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Wednesday 25 April 2018

नकली मूर्ती

शादी में जाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. और लो टैक्सी भी आ गई. सामान गाड़ी में डाल दिया और दोनों पिछली सीट पर बैठ गए. चंद्रू ड्राईवर से बोला,
- चलो भई स्टार्ट!
गाड़ी गीयर बदलते हुए हाईवे पर आ गई और देहरादून की चार घंटे की यात्रा शुरू हो गई. उसके साथ ही मन में विचारों की गाड़ी भी चल पड़ी. वहां मम्मी पापा भी इंतज़ार कर रहे होंगे दो दिन वहां भी रुकेंगे और फिर सभी शादी में भी शामिल हो जाएंगे. एक बजे तक पहुँच जाएंगे. मम्मी तो तुरंत लिपट जाएँगी और एक पेट डायलॉग जरूर बोलेंगी 'कुछ दुबला  दुबला लग रहा है ख्याल रखा कर!' फिर लिपटेंगी पूजा को 'आ गई आ गई तू जल्दी जल्दी आया कर अच्छा लगता है'. पापा मिलेंगे अपने फौजी अंदाज़ में. ऊपर से नीचे तक देखेंगे, आशीर्वाद देते देते दोनों के सर पर बारी बारी हाथ फेरेंगे. बस उसके बाद हाहा होहो शुरू हो जाएगी.
सामान बरांडे में फेंक कर वहीँ बेंत की कुर्सियों में बैठ कर चारों एक साथ ही आपस में बातें करने लग जाएंगे. यात्रा, सड़कें, कपड़े, नौकरी, मौसम, शादी सब आनन फानन में डिस्कस होने लग जाएगा. बेतरतीब बातें, प्यार भरी बातें और ख़ुशी फैलानी वाली बातें. पर तभी मम्मी को याद आ जाएगा और पूछ लेगी,
- अरे चाय तो पूछी ही नहीं. चाय या ठंडा?
- अरे बियर लेंगे भई बियर.
ऐसे ही किसी बात पर ब्रेक हो जाएगा. पर रुक रुक के सिलसिला जारी रहेगा. मामा भी तो होंगे शादी में? बस यहाँ आकर चंद्रू की खुशनुमा विचारों पर रुकावट आ गई. पियक्कड़ और गुस्सैल मामा के साथ कई कड़वी यादों के विडियो चल पड़े. चेहरा थोड़ा उतर गया. सोच में पड़ गया.

- पूजा तो केवल शादी में मामा से मिली थी अब तो शायद याद भी नहीं होगा उसे. मामा के बारे में कभी उसे बताया भी नहीं. शादी की एल्बम में जरुर मामा नज़र आये होंगे. अब पूजा को बताऊँ या ना बताऊँ? बताने से उसे बुरा लगेगा. क्या पता खानदान पे कुछ बोल पड़े? अगर ना बताया और वहां जाकर उसे पता लगा तो हो सकता है लड़ पड़े? हो सकता है नाराज़ हो जाए और आइन्दा देहरादून जाने से मना कर दे. क्या किया जाए? चलो बता दूंगा. फिलहाल तो सो रही है.

- मैं भी मामा से नमस्ते करके किनारा कर लूँगा. फ़िज़ूल की बातें करते हैं, बार बार कहते हैं 'पेग ले ले यार पेग ले ले'. पी लो तो भी मज़ाक उड़ाते हैं ना पियो तो दूध पीने वाला बच्चा कहते हैं. बीच बीच में मामी को फटकार लगाएंगे या किसी बच्चे को डांट मारेंगे. उनकी नौकरी के किस्से सुन सुन कर कान पाक चुके हैं. 

- लेकिन कन्नी काट लो तो मम्मी भांप जाती है. फिर समझाने का दौर शुरू हो जाता है. भाई बहन की इज्ज़त, आपसी प्यार मोहब्बत जैसे डायलॉग चल पड़ते हैं और काफिया तंग होने लगता है. अब भी मम्मी उम्मीद करेगी की हम दोनों मामा के घर जाएं, कुछ गिफ्ट भी साथ जाएं और दो चार घंटे मामा मामी के संग गुजारें. नो वे! मामा के घिसे पिटे किस्से और मामा का मामी पर गुर्राना हम क्यूँ सुने ? या मामी तिरछी नज़रों से मामा को देखे और हम देख कर भी अनदेखा करें? ना ना हम नहीं जाएंगे. जाते ही मम्मी को कह दूंगा.

- पर फिर हल्का सा ये भी खयाल आ जाता है की यार अब मामा पेंशनर हैं जैसा चाहें रहें हमें क्या करना है. बस हाल चाल पूछ कर छुट्टी कर लेंगे. दुनियादारी निभाओ और आगे चलते रहो. जहाँ देखो यही रोना लगा हुआ है प्रोटोकॉल का और फॉर्मेलिटी का. बेचैनी होने लगती है इन सब बातों से. सिर भारी हो जाता है.

चंद्रू ने ड्राईवर से कहा फलां ढाबा आने वाला है वहां रोकना. पूजा से कहा उठो यहाँ कुछ ले लेते हैं. चाय पीते हुए फिर से चंद्रू के मन में आया की पूजा को मामा के बारे में बता दे. हाँ - ना - हाँ? चलो बाद में देखता हूँ. नहीं बता देता हूँ और बता ही दिया. 

पूजा ने सुन लिया पर क्या कहना था? बोली,
- चंदर छोडो भी. लोग कैसे कैसे स्वाभाव के होते हैं और क्या क्या करते हैं इसका हमें हिसाब रखना है क्या ? सब परिवारों में एक आधा जोकर रहता है कहीं मामा, कहीं फूफा, कहीं ताऊ. जैसा मौका आएगा निपट लेंगे.
चंद्रू को बात समझ आई और मन ज़रा हल्का हुआ. बाकी रास्ता गप्पों में गुज़र गया और बाकी दिन भी. जैसा की उम्मीद थी अगले दिन मम्मी ने दोनों को कहा की दस मिनट के लिए मामा मामी से भी मिल आओ. उन्हें पता तो है की तुम आने वाले हो जाओ बस शकल दिखा कर आ जाना. 

एक घंटे की कसैली कड़वी बहस के बाद चंद्रू ने कपड़े बदले और पूजा को लेकर मामा के घर पहुंचा. मामा को देख कर बोला,
- ये क्या मामा जी? स्टिक पकड़ी हुई है?
- अरे यार कुछ दिन पहले पार्क के गेट से बाहर निकला कोई गाड़ी हिट कर गई थी और मैं सड़क पर जा गिरा था. तीन घंटे बाद आँख खुली तो डॉक्टर खड़ा देखा. खैर शाम तक वहीँ क्लिनिक में रहा फिर मामी ले आई. ऐसा लगा दुबारा पैदा हो गया हूँ हाहाहा ! इस नए जन्म के साइड इफ़ेक्ट भी हुए जैसे की अब श्रीमती के साथ ज्यादा टाइम बिताता हूँ और बताऊँ हें हें हें नए जनम में दारु बंद कर दी है !

कुछ देर बाद घर की तरफ वापिस चले तो पूजा ने कहा,
- चंदर तुमने बेकार में मामा की नकली मूर्ती बना कर सिर पर बोझ की तरह रखी हुई थी.     

नकली 


1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/04/blog-post_25.html