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Sunday 5 August 2018

कंडोलिया मंदिर, उत्तराखंड

कंडोलिया मंदिर पौड़ी गढ़वाल शहर से लगभग दो किमी दूर घने जंगल में स्थित है. छोटे से मंदिर के चारों ओर चीड़, देवदार, बुरांश और काफल के ऊँचे ऊँचे घने पेड़ हैं. सुंदर और ठंडा स्थान है. कंडोलिया देवता की पूजा अर्चना भगवान शिव के रूप में की जाती है. इनके दूसरे नाम हैं - गोरिल देवता, कंडोलिया ठाकुर और बोलंदा देवता. कंडोलिया देवता यहाँ का क्षेत्रपाल देवता माने जाते हैं जो कि विपत्ति आने पर आवाज़ लगाकर क्षेत्र वासियों को सावधान कर देते हैं.

मंदिर के बारे में दो कथाएँ सुनने को मिलीं. पहली यह कि कुमाऊँ क्षेत्र से कोई दुल्हन पौड़ी आई तो अपने साथ अपने इष्ट देवता को कंडी ( छोटी टोकरी ) में रख कर ले आई. जिसे बाद में ऊँचे स्थान पर स्थापित किया गया. स्थान और मंदिर का नाम कंडोलिया मंदिर पड़ गया. दूसरी कथा ये है कि डूंगरियाल नेगी समाज ने अपने इष्ट गोरिल देवता को पौड़ी में बसने का अनुरोध किया था. पहले स्थापना नीचे चौक में की गई परन्तु देवता ने स्वयं को शिखर पर स्थापित करने को कहा. उन्हें कंडी में ले जा कर पहाड़ी के ऊपर स्थापित किया गया इसलिए स्थान और मंदिर कंडोलिया कहलाए. हर जून में यहाँ तीन दिन का भंडारा और मेला लगता है.

पौड़ी बस अड्डे से मंदिर के लिए आसानी से सवारी मिल जाती है. समुद्र तल से पौड़ी की ऊँचाई 1815 मीटर है. नज़दीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार है जो 108 किमी दूर है और एअरपोर्ट देहरादून में है जो 155 किमी दूर है. मंदिर के पास सुंदर पार्क, बच्चों के झूले और कार पार्किंग है. लगभग दो किमी आगे क्यूंकालेश्वर मंदिर और रांसी स्टेडियम भी देखा जा सकता है. प्रस्तुत हैं कुछ फोटो: 



कंडोलिया देवता का निवास 


प्रवेश द्वार 


मंदिर की सीढ़ियाँ

ठा. गुलाब सिंह गौरी सिंह नेगी मु. पौड़ी अपनी तरफ से कन्डोलिया देवता का मकान व आँगन बनाया है 15-07-1989 

मनौतियाँ पूरा होने की प्रतीक घंटियां 
धनुष बाण 

मंदिर के बारे में प्रदेश सरकार द्वारा लगाया गया नोटिस बोर्ड 

घंटी बजाओ सब कुछ पाओ 
आसपास का सुंदर दृश्य

ठंडा और शांत जंगल


बच्चों के लिए पार्क 







1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/08/blog-post.html