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Sunday 22 April 2018

अजब तोरी दुनिया

हरिद्वार हो या ऋषिकेश आना जाना होता रहता है कभी किसी धार्मिक अनुष्ठान के कारण या  कभी सैर सपाटे के लिए. कभी और ऊपर याने टेहरी या पौड़ी गढ़वाल जाना हो तो एक रात का हाल्ट भी हो जाता है. दोनों जगहों पर बहरुपिए, अपाहिज और भिखमंगे बहुत मिलते हैं. कई बार देख कर लगता है कि वाकई जरूरत मंद होगा पर कई बार देते हुए हाथ रुकता है. ये फैसला करना मुश्किल हो जाता है कि कुछ दें या न दें? दो बीघा जमीन  (1953 ) फिल्म का गाना याद आ जाता है:

हो मोरे रामा अजब तोरी दुनिया 
कदम कदम देखी भूल भुल्लैय्या 
गजब तोरी दुनिया  !

बहरूपियों की बात तो समझ में आती है की रंग-रोगन करते हैं, कपड़े दाढ़ी मूंछ वगैरा लगाते हैं और 'self employed' हैं. आप उनके अभिनय को सराहने के एवज़ में पैसे दे देते हैं. या कई बार पीछा छुड़ाने के लिए भी दे देते हैं. हर की पौड़ी पर दो को मैंने गौर से देखा - एक हनुमान बना हुआ था और दूसरा काली माई. दोनों महिलाओं की ओर पहले कटोरा फैलाते हैं. अगर गाँव की महिला या बुज़ुर्ग या बच्चे हों तो और भी अच्छा है क्यूंकि कुछ न कुछ मिल ही जाता है. काली माई तो हाथ उठाकर चांवर 'कस्टमर' के सिर पर फेरने लग जाती थी. दक्षिणा मिली तो तुरंत दूसरे कस्टमर की तरफ रूख कर लिया. बच्चों को हनुमान में ज्यादा रूचि होती है. माँ की ऊँगली पकड़ आगे आगे चलना है पर तिरछी गर्दन से हनुमान को भी देखते रहना है.

पर जब भला चंगा आदमी हाथ फैलता है तो फैसला करना मुश्किल हो जाता है की क्यूँ दिया जाए. ये लोग क्यूँ घुमंतू बन गए? पढ़े या नहीं? घर क्यूँ छोड़ा होगा? क्या सच में साधू हैं या ये भी एक रूप ही बनाया हुआ है? या फिर पापी पेट का सवाल है?

चलिए साब जो दे उसका भी भला और जो ना दे उसका भी भला !


पार्किंग में घुसते ही, अभी गाडी खड़ी भी नहीं हुई थी कि हाथ फैला दिया. कितना सच कितनी नौटंकी ?
हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया 

मिलते हैं सुट्टा ब्रेक के बाद
हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया 


सौ वर्ष से भी पुराना श्री सिद्ध बाबा स्वतन्त्र पूरी जी का धूना. धूने का धूआँ तने पर धूने की राख शरीर पर
हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया   

   इस नौजवान ने अपना नाम, पता, गाँव, शहर कुछ नहीं बताया पर नाश्ता करने के लिए पैसे जरूर मांगे.
फोटो की अनुमति दे दी जिस के दस रुपए लगे
हो मोरे रामा बेढब  तेरी दुनिया   

काली माई - पापी पेट का सवाल है
हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया  

फोटो खींचने के दस रूपए
हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया  

हो मोरे रामा अजब तोरी दुनिया
कोई कहे जग झूटा सपना पानी की बुलबुलिया,
हर किताब में अलग अलग है इस दुनिया की हुलिया !
सच मानो या इसको झूटी मानो,
हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया 

हो मोरे रामा अजब तोरी दुनिया
हो के हमारी हुई ना हमारी,
अलग तोरी दुनिया,
 हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया 

हो मोरे रामा अजब तेरी दुनिया
दया धर्म सब कुछ बिकता है लोग लगाएं बोली,
मुश्किल है हम जैसों की खाली है जिनकी झोली,
जब तेरे बन्दों की जान बिके ना है तब तोरी दुनिया
हो मोरे रामा गजब तेरी दुनिया   




3 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2018/04/blog-post_22.html

Unknown said...

सच यही है कुछ भी अनुमान नही लगा सकते

Harsh Wardhan Jog said...

Thank you 'Unknown'