैर झुमरी तल्लैय्या ब्रांच के सभी चौंतीस लोगों ने नई ऑफिसर का स्वागत किया. स्वभाव में नई ऑफिसर मन्नू नरूला के उलट निकली. नई ऑफिसर की टेबल साफ़ सुथरी रहती और वो खुद भी चाक चौबंद नज़र आती थी. बातें भी बिंदास ही करती थी और मन्नू की तरह झेंपू नहीं थी. खैर जो भी हो मन्नू का काम थोड़ा हल्का हो गया. उसकी सीट का काफी काम नई ऑफिसर के पास चला गया.

हफ्ते दस दिन में मन्नू नरूला में थोड़ा थोड़ा बदलाव दिखने लगा. आखिर तो कंवारा इंसान ही था और पता लगा कि नई ऑफिसर भी कंवारी थी. अब मन्नू के बाल कंघी किये हुए और सेट से लगते थे. शायद तेल वेल लगाना शुरू कर दिया था. अब तो बेल्ट कसी हुई और कमीज़ तरीके से टक-इन की हुई लगती थी. अगर कमीज़ बाहर निकलती तो तुरंत मन्नू उसे वापिस अंदर ठूंस देता. जूते भी बेहतर पोलिश किये हुए लगते और लेस तरीके से बंधी हुई नज़र आती थी. अब जब वो केबिन में आता तो किसी परफ्यूम की हलकी सी खुशबू भी आती थी. ऐसा लगने लगा कि श्री मनोहर नरूला की गाड़ी पटरी पर आ रही थी !

विश्वस्त सूत्रों ने इस बात की पुष्टि भी कर दी थी कि मन्नू ने नई ऑफिसर की फाइल लेकर उसका जन्मदिन नोट किया था. शायद मन्नू अपनी और नई ऑफिसर की कुंडली मिलवाना चाहता होगा. मन्नू मेरठ का रहने वाला था और नई ऑफिसर देहरादून की. अब दोनों इस शहर झुमरी में अकेले अकेले रह रहे थे. बहुत सारी संभावनाएं नज़र आ रहीं थीं. ख़बरें धीरे धीरे फैलती हैं और आप तो जानते ही हैं कि इश्क और उसकी मुश्क छिपाए नहीं छिपते हैं !

शनिवार को पास के बाज़ार से 'कमल साड़ीज़' का एक बंदा सीधा केबिन में घुस आया. हाथ में एक बड़ा सुंदर सा पैक किया हुआ डिब्बा था. नमस्ते करके बोला,
- साब ये सेठ जी ने भेजा है.
- किस के लिए भेजा है भई ये ? दिवाली तो अभी दूर है !
- सेठ जी ने ये कोने में कुछ लिख कर दिया है. नहीं तो आप मोबाइल से सेठ जी से बात कर लीजिए.
- हूँ ठीक है आप जाओ.
पढ़ा तो उस डिब्बे पे छोटा सा 'नरूला साब' लिखा हुआ था. इण्टरकॉम पर मन्नू को अंदर बुलाया.
- 'कमल साड़ीज़' से कोई गिफ्ट आया है आपके लिए ये लो.
मन्नू ने झेंपते हुए गिफ्ट पैक पकड़ लिया और थैंक यू कह कर भाग लिया. ऐसा लगा कि मन्नू की गाड़ी धीरे धीरे पटरी पर आ रही थी.

पर सोमवार को अच्छी खबर नहीं मिली. हमारा शहर झुमरी तल्लैय्या छोटा सा ही है. दिल्ली से तो शर्तिया छोटा है. चाय के अड्डे तो बहुत हैं यहाँ पर बढ़िया रेस्तरां एक ही है. उसका अकाउंट हमारे यहाँ है और जाहिर है कि उसका मैनेजर लेन देन के लिए ब्रांच में आता रहता है. सोमवार को कैश जमा कराने आया तो उसने कुछ यूँ बताया:

- शनिवार शाम नरूला जी और साथ में नई ऑफिसर रेस्तरां में आए थे. दोनों कोने वाली टेबल पर बैठे, पानी पिया और फिर नरूला जी ने खड़े होकर गिफ्ट पैक नई ऑफिसर को प्रेजेंट किया. नई ऑफिसर ने ले लिया और तुरंत खोल कर देख भी लिया कि अंदर साड़ी है. साड़ी की फोटो लेते हुए बोली,
- शुक्रिया नरूला जी. आप लाए हो तो रख लेती हूँ. आज की कॉफ़ी मेरी तरफ से या फिर जल्दी डिनर कर सकें तो अच्छा है डिनर कर लेते हैं. पर मैं नौ बजे के बाद नहीं रुक सकती.
- तो सर नरुला साब ने चिकेन बिरयानी, दाल फ्राई, रायता, सलाद, पापड़ और तंदूरी रोटी का आर्डर दिया. बाद में दोनों ने कॉफ़ी ली. दोनों एन्जॉय कर रहे थे सर. जब बिल आया तो तुरंत नई अफसर ने बिल पकड़ लिया और उन्होंने ही पे किया और नरूला जी से कहा,
- गिफ्ट के लिए फिर से शुक्रिया. साड़ी बहुत पसंद आई मुझे. मैंने तो अपने मंगेतर को इसकी फोटो भी भेज दी है. अगले महीने वो आने वाले हैं तो उनके साथ एक बार फिर डिनर करेंगे. थैंक्यू & गुड नाईट.

गुड नाईट 



1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/08/blog-post_25.html