Pages

Monday 30 May 2016

दांत का दर्द

ब्रांच में तीन कैशियर केबिन थे. महीने के शुरू में तीनों खजांची बिज़ी रहते थे और महीना ख़तम होते होते एक ही कैशियर रह जाता था. नौकरी वालों के जीवन के महीने यूँ ही गुज़रते हैं - पहली तारीखों में बहार आ जाती है और महीने के अंत में सूखा पड़ जाता है.

ऐसे सूखे के दिनों में कई बार कलम सिंह कैशियर बैठ जाते थे. बहुत पहले कलम सिंह बैंक में चपड़ासी भरती हुए फिर दफ्तरी बन गए और अब कैशियर भी बन गए हैं. उत्तराखंड से आये पर अब दिल्ली में जम गए हैं. कैशियर बनने का मौका तभी मिलता है जब कोई दूसरा कैशियर छुट्टी पर हो लेकिन कैशियर केबिन में बैठने का कुछ एक्स्ट्रा पैसा भी मिल जाता है जो सूखे के दिनों में गला तर कर देता है. रिटायर होने में अभी एक साल है तो क्यूँ न मौके का फायदा उठाया जाए ?

फायदा उठाने की एक और कोशिश की कलम सिंह ने. शनिवार को कैशियर केबिन में हाजरी लगा दी. हालांकि शुक्रवार को ही दांतों के डॉक्टर को मिलकर आए थे जनाब. डॉक्टर ने कहा था की दर्द ठीक हो जाए और मसूढ़े की सूजन घट जाए तो दांत को निकाल देंगे. आज सुबह ही गोली खाई पर हल्का दर्द अब भी था और बायां गाल सूजा हुआ था. गोलियां और डॉक्टर का परचा जेब में ही रक्खा हुआ था ताकि वापसी में डॉक्टर से मिलते हुए जाना है. कलम सिंह ने सोचा सिर्फ आधे दिन का काम है और शनिवार + इतवार के पैसे भी मिलेंगे क्या दिक्कत है? दवा दारु के पैसे तो निकल आएँगे.

कैशियर केबिन में कलम सिंह बैठे ही थे कि इण्टरकॉम बजा. साब ने कहा की दस हज़ार भिजवाता हूँ एक नया पैकेट निकाल कर रख लो. कलम सिंह ने नया पैकेट सामने काउंटर पर रख लिया. तब तक दांत में फिर से दर्द बढ़ने लगा और बैचैनी बढ़ गयी. तीन कस्टमर पेमेंट लेने आ गये. दो को भुगतान कर के जेब में हाथ मारा और गोलियों का पत्ता निकाल कर काउंटर पर रख लिया. पर गिलास में पानी नहीं था. इस बीच तीसरे कस्टमर को भी पेमेंट कर दी और गिलास उठा लिया. दर्द और तेज़ हो रही थी.

जल्दी जल्दी केबिन का पिछला दरवाज़ा खोला जहाँ बड़ा जग रखा हुआ था उसमें से गिलास भर लिया. फिर गिलास काउंटर पर रक्खा और जल्दी से गोली का पत्ता खोला और एक गोली निकाल कर मुंह में डाली. गोली गटक के नज़र मारी तो काउंटर साफ़ ?
- ओह ये क्या ? दस हज़ार का नया पैकेट कहाँ गया ? कौन ले गया ?
दर्द और घबराहट में कलम सिंह ने चिल्लाने की कोशिश की,
- ली-गे, ली-गे, ली-गे (ले गया, ले गया, ले गया) !
पर आवाज़ गले के बाहर ही नहीं निकल पाई.

सावधानी हटी दुर्घटना घटी  

Wednesday 25 May 2016

ऑडिटर आया

चीफ साब ने ब्रांच के सभी अफसरों और मैनेजरों को केबिन में बुला लिया और मुखातिब हुए,
- भई 31 मार्च गई और अब ऑडिटर आया समझो. ये लैटर आ गया है और मैंने फ़ोन पर बात भी कर ली है. दिल्ली से कोई गोयल साब आ रहे हैं. बात करने से लग रहा था की अनुभवी हैं और धर्मपत्नी भी साथ आ रही हैं. मलिक साब आप तो ज़रा होटल वगैरा सेट करा दो. साथ में तीन जूनियर भी हैं उनका हिसाब किताब भी देख लेना. होटल वाले को बता देना बिल ऐसे बनाए ताकि उनकी लिमिट में ही काम हो जाए. लंच तो यहीं करेंगे दिन में उसके बिल तो ब्रांच खाते में ही जाने हैं देख लेना. आने जाने के लिए मेरी गाड़ी रहेगी. बाकी सब लोग नोट कर लो कि उनसे मौसम और झुमरी तल्लिय्या की खूबसूरती का व्याख्यान कर लेना पर बैंकिंग की बात नहीं करनी है समझ गए न ?

- और नरूला साब असली ऑडिट तो आपका लोन विभाग का ही होना है. इसलिए ज़रा कमर कस लो और घर बोल दो की सन्डे तो गया. कारपेट की फैक्ट्री में एक बढ़िया सा आइटम निकलवा कर पैक करवा लो. एक कोई घरेलू आइटम मैडम गोयल के लिए भी रखवा देना. पर बजट ज़रा सा डिस्कस कर लेना. शाम के लिए दो एक बोतलें भी चाहिए होंगी. बीच में एक दिन गंगा स्नान करने जाएंगे गोयल साब वो मैं अपनी गाड़ी में ही मैनेज कर लूँगा. तीन खाते ढीले हैं ज़रा वो संभाल लेना बाकी मैं अपने लेवल पर तो करूँगा ही. ज़रा ध्यान रखना कि पेन पेंसिल वगैरा की दिक्कत ना हो उन्हें. और कुछ ?

मीटिंग बर्खास्त हुई और तैयारी शुरू हो गई. गोयल साब आ गए और ऑडिट चालू हो गया. शाम को नरूला साब बोतल लेकर होटल के रूम में पहुंचे. घंटी मारी तो गोयल साब ने दरवाज़ा खोला.
- आओ आओ बैठो. बस पांच मिनट लूँगा ज़रा पूजा कर लूं.
नरूला साब ने देखा की पूरे कमरे में अगरबत्ती का धुआं फैला हुआ था. गोयल साब पजामे और बनियान में फर्श पर आलथी पालथी मार कर बैठे हुए नम नम नम नम कुछ बोल रहे थे. सामने थाली में 2 छोटी छोटी मूर्तियाँ रखी हुईं थीं साथ में फूल, धूप और अगरबत्ती थी और एक चांदी का सिक्का रक्खा था. फिर खड़े होकर थाली हाथ में लेकर कमरे में चहुँओर घुमाया और फिर सोफे में बैठ गए. बोतल देखकर बोले,
- अरे रे रे नरूला साब वैसे तो मैं पीता नहीं पर अगर पीता हूँ तो सिर्फ स्कॉच. ये देसी रोयल फोयल मैं नहीं लूँगा प्लीज. अगर अच्छी सी स्कॉच मिल सकती है तो ठीक है वरना कोई बात नहीं. पीना कोई जरूरी थोड़ा ही है ?

नरूला साब ने पूरे झुमरी तल्लिया शहर में घोड़े दौड़ा दिए. ये तो इज्ज़त का सवाल था, नौकरी का सवाल था. पर अंत में खोज ही लाये जोनी वाकर. दो पेग तैयार हो गए. गोयल साब ने चियर्स करने से पहले अपने गिलास में ऊँगली डुबोई और कुछ नम नम नम नम करते हुए हवा में छिड़क दी. फिर दूसरी बार और फिर तीसरी बार भी ऐसा ही किया. उसके बाद गिलास टकराए और चियर्स कहा. नरूला साब के पूछने पर बताया,
- देखो नरूला साब ऐसा करने का एक कारण है. भगवान ने इतनी सुंदर सी ये दुनिया बनाई है और यहाँ भांत भांत की खाने पीने की सुंदर चीज़ें भी बनाई हैं. एक से बढ़ कर एक फ्रूट और सब्जियां हैं. पर ये जो है ना दारु इसे पीना भगवान अच्छा नहीं मानते. पर साब कभी कभी तो लेनी भी पड़ती है ना. क्यूँ नरूला साब ? अब आप इतनी दौड़ धूप कर के लाएं भी और फिर भी हम ना पियें तो गुस्ताखी होगी ! हहहाहा ! और ये जो मैंने गिलास में से छिड़काव किया था ये भगवान से माफ़ी मांगी थी एक्चुली.

ऑडिटर साब और उनकी मैडम ने गंगा स्नान भी किया, झुमरी के आस पास की सैर भी की, स्कॉच भी पी और रिपोर्ट भी ठीक ठाक दे गए. अब अगले साल देखा जाएगा क्यूँ जी ?

सुंदर सी दुनिया 


Tuesday 24 May 2016

Roaming in Karnataka - Random Photos

While staying in Bangalore had trips to tourist places in Pondy, Mysore, Hassan and Shravanbelgola by car. On the way several photos were clicked of which some are here. These do not have any sequence of places or time but are random shots taken by mobile phones. Have a look: 
  
Incredible India indeed. This scene was totally unexpected! This small church is set in a beautiful place called Nellyady. This pic was snapped while on way to Mangalore on NH-48.

The road ahead disappears! Pic taken on NH-7 to Chennai.

Monsoon is in full flow. Hard life for my friend here as paddy season is on. Snapped on a rural road to Belur
Minar & minarets. A hill on NH-7 to Chennai

Papaya & coconut plantation somewhere on NH-66 to Pondichery

Part of Kamath Restaurant on Banglore-Mysore Highway

A couple of horses. Wooden ones rather. Older pair on the right & newer one on the left. Several such pairs found on way to Pondichery on NH-66. They might have been used in some cultural or religious functions
Somewhere near Krishnagiri on NH-7. Such dhabas do a marvelous job of integrating India better than even politicians

Hot chocolate ice-cream scoop on NH-7 to Chennai

Coming soon Spanish food - on NH-75 to Hassan.

Get ready to shell out toll for NH-75. Coming up shortly

Rainbow over Whitefield, Bangalore. It did not sustain long though & disappeared quickly.

This pic is from Shravanbelagola hilltop Jain temple complex having 57 feet tall statue of Bahubali. The statue was constructed in the year 931 and has been voted for top place in seven wonders of India in TOI survey. Instead of preserving & respecting the temple here we see that entire wall has been vandalised. 

The breezy cool weather of Bangalore invites you for a walk everyday. But footpaths are not well maintained. In addition there is never ending infra digging work 

Colourful pipes being laid for internet 

Dark monsoon clouds gather over exhibition ground of Karnataka Trade Promotion Organisation, Whitefield, Bangalore
Toll free road for all near Halebidu, Hassan

Wine shops using names of Gods are common in Karnataka. This one Hanuman Wines is on NH-75 to Hassan
Never ending road

Merchandise in the truck - coconut is unaffected by monsoon rain

Bangalore & nearby districts are on a plateau 900+ meters above sea level & there is continuous breeze 24*7. Good to see that wind mills are being installed for clean energy. This snap was taken on way to Hassan from Halebidu.
Entrance of College of Folklore on Bangalore Mysore Highway 

Express delivery!

Saturday 21 May 2016

ये ना जाना

रीजनल ऑफिस के लिए रिसेप्शनिस्ट का इंटरव्यू चल रहा था. हमारे झुमरी तल्लिय्या रीजन के सर्वे-सर्वा गोयल साब के अलावा एक मैनेजर hrd और एक चीफ मैनेजर भी इंटरव्यू बोर्ड में विराजमान थे. चौथी उम्मीदवार आई मिस प्रीति. उम्र थी 35 की, सांवला रंग, मोटी मोटी आँखें और बड़े सलीके से पहनी हुई साड़ी. फर्राटेदार इंग्लिश और हिंदी. गोयल साब को दो चीज़ें पसंद आई, एक तो मिस प्रीति की इंग्लिश और दूसरा 35 के बावजूद उसका मिस होना. मैनेजर hrd ने कनखियों से मसला भांप लिया और चीफ मैनेजर ने भी हवा का रुख देख लिया. दोनों ने कागजों पर अंगूठे लगा दिए.

पहली तारीख को मिस प्रीति ने कुर्सी संभाल ली. गोयल साब ने आकर मुआयना किया,
- सब ठीक है न मिस? कंप्यूटर, कागज़ पेंसिल वगैरा कुछ चाहिए हो तो बताना. फ्रेंकली बता देना फ्रेंकली. मैं बड़ा ओपन हूँ ओपन. और अब चाय बोल दो चाय. जब चाय आ जाए तो आप भी अंदर आ जाना कम इनसाइड.  

58 वर्षीय गोयल साब रंग के सांवले और शरीर से गोल-मटोल हैं. आप कह सकते हैं की खाते पीते घर के हैं. बाल उड़ चुके हैं बस किनारे किनारे एक झालर सी बची हुई है जिस पर वो दिन में 5-7 बार प्यार से कंघी चलाते हैं. महंगी और चुनी हुई उम्दा परफ्यूम लगाते हैं. केबिन के अंदर वो साब हैं पर केबिन के बाहर उन्हें प्यार से टकला कहते हैं. चाय पीते पीते मिस प्रीति से बातचीत कर रहे थे,
- रहती कहाँ हैं आप? और साथ में कौन है? मैं कह रहा था देर सबेर हो जाए तो गाड़ी में आपको छोड़ दूंगा. झुमरी तल्लिय्या में आप नयी आई हैं किसी किसम की कमी नहीं रहनी चाहिए. शाम को अकेले बोर हो जाएंगी. कल मैं टीवी भिजवा देता हूँ ड्राईवर के हाथ. गैस चाहिए क्या? उसकी भी व्यवस्था करा देता हूँ. मैं बड़ा ओपन आदमी हूँ ओपन मिस प्रीति.

अगले हफ्ते दस दिन तक यही सिलसिला चलता रहा. रोज़ कुछ ना कुछ सामान मिस प्रीति के घर पहुँच रहा था और ऑफिस में दोनों की गुफ्तगू लम्बी होने लग गयी थी. दफ्तर में कानाफूसी का बाज़ार गर्म होने लग गया था उड़ती उड़ती खबर गोयल साब के घर पहुँचने लगी थी. पर ज्यादा नहीं चला ये सिलसिला शायद दो महीने चला होगा.
इधर मिस प्रीति दो दिन ऑफिस ही नहीं आई ना कोई फोन ना ही कोई मेसेज आया. गोयल साब ने ड्राईवर को दौड़ाया. ड्राईवर ने आकर खबर दी की मिस प्रीति तो घर छोड़ गयी हैं और मकान मालिक ने बताया कि सारा सामान भी ले गयी हैं शायद मुम्बई में नौकरी लग गयी है. कोई एड्रेस नहीं छोड़ कर नहीं गयी हैं.
खबर सुनकर गोयल साब के रोंगटे खड़े हो गए यहाँ तक की सर पर जो दो तीन बाल थे वो भी खड़े हो गए. सामान का मोटा मोटा हिसाब लगाया ये+ये+वो+वो=70,000. गोयल साब दुःखी होकर बोले,

तेरे प्यार का ये हाल,
इस प्यार में था इक जाल,
इस प्यार में था ताना बाना,
कब कैसे फँस गई गर्दन,
ये ना जाना !

तेरी फरमाइशें थी कुछ ज़्यादा,
मेरी ख्वाहिशें थी कुछ ज़्यादा ,
तेरे प्यार में थे खर्चे,
कब निकला मेरा दिवाला,
ये ना जाना !

मेरी गाड़ी में तू घूमी,
धुआं उठा मेरे पर्स में,
हुआ मैं कंगला पर तू झूमी,
कब हुआ मेरा बटुआ फ़रार,
ये न जाना !                                                                                                                   
ये न जाना 



Thursday 19 May 2016

गड्डी

बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने के बाद बहुत तेज़ी से शाखाएँ खुलने लगीं और इसलिए नये स्टाफ़ की भरती भी शुरू हो गई थी. भरती के लिये एक बोर्ड बना दिया गया था जिसकी परीक्षा पास करके अलग अलग बैंकों में इंटरव्यू होता था और पास होने पर नौकरी मिल जाती थी. इसी प्रोसेस से पंजाब नैशनल बैंक नई दिल्ली में अपनी भी नौकरी लग गई.

शाखा में 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे थे. और उस चार माले की बिल्डिंग में और भी कई विभाग थे जहां बहुत से कर्मचारी थे, महिलाएँ थीं और अफ़सरों की काफी बड़ी फ़ौज थी. ज्वाइन करते ही एक बात महसूस हुई कि बैंक में वहाँ हर लेवल पर पंजाबी बहुत थे - मल्होत्रा, भसीन, खुराना, कपूर, चढ्ढा, कोहली वगैरा. हों भी क्यूँ ना लाहौर, पंजाब में स्थापित हुआ था बैंक. ज़ाहिर है बोलचाल में पंजाबी का फ़्लेवर था. केनरा बैंक में कन्नड़ और इंडियन बैंक में तमिल का बोलबाला रहा होगा. यहाँ तो चढ्ढा साब बोलते कि,
- ओ काके ज़रा सबज़ वोचर फढ़ाईं !
- सर क्या ?
- ओए सबज यार हरा वोचर पकड़ा दे.
- सर सब्ज़ तो पता था सबज नहीं समझ आया था.
सभी नए रंगरूट काके, मुंडे याने लड़के या कुड़ीए याने लड़की कहलाते थे. अकसर सुनने को मिलता था कि,
- ऐ मुंडे कुड़ियां कालजों नवें नवें आए ने इनानूं कख नी पता ( these new recruits fresh out of college know nothing ).
- ओ बेटा जी तुस्सी चिट्टे ते सब्ज़ वोचर द्राज इच रखया करो ( son always keep white & green vouchers in your drawer ).
- अस्सी लोग मैट्रिक पास ते नवें मुंडे कुड़ियां बीए एमए पास आ रै ने ( we passed matric whereas newly recruited are BA & MA ).
सभ्भरवाल साब डे बुक इंचार्ज थे और उनके ये डायलाग तो रोज़ ही सुनने को मिलते थे,
- टोटलां विच फ़र्क़ चेक कर लेणा तुस्सी ( totals में फ़र्क़ चेक कर लेना आप ).
- लॉंग बुकां चेक कर लेणा तुस्सी ( long books used by cashiers & clerks should be checked by you ).
- कताबां कठ्ठियां कर लो पहलां ( books used by cashiers & clerks should be collected first ).

नामों और शब्दों के उच्चारण में भी फ़र्क था - सतीश > स्तीश, महेंदर > म्हिंदर, गायत्री >गैतरी, पैसे > पैहे.
कुछ मुहावरे काफी चलते थे और बड़े पसंद आये - ग्वाची गां ( गुमशुदा गाय या भटका हुआ बन्दा ), घुम-फिर के खोती बोड़ तल्ले ( घूम के गधी वापिस बरगद के नीचे याने कोई प्रोग्रेस नहीं ).
अगर आपस में बात करने लग जाओ तो शायद इन्चार्ज कह दे - ओये की रोल्ला पाया तुस्सी? अगर चड्ढा साब ने चार चाय मंगानी हो तो वेटर को आवाज़ देंगे - ओये चार चावां ते लै-या.

मतलब ये क़ि पंजाबी + इंग्लिश याने पिंगलिश और हिंदी + इंग्लिश याने हिंगलिश सबकी खिचड़ी पकती रहती थी पंजाबी तड़के के साथ. अंदाज़े बयां और ही था जिसमें हम भी धीरे धीरे शामिल हो गए. अब देखिये किसी भी वाहन का पंजाबी में नाम है गड्डी जैसा क़ि ऑटो या ट्रक के पीछे अक्सर लिखा मिलेगा "यश ते बॉबी दी गड्डी", "गुल्लू ते पप्पू दी गड्डी"  इत्यादि. अब गोयल साब को शायद ये तो पता नहीं था कि साइकिल भी "गड्डी" ही कहलाती है. शनिवार तीन बजे गोयल साब घर जाने को तैयार बैठे थे. तनेजा नज़र आया तो उन्होंने सोचा कि इसके पास स्कूटर जरूर होगा इसलिए पुछा,
- घर जा रा है तनेजे ? यार मुझे रीगल तक छोड़ देना.
- चलो जी चलो साडी गड्डी तैयार है जी. 
दोनों ब्रांच से बाहर निकल आए. तनेजा ने साइकिल का ताला खोला और स्टैंड से बाहर ले आया.
- लौ जी गोयल साब साडी गड्डी रैडी है जी !

गुल्लू, बबलू, निक्की ते विक्की दी गड्डी




Tuesday 17 May 2016

On Western Coast of India

Edapally-Panvel Road runs through Kerala, Karnataka, Goa & Maharashtra. This road is now renumbered as NH 66 in place of NH 17. It has several sections in different states with different numbers. The road is narrow & single in most places in Kerala & Goa and is wider in Karnataka & Maharashtra. Expansion work is on in many places. The route is busy one with heavy truckers carrying goods to & fro ports. The truckers & private bus drivers generally follow their own rules & pay scant attention to other travellers. Need to drive carefully.

But the route is beautiful with blue Arabian Sea on the left & lush green Western Ghats on the right. Now the road comes near the sea & then snakes through the hills. Coastal scenes are awesome and one forgets the blaring horns, stray animals, potholes & speed breakers.
Some photos:

Fresh fish caught from Arabian Sea being sold in Murudeshwara, Karnataka

A view of the Arabian Sea from Fort Aguada, Goa

A view of Kanyakumari, Tamilnadu
Backwaters of Kochi, Kerala
From Kanyakumari to Goa. There are three alternate routes of which that near sea shore is beautiful. Blue Arabian Sea on the left & green Western Ghats on the right make the drive enjoyable
Sea beach near Kappad locally called Kappakadavu in Calicut now called Kozhikode, Kerala. It is in Kappad that Portuguese traveller Vosco Da Gama landed on 20 May 1498. Samudiri (Zamorin) was the King of Calicut at that time



Thursday 12 May 2016

बिरयानी

केबिन में एक महिला आई,
- नमस्ते सर. मेरी बहन का खाता यहीं है जी. पिछले महीने बहन गुजर गई जी. तो उसका पैसा दिलवा दो जी. काउंटर पे तो मना कर रहे जी. यूँ कह रहे हैं की मैनेजर साब ही पास करेंगे.

पास बुक देखी तो आफरीन के खाते में 5.70 लाख थे. शायद कहीं नौकरी कर रही होगी क्यूंकि हर महीने सैलरी आ रही थी. खाता चेक किया तो बहुत पुराना था. ना तो कोई फोटो लगी हुई ना ही कोई नामांकन. पुरानी पुरानी ब्रांचों के दुखी करने वाले लफड़े. वैसे भी मृत मुस्लिम महिला का उत्तराधिकारी कौन होगा तय करने के लिए वकील से बात करनी पड़ेगी और मोहल्ले में भी पूछताछ करनी पड़ेगी. रीजनल मैनेजर को केस बना कर भेजना पड़ेगा. दो तीन महीने का काम हो गया ये.

और जानकारी लेने के लिए पुछा तो पता लगा,
- जी मेरी बहन आफरीन भी टीचर थी. उसकी भी शादी नहीं हुई थी जी. अठ्ठावन की थीं जी और हमारे पेरेंट्स तो बहुत पहले ही अल्लाह को प्यारे हो लिए जी. आफरीन के पैसे लेने के लिए क्या करना होगा सर?

मोहल्ले में पूछताछ की तो पता लगा की दोनों बहनें आयशा और आफरीन अकेले ही रहती थीं. उनके पिता एक टेलर थे और दो मंजिले मकान के निचले कमरे में अच्छी खासी दुकान चलाते थे. किसी सड़क दुर्घटना में उनका इन्तेकाल हो गया. अम्मा ने किसी तरह दूकान जारी रक्खी. बेटियों की मदद से जनाना कपड़ों की सिलाई जारी रही. आयशा और आफरीन ने पढ़ाई जारी रखी. शादी अब होगी तब होगी करते करते समय निकलता रहा और दोनों ही इस दौरान एमए पास कर गयीं. प्राइमरी स्कूल में दोनों ही टीचर लग गयीं. एक दिन अम्मा भी गुज़र गई. अब कौन लड़का देखे और कौन बात चलाए शादी की. शादी का समय भी खिसकने लग गया और धीरे धीरे निकल ही गया. अब आफरीन 58 बरस की हो कर गुज़र गयीं और 54 बरस की आयशा अकेली रह गयी.

मोहल्ले में दोनों की अच्छी साख थी. गरीब बच्चियों को दोनों मदद करती रहती थीं इसलिए उनकी इज्ज़त भी करते थे लोग. सारी पूछताछ करने के बाद कागज़ पत्तर समेत रिपोर्ट रीजनल मैनेजर को भेज दी. जवाब आने के बाद देखा जाएगा क्या कारवाई करनी है. पर आयशा बड़ी बैचैनी से पूछताछ करने आ जाती थी.

एक दिन टीकरी कलाँ ब्रांच का केशियर अनवर मिलने आ गया और आफरीन के केस के बारे में पूछने लगा की पेमेंट मिलने में बहुत देर हो रही है. अगर वो कुछ लिख कर दे तो क्या जल्दी मामला सेटल हो जाएगा?
- आपको तो पता होगा की केस रीजनल ऑफिस में पड़ा हुआ है. फिर भी आप मदद करना चाहते हो तो अपनी गारंटी दे दो तो काम आसान हो जाएगा. अभी तो दो तीन साल की नौकरी आपकी बकाया है. आपकी रिश्तेदारी है या जान पहचान है क्या?
- ना सर कोई रिश्तेदारी नहीं है और जान पहचान भी नहीं है बस बिरादरी की हैं. पर गारंटी मैं दे दूंगा.

दस दिन में ही पेमेंट हो गई. पेमेंट के अगले दिन ही आयशा मिठाई का डिब्बा लेकर केबिन में आई और पीछे पीछे खिसियाता और मुस्कुराता हुआ अनवर भी आ गया.
- अनवर आप तो कहते थे रिश्तेदारी भी नहीं है और जान पहचान भी नहीं है पर अब तो बड़ी नजदीकी रिश्तेदारी दिख रही है.
 - साब आयशा कहने लगी कि अम्मा को भी अकेले जाते देखा और आफरीन को भी इसलिए मैं परिवार में रहना चाहती हूँ अकेले नहीं.
- मुबारक हो. सन्डे शाम को बिरयानी तैयार रखना !

नई चूड़ियाँ


Tuesday 10 May 2016

म्हारे साब

साब जी क्या पूच्छो जी. पक्की नौकरी करी पूरे 36 साल अर पांच साल करी कच्ची. इब तो पेंसन के मजे ले रे जी. नौकरी में हर तरह के दिन देख लिए साब जी उजले भी अर घनेरे भी. बड़े बड़े अफसरान देखे जी दबंग देखे, निकम्मे देखे अर भगवान आपका भला करे जी दो रीजनल मैनजर जो हैं सो देखीं जी लेडीज. मैं आज बता रा जी सबकी सेवा करी जी इस नफे सिंह ने. कोई आरएम यो न कै सके अक नफे सिंह की डूटी में कमी रै गी. टैम से आणा अर टैम से जाणा, वर्दी म्हारी फिटफाट अर रायफल म्हारी चकाचक. आज भी कोई बैठा हो आरएम की कुर्सी पे जाते-ई पैले जयहिंद करूँ जी. फेर वो-ई नूं कहे अक नफे सिंह सब ठीक ठाक है ना? बालक राजी खुसी हैं ना? यो-ई कमाई है जी म्हारी तो और बाकी सुसरा क्या धरा दुनिया में साब जी.

इब कमाई की बात सुण लो. जब मैडम नरूला आरएम आई जभी म्हारे लग गया था की आरएम ऑफिस में कुछ घटना होगी. मैडम बड़ी सजधज के आवे थी. बढ़िया सी साड़ी, खुसबू अर भारी जेवर. इस्टाफ की सारी लेडिज जब जेवर देखें जी तो नरूला मैडम भोत खुस हो जाए थी. लेट-ई तो आणा आफिस अर लेट-ई तो जाणा घर. चार बजे तो फाइलें अलमारी ते बाहर आवें थी जब दफतर हल्का हो ले था. अर लाणे वाले दो आदमी एक तो प्रापर्टी डीलर और दूसरा जी वो बर्तन की फक्ट्री वाला. कभी एक केबिन मैं बैठा कभी दूसरा अर कभी दोनों. कभी चाय आ-री जी कभी ठंडा. भगवान भला करे जी सबका काफी दिन मामला चला यो. फिर जाने शिकायत हो ली जाने क्या. पाछे पता पड्या की मैडम पे कारवाई हो ली और मैडम की तो नौकरी चली गई जी. आदमी भगवान से डरे ज्यादा न उछले जभी ठीक है जी.

ऐसे ई और एक आरएम आये थे जी गोयल साब. पुराणी बात है जी. सांवला रंग जी अर बाल कतई उड़-गे अर जी खा पी के गोल मटोल हो रए जी. महतो ड्राईवर बतावे था जी अक गाडी में सोडा, बर्फ, गिलास मौजूद रह वे था जी. थोड़े ई दिनां में सहर में मसहूर हो गया जी अक बोतल दो अर काम करा लो जी. एक आधी बेर लुगाई का नाम आया जी भगवान जाणे जी सांच बोलें थे या झूट. पर बुरा नतीजा होया जी. गोयल साब ने रात में सरकारी गाडी मार दी पेड़ में और राम नाम सत्त जी.

पर आप जाणो भले आदमी भी कम नां-ए दुनिया में अर दुनिया अब-लो निपट ना जाती? पर दो एक गलत मच्छली तलाब में कभी ना कभी टपक पड़ें जी. अर आप जाणों लालच तो गलत है ही. कबीर दास जी भी कै गए जी:

माया मरी ना मन मरा, मर मर गए सरीर,
आसा तृसना न मरी, कह गए दास कबीर !

पेंसन के मजे 


Thursday 5 May 2016

Around Pondicherry

Following photos were taken while travelling by car from Bangalore to Pondy or Pondicherry or Puducherry. Photos relate to vendors, bazaars & shopkeepers etc trying to make a living. Most of them are illiterates or semi literates. Some of the street vendors come to tourist spots from long distances. In fact a vendor of purses & leather belts had come from Aligarh, UP by train to Pondy. He said that a group of five of them were in the town selling leather goods & had taken a room on rent in a nearby village 20 km away.                                                                                    
Pondy in fact is said to derive its name from a bazaar called Poduke or Poduca which is recorded as Roman trading destination from first century. Then there were Dutch, English & French traders. French East India Company established a trading centre here in 1674 & French held control until 1954 with brief intervention from English & Dutch. 

Boats in backwaters waiting for tourists
This small town is on NH-66 on way to Pondy & is as chaotic as any other in India   
Work force on the move under the Imli trees
Lower hoarding reads 'French Corner' implying thereby that Pondy is near 
Closed shops in the morning on the sea front. In the evening they sell bhel, chana murmura, pani puri, noodles & other local delicacies
This vehicle or Jugaad is operated by two barefooted gentlemen aged 25 & nearly 50. This palace on wheels has stocks of idols, photos of Gods, pooja items, some utensils & their meagre personal belongings. They play recorded devotional songs to attract people
Amma is preparing filter Kappi for us during a break on Eastern Coast Road somewhere near Chenglapattu     
Such Jugaad vehicles are found all over India. Desi engineering cheap & best
Dhabas & drivers do more for integrating India than is done by the politicians. Maharashtrian food & Punjabi dal tadka is available here with tandoori roti. This Reddy's Punjabi Dhaba was near Krishnagiri on NH-7 to Chennai. Reddy is the owner of this Dhaba & spoke Hindi besides Tamil & Kannada
Vendor of hot coffee & tea on sea front. On approaching a customer he softly announces in a lyrical tone 'Kapee-eyaa - Tea-eeyaaa' 
This fellow sells hot Kappi & Samosa on sea front. His bag contains paper plates, paper cups & chutney as well. Rs. 10/ each for a Kappi or a Samosa

Here is the astrologer, palmist & a card reader to tell you about your future for a princely sum of Rs. 25. Some stones & metallic rings are also available with him for sale which shall ward off evil-eye 
Hot Rasam on the go
Enjoy Pani Puri on sea front
Hot Kappi  

Enjoy ice cream
Rural scene - tower for cellphone, small solar panel, electric wires overhead. Three flags of which two are religious & one political. Bus stop under the tree

Lunch time

Fishermen toil hard during hot & humid day in small boats to catch fish