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Wednesday 19 April 2017

रीगल

राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर और संगम  दिखाकर कनॉट प्लेस नई दिल्ली का रीगल थिएटर पिछले दिनों बंद हो गया.

समय बड़ा बलवान है साहब और समय की मार रीगल सिनेमा भी नहीं झेल पाया. वैसे तो दिल्ली के दिल याने कनॉट प्लेस की शान था रीगल सिनेमा. सिनेमा के दाएं या बाएं खड़े होकर जनता का आना जाना देखने में मज़ा आता था. बीसियों लोग एक तरफ से दूसरी तरफ जाते हुए दिखते थे और इसी तरह पचासों लोग दूसरी तरफ से आते हुए नज़र आते थे. कुछ जल्दी में तो कुछ ख़रामा ख़रामा. नौकरी से वापिस घर जाती हुई महिलाएं तेजी से बस पकड़ने के लिए भागती थीं. बीच बीच में दो चार फिरंगी निक्कर और बनियान पहने हुए इधर से उधर जाते हुए मिलते थे. तरह तरह के चेहरे और रंग वाले पर्यटक दिखते थे. कभी कभी कोई नशेड़ी भी झूमता हुआ नज़र आ जाता था तो कभी स्कूली बच्चे. रंगीन चश्मे, मालाएं और दूसरा छोटा मोटा सामान बेचने वाले आपको टटोलते रहते. मतलब ये की एक पिक्चर रीगल सिनेमा के अंदर चलती रहती थी और दूसरी बाहर.

ये तो अब भी हो रहा होगा और आगे भी होता रहेगा. 1932  में बना ये थिएटर तब भी ऐसा ही पोपुलर रहा होगा. यहाँ बैले, नाटक और फ़िल्में भी दिखाई जाती थी. बाद में तो कनॉट प्लेस में और सिनेमा हाल भी बन गए जैसे कि रिवोली, ओडियन और प्लाज़ा. सुना है की जब दूसरे थिएटर आठ आने या दस आने का टिकट देते थे तो रीगल एक रूपये या एक रूपये चार आने का टिकट देता था. अपने ज़माने का सबसे बड़ा और शानदार थिएटर कहलाता था. पर समय के साथ रीगल सिनेमा हाल को झटकाया चाणक्य सिनेमा हाल ने और फिर साकेत के पीवीआर ने. इन दोनों हॉल में बेहतर फर्नीचर, बेहतर परदे और बेहतर आवाज़ का प्रबंध था और धीरे धीरे रीगल फीका लगने लगा.

रीगल बिल्डिंग तीन मंजिली थी और पहले माले पर स्टैण्डर्ड रेस्तरां हुआ करता था. रीगल सिनेमा हाल तो अब बंद हुआ है पर स्टैण्डर्ड काफी पहले ही बंद हो चुका है. बसों में रीगल आना जाना काफी सुविधाजनक था. इस वजह से कई बार दोस्त यारों के जन्मदिन या प्रमोशन की पार्टी भी इसी रेस्तरां में हुई थी.

एक दिन सहगल ने बताया कि स्टैण्डर्ड रेस्तरां में क्या गजब की मशीन लगाई गई है.
- अरे यार सिक्का डालो तो मनपसंद गाना बजने लग जाता है. कमाल की मशीन है यार.
- चलो शनिवार को देखने चलते हैं.
हम तीन दोस्त शनिवार को वहां पहुँच गए तो पता लगा छोटी अलमारी जितने मशीन का नाम ज्यूक बॉक्स है. इसमें पहले गाना देखो कौन सा बजाना है फिर उसमें सिक्का डालो और फिर गाने का मज़ा लो. उन दिनों एक फ़िल्मी गाना खूब चलता था :

आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए  तो बात बन जाए  ...

गाने की ट्यून बड़ी सुरीली, कैची और नए किस्म की थी. वही गाना पसंद किया, सिक्का डाला और वाह गाना चालू हो गया. गाना सुनने के बाद इन्दर बोला:
- बड़ा स्वीट गाना है डियर. पर यार ये क्या बोलती है 'बाप बन जाए' इसका क्या मतलब ?
- अबे कम्बखत बाप बन जाए नहीं, बात बन जाए बोलती है.
- अरे नहीं यार बाप बन जाए बोलती है. ये सिक्का ले और दुबारा सुन ले.
दूसरी बार और फिर तीसरी बार भी इसी गाने का सिक्का डाला गया. पर लम्बी बहस के बाद 1 के मुकाबले 2 वोट से फैसला हो गया कि गाने में 'बात बन जाए' ही बोलती है ना कि बाप बन जाए.

समय गुज़रा हम तीनों बाप बन गए और प्रमोशन लेकर दिल्ली से बाहर चले गए. रीगल आना जाना बंद ही हो गया. अब अखबारों से पता लगा कि रीगल ही बंद हो गया. ठीक है साहब अब कुछ नया आएगा.


Regal cinema, Connaught Place, New Delhi.jpg
रीगल, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली, फोटो विकिपीडिया से साभार  




1 comment:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2017/04/blog-post_19.html