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Tuesday 15 November 2016

ड्यूटी

मैनेजर साब ग़ुस्से और बेचैनी में बार बार घड़ी देख रहे थे. 10.20 हो चुके थे और हरेंदर कैशियर का अतापता ही नहीं था. इधर कैश कांउटर पर भीड़ बढ़ती जा रही थी. मैनेजर साब भुनभुना रहे थे,

- आज अगर आया तो इसकी छुट्टी कर दूंगा. सुसरा समझाने से समझता ही नहीं. एक रीजनल मैनेजर है वो भी सुसरा सुनने को तैयार नहीं. कितनी बार कहा है की हरेंदर को बदल दे या इसको अपने ही दफ्तर में रख ले. अपने दफ्तर में रख कर इस हरेंदर को सुधारो तो मान जाएं. ना तो हरेंदर ही सुधर रहा है और ना ही रीजनल मैनेजर मान रहा है. अब इन दो पाटन के बीच में मेरी पिसाई हो रही है.

ये तो अच्छा है कि ये ब्रांच किराड़ी गाँव में है दिल्ली से 200 किमी दूर. यहाँ ग्राहक फोन पर या लिखित में शिकायत नहीं करते वरना और मुश्किल बढ़ जाती. ज्यादातर सीधे सादे लोग हैं दो चार सौ रूपये निकालने या जमा करने के लिए चुपचाप एक घंटा इंतज़ार कर लेते हैं. शहरी बाबू तो लड़ने के लिए तैयार रहते हैं.

दूसरी बात ये है कि गाँव किराड़ी के पास से एक हाईवे बनना है और बहुत से किसानों को जमीन का मुआवजा मिलना है. कुछ को मिल भी चुका है जिनमें से हरेंदर भी एक है. मुआवज़ा लाखों में आ रहा है इसलिए गाँव के बाहर मेला जुड़ता जा रहा है. एक दारु की दूकान खुल गई है, साज़ सिंगार की दूकान आ गई है, ढाबा आ गया है वगैरा. मुआवज़े मिलने के बाद पीने खाने का शौक अब पूरे हो रहे है. हरेंदर क्यूँकर पीछे रहता वो भी मौज लेने लग गया था.

दस बज कर तीस मिनट पर हरेंदर अंदर आया और मैनेजर साब का लेक्चर शुरू हो गया और डांट डपट के बाद उसकी छुट्टी कर दी गई. अब हरेंदर ठेके के तरफ हो लिया. चार पेग लगाने के बाद फिर से ब्रांच में आ गया. अंदर आकर अंग्रेजी बोलण लाग्या,
- मैनजर साब हरेंदर ऑन डूटी... काम करणा है मन्ने... हरेंदर ऑन डूटी... हरेंदर डूटी डेली... हरेंदर डेली डूटी ...
मैनेजर साब ने घंटी मार के गार्ड को बुलाया,
- नफे सिंह इसको बाहर निकालो. ससपेंड कर दिया तो फिर रोता रहेगा ये. जाओ इसे दूर छोड़ के आओ.
गार्ड ने हरेंदर को पकड़ा और ट्यूबवेल के पास छोड़ आया और आकर साहब को बता दिया. हरेंदर ने ट्यूबवेल पर बैठे बैठे दो पेग और खींचे और एक बजे फिर आ गया बैंक में,
- हरेंदर डेली डूटी...डेली...डेली...

इस बार गार्ड और एक पुलिस वाले ने फिर हरेंदर को पकड़ कर ट्यूबवेल के पास वापिस पहुँचा दिया. चार बजे तक ब्रांच में शांति रही. कैश और ब्रांच बंद करने का समय आ गया पर गार्ड नफे सिंह नदारद. उसकी राइफल और कारतूस भी जमा होने थे. अब चपरासी धर्म सिंह को दौड़ाया गया,

- जाओ नफे सिंह गार्ड को देखो ज़रा राइफल लेकर कहाँ घूम रहा है. राइफल भी तो लॉकर में बंद करनी है. बुला के लाओ उसे.

आधे घंटे बाद चपरासी धर्म सिंह गार्ड नफे सिंह की राइफल और कारतूस की बेल्ट लेकर आ गया और साहब से नूं बोल्या,

- साब जी यो री राइफल और यो रे कारतूस. यो तो ली आया जी मैं इब यो तो जमा कर लो जी. अर वे तीनों तो टूवेल पर टुन्न पड़े. हरेंदर बी, गार्ड नफे सिंह बी अर पुलिस वाला बी तिन्नों कतई टुन्न पड़े.

हमप्याला 


5 comments:

Harsh Wardhan Jog said...

https://jogharshwardhan.blogspot.com/2016/11/blog-post_15.html

Rajinder Singh said...

Sir ji, Harinder Duty daily. Maja aagiyo. Very interesting & funny.

Harsh Wardhan Jog said...

Thank You Rajinder Singh.

Anonymous said...

बहुत अच्छी है जी ☝🏻☝🏻
हरेंद्र ड्यूटी का चोर 😂
वाह जी वाह अंकल जी बहुत अच्छी है जी ☝🏻☝🏻

Anonymous said...

Harinder duty daily but
नागरमल न आ रिआ न जा रिआ
बस खडा खडा मुस्करा रिआ 💐💐🥸🥸🙏🏼🙏🏼❤️❤️