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Monday 29 June 2015

चलते चलाते - सजीव मूर्तियाँ

भारत भ्रमण के दौरान जानवरों की कुछ सुंदर और सजीव सी मूर्तियाँ देखीं जिनके फोटो यहाँ प्रस्तुत हैं :

खूंख्वार! आँखें शिकार पर गड़ी हुई, जबड़ा और नुकीले दांत फाड़ खाने को तैयार, हर एक मस्सल खिंची हुई और तुरंत हमले की मुद्रा. मैसूर पैलेस मैसूर, कर्नाटक में बाघ की शानदार मूर्ति 

वाह भैंस की सवारी! लगता है जैसे भैंस सवारी समेत खेतों की और जा रही हो! पैसिफिक माल नई दिल्ली के कैम्पस में 

काला कुक्कुर! पहली नज़र में 50 मीटर दूर से तो लगा ही नहीं की ये मूर्ति है. कसौली, जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश में बहुत पुरानी मूर्ति 



Saturday 27 June 2015

योग - 2

किसने शुरू किया योग ?

योग की शुरुआत कब हुई और किसने की इस बारे में पक्की जानकारी नहीं है . वेदों में, उपनिषदों में, गीता में, जैन और बौध ग्रंथों में इसका जिक्र आता है . इस से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की 900 से 500 बरस ईसा-पूर्व योग प्रचलित रहा होगा . सिन्धु घाटी की कुछ मूर्तियाँ यौगिक या मिलती जुलती मुद्राओं में पाई गई हैं जिसका मतलब है और भी पहले याने 3300 से 1700 ईसा-पूर्व भी शायद प्रचलित रहा हो . दावे के साथ एक विशेष दिन या बरस निश्चित करना मुश्किल है .

योग के दो सौ से ज्यादा आसन हैं, बहुत सी प्राणायाम की विधियाँ और मुद्राएँ हैं जिनसे लगता है की योग किसी एक व्यक्ति की देन न होकर एक बहुत से लोगों का सामुहिक ज्ञान रहा होगा और है . आसन, उपासन और मुद्राओं की काफी वैरायटी है . कुछ आसन महिलाओं के लिए अलग से भी हैं. कुछ प्राणायाम सर्दी के मौसम के लिए उपयुक्त हैं और कुछ गर्मी के लिए . जो भी हो बहुत से बरसों तक लगातार प्रयोग और परिक्षण करने के बाद ही योगासन और मुद्राएँ लिखी गई लगती हैं .

उन सभी महापुरुषों को नमन जिन्होनें इस विषय में योगदान दिया और बहुत बहुत धन्यवाद ! वो इसलिए की आप योगाभ्यास करेंगे तो महसूस होगा की योग बहुत वैज्ञानिक और सार्थक है . करते करते शरीर को टोन-अप कर देता है . थकावट और टेंशन घटाता है याने स्ट्रेस-बस्टर है . सुबह से शाम तक आप चुस्त दुरुस्त बने रहते हैं क्यूंकि एनर्जी लेवल बरक़रार रहता है. कितने आश्चर्य की बात है की ढाई - तीन हजार साल पहले ये विद्या मौजूद थी !

योग शास्त्र सम्बन्धी प्राचीन ग्रंथो में दो नाम प्रमुख हैं - पातन्जलि द्वारा रचित 'योगसूत्र' और वेदव्यास द्वारा रचित 'योगभाष्य' . स्वामी विवेकानन्द ने देश विदेश में अपने भाषणों में पातंजलि कृत योगसूत्र का कई बार जिक्र किया जिसके कारण इस ग्रन्थ का प्रचलन बढ़ गया . और अब इसी के आधार पर योग किया जा रहा है . और लोगों ने भी पुराने समय में योग संकलन किया है . आधुनिक समय में बी के एस आयंगर के लेख और पुस्तकें देश विदेश में बहुत चल रही हैं . इनमे से कुछ हैं Light on Yoga, Light on Pranayam & Light on Yoga Sutras of Patanjali .

कितने प्रकार के हैं योग ?

इस प्रश्न का एक लाइन में उत्तर देना मुश्किल है . योग के कई शाब्दिक अर्थ हैं और योग को दूसरे शब्दों के योग से भी कई शब्द बन जाते हैं - कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, अनासक्त योग वगैरा . हिन्दू, जैन और बौध साधकों ने इन भिन्न भिन्न क्रियाओं से मोक्ष प्राप्त करने की बात कही है . इनमे से कुछ का शारीरिक योगाभ्यास से कम सम्बन्ध है .

योग साधना के मुख्य तौर पर चार प्रकार के बताये गए हैं - मंत्र योग, हठ योग, लय योग और राज योग . इनका वर्णन 'शिवसंहिता' और 'गोरक्षशतक'  में भी आया है . पहली पुस्तक के संकलन कर्ता का नाम या लिखने के समय की जानकारी नहीं है . इसमें शिव योग की व्याख्या कर रहे हैं पार्वती से . दूसरी पुस्तक बाबा गोरखनाथ द्वारा  रचित है जिसमे 101 श्लोकों में आसन, प्राणायाम और कुण्डलिनी की चर्चा है . इनका संक्षिप्त रूप इस प्रकार है :

मंत्र योग में बात की गई है मंत्रो द्वारा चंचल मन को संयमित करने की .

हठ योग के वर्णन में कहीं 4 कहीं 7 और कहीं 8 अंग बताये गए हैं . इसमें मुख्य मुद्दा इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियों का संतुलन है . इड़ा नाड़ी या चन्द्र नाड़ी शरीर के बाएँ हिस्से को कंट्रोल करती है, पिंगला नाड़ी या सूर्य नाड़ी शरीर के दाहिने भाग का नियंत्रण करती है और सुषुम्ना -जो रीढ़ की हड्डी में स्थित है, संतुलन में सहायक है . इन्हें आसन और प्राणायाम से मजबूत करके मोक्ष की और बढ़ने की बात कही गई है .

लय योग में चौबीसों घंटे ब्रह्म में लीन रहने की बात की गई है .

राज योग में आसन, प्राणायाम और वैराग्य जैसी क्रियाओं द्वारा चित्त को संयमित और प्रसन्न रखने की बात की गई है .

आज के सन्दर्भ में गहरे ज्ञान में गोते मारने की फुर्सत किसे है. नौकरी हो या व्यापार कामकाज का समय लम्बा हो गया है . खाना-पीना रहना-सहना प्रकृति से दूर होता जा रहा है और पैसा कमाने की होड़ में दिन और रात एक हो गए हैं . रात को पढ़ने या काम करने या देर से सोने का प्रचलन बढ़ गया है. कल तो रविवार है तो थोड़ा और देर तक सोएंगे ! अरे साहब न समय है न इच्छा है मोक्ष प्राप्त करने की . मोक्ष तो दूर की बात है शरीर स्वस्थ रहे वही काफी है और अगर मन शांत हो जाए तो बोनस है . पर ये होगा कैसे ?

अरे साब पहले आप बिस्तर तो छोड़िये !

उष्ट्र आसन 

..... to be continued in योग - 3.



Thursday 25 June 2015

सब्जी वाला

सब्जी वाले से मोल तोल करना अपने बस की बात नहीं है पर कभी कभार तो लेनी पड़ती है. ये काम श्रीमती बेहतर जानती हैं. सब्जी खरीदने का भी एक मजेदार इतिहास है. बहुत पुराने समय की बात है एक दिन श्रीमती ने कहा की आज बटर चिकेन घर में ही बनेगा और तो सब चीज़ें मौजूद हैं पर लहसुन और प्याज की कमी है जाओ ले आओ. चले गए बाज़ार और सौ ग्राम प्याज और एक किलो लहसुन ले आए ! अरे साहब बेभाव की पड़ी और तब से सब्जी मंडी का रास्ता बंद हो गया. 

खैर कभी कभी तो सब्जी ले लेनी चाहिए कोई हर्ज नहीं है. और आज ऐसा ही मौका आ गया. सब्जी वाले से थोड़ी सी वार्तालाप भी हुई :
- क्या नाम है आपका?
- जी सुभास.
- कब से ठेला लगा रहे हो?
- जी कई साल हो लिए अब तो. थोड़े टैम फैक्ट्री में काम किया पर हिसाब नहीं बैठा जी. 
- कितने की सब्जी डालते हो रोज?
- जी नूं समझो की ढाई की कभी साढ़े तीन की कभी चार की.
- अपने पैसे की या उधारी?
- ना जी उधारी न लेता. उधारी में कुछ बचत ना ए जी. 
- तीन सौ चार सौ तो बचते होंगे डेली?
- नूं है जी की दस बारह हजार महीने के हैं जी. दो तीन दिन छुट्टी भी होजा महीने में.
- बच्चे ?
- चार हैं जी. बड़ी वाली 13-14 की है जी छोटा 6 का है जी. 
- स्कूल जाते हैं?
- हाँ जी चारों ही जावें.
- आपकी मैडम भी कुछ कम करती है?
- न जी वो घर में ही रहवे.
- हाथ तंग हो जाता होगा कभी कभी?
- बस जी चल रा ए जी.
- आपकी फ़ोटो खींच लूँ?
- ले लो जी.

पूरी बात श्रीमती को बताई और काफी देर सब्जी वाले पर चर्चा हुई क्यूंकि हम दोनों ही पेंशनर हैं और समय काफी है. कुछ सवाल उभरे जिनके जवाब पता नहीं.
सुभाष सब्जी वाला कब रिटायर होगा - पता नहीं.
बच्चों की शादियाँ कैसे करेगा - पता नहीं.
परिवार में मेडिकल इमरजेंसी आने पर क्या करेगा - पता नहीं.
पर सुभाष सब्जी वाले की मुस्कराहट देख कर लगता है की सब ठीक हो जायेगा.

सुभाष सब्जी वाला 




Wednesday 24 June 2015

महाकाली मंदिर, चैल, शिमला हिल्स

चैल की ऊँचाई  2250 मीटर है और यह स्थान शिमला से लगभग 45 किमी की दूरी पर है। देवदार और चीड़ के घने जंगल में होने के कारण चैल ठंडा, शांत और सुंदर इलाक़ा है। यहाँ का सालाना तापमान -2 डिग्री से 23 डिग्री तक जा सकता है। हरियाली, साफ़ नीला आसमान, ठंडी हवा और नरम गरम धूप में ग़ज़ब का आकर्षण है। 

चैल में 2444 मीटर की ऊँचाई पर एक क्रिकेट मैदान है जो दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान है। इस मैदान से और ऊपर है महाकाली मंदिर। क्रिकेट मैदान से क़रीब 20 मिनट की कार यात्रा करके महाकाली मंदिर पहुंचा जा सकता है। कार सीधे मंदिर के आँगन तक पहुँचा देती है। मंदिर की लोकेशन और वहाँ से दिखते दृश्य लाजवाब हैं। हरे भरे पहाड़ों के बीच सफेद संगमरमर का बना मंदिर बहुत ही सुंदर लगता है।प्रस्तुत हैं कुछ चित्र : 

मंदिर का मुख्य द्वार


शिवालय, श्री श्री महाकाली और श्री गणेश मंदिर


पंचमुखी हनुमान मंदिर


काली माता की पुरातन पिंडी


श्री गणेश मंदिर

मंदिर के आँगन से एक दृश्य


मुख्य सीढ़ियाँ 

मंदिर के आँगन से एक दृश्य 


मंदिर का आँगन 






चैल, शिमला हिल्स

चैल क़रीब 45 किमी है शिमला से और ऊँचाई 2250 मीटर है। चैल को चायल नाम से भी जाना जाता है। चैल की ऊँचाई शिमला से ज्यादा है। देवदार और चीड़ के घने जंगल में होने के कारण ठंडा, शांत और सुंदर इलाक़ा है। यहाँ का सालाना तापमान -2 डिग्री से 23 डिग्री तक जा सकता है। हरियाली, साफ़ नीला आसमान, ठंडी हवा और नरम गरम धूप में ग़ज़ब का आकर्षण है। 

चैल के बारे में एक क़िस्सा मशहूर है ( कितना सच है पता नहीं ) कि महाराजा पटियाला भूपिन्दर सिंह ने ब्रिटिश कमांडर लॉर्ड किचनर की बेटी को अगवा कर लिया। लॉर्ड किचनर ने महाराजा पटियाला का शिमला में आना बंद करा दिया। महाराजा पटियाला ने जवाबी कार्रवाई में चैल महल का निर्माण 1891 में शुरू करवा दिया। यह ज़मीन पटियाला राज को अंग्रेज़ों ने तब दी थी जब ब्रिटिश इस्ट इंडिया कम्पनी, पटियाला और गढ़वाल राजाओं ने मिलकर गोरखों को हराया था। महाराजा क्रिकेट और पोलो के शौक़ीन थे इसलिए एक मैदान 2444 मीटर की ऊँचाई पर तैयार कराया जो दुनिया का सबसे उँचा क्रिकेट मैदान है। बाद में भारतीय गणतंत्र में शामिल होने पर पटियाला राज की ज़्यादातर सम्पत्ति चैल मिलिट्री स्कूल और भारत सरकार को दे दी गई। 

चैल के नज़दीकी हवाई अड्डे हैं शिमला और चंडीगढ़ और रेलवे स्टेशन है कालका। इन जगहों से चैल की बसें व टैक्सियाँ मिल जाती हैं। अपनी कार ले जाने का भी मज़ा है पर आख़री दस बारह किमी की चढ़ाई मुश्किल है सावधानी बरतनी होगी। चैल पैलेस, क्रिकेट मैदान और मंदिर का वापसी टूर एक दिन में भी किया जा सकता है। ट्रेकिंग वग़ैरा के लिए ज्यादा समय लगा सकते हैं। सभी तरह के होटल उपलब्ध हैं पर पहले बुक करा लें। बरसातों को छोड़ कर पूरे साल सैर की जा सकती है। कुछ तस्वीरें :

चैल

चैल बाज़ार 

ठंडक और सुकून - एकला चलो रे

हरियाली और रास्ता 

चीड़, देवदार और हरियाली

क्रिकेट मैदान पर 250 साल पुराना हिमालयन ओक ( शाहबलूत ) का पेड़ जो अब सूख गया है

काली मंदिर चैल से लिया गया एक चित्र

चंडीगढ़ से चैल वाया NH 22 लगभग 110 किमी है



Tuesday 23 June 2015

घर में जागरण

गोयल साहब आज व्यस्त हैं पर चेहरे पर मुस्कराहट भी है. आज आठ बजे घर से थोडा दूर पार्क में रिश्तेदारों, दोस्तों और साथी व्यापारियों की दावत है और उसके बाद बारह बजे तक देवी माँ का गुणगान होगा. गोयल साहब कलफ़ लगे चकाचक सफ़ेद कुरते पजामे में एक बार सारी व्यवस्था का निरिक्षण कर आए हैं. पंडाल में सजावटी लाइट जल रही हैं. मूर्तियाँ स्टेज पर सजा दी गई हैं. सलाद की प्लेटें, काउन्टर पर बर्तन सजे हुए हैं, वेटर तैयार हैं और हलवाई की कड़ाही गर्म है.

गोयल साहब की उमर 60 के करीब है. मोटा चश्मा लगाते हैं. मटके सा मोटा पेट है. गंजे सर के किनारे किनारे सफ़ेद बालों की एक झालर है जिसे आज उन्होंने काला कर दिया है. श्रीमती और बहुरानी पारलर से तैयार होकर आ चुकी हैं. श्रीमती के कहे अनुसार ही यह आयोजन घर में न होकर पार्क में हो रहा है.

"घर में भीड़ इक्कठा करना कहाँ की समझदारी है जी ? सारा घर तहस नहस हो जावे है. हफ्ता भर फिर समेटते रहो जी. बस अपना बाहर ही बाहर आवेँ, खावें और जावें क्यूँ जी?"

गोयल साहब का हैंडलूम की चादरों, पर्दों वगैरा का शोरूम है. व्यापारी दोस्तों में मियां यासीन भी हैं जिनके यहाँ से हर महीने सामान किफायती रेट पर सप्लाई होता है. मियां यासीन भी पधारे और खाने के बाद चलने लगे तो गोयल परिवार से मुखातिब हुए.

- भई हमें तो अब इजाज़त दें. आप सब लोगों को बहुत बहुत मुबारक हो. बड़ा अच्छा इन्तेजाम किया आपने.
- यासीन भाई साहब रुकने के लिए तो नहीं कहेंगे आपको पर आपने कुछ खाया भी या यूँ ही बोल रहें हैं ? श्रीमती गोयल ने पुछा.
- भाभी जी डट के खाया है मैंने भी और मेरे पोते ने भी. पर एक बात तो बताइए भाभी जी यह कार्यक्रम किस लिए किया?
- ताकि घर में सुख शांति बनी रहे और देवी घर परिवार पर कृपा करती रहें.
- भाभी जी देवी का स्वागत आपने पार्क में किया और पार्क से ही आप देवी को विदा भी कर देंगी तो वो आपके घर कैसे आएँगी ?

गोयल साहब मुस्कराए, श्रीमती गोयल झेंप गईं और बहुरानी ने तय कर लिया की अगला जागरण घर में ही होगा पार्क में नहीं.




Sunday 21 June 2015

योग - 1

क्या है योग ?


आजकल मीडिया में योग योगा ही छाया हुआ है . योग का अंग्रेजीकरण हो गया है "योगा" और आसन बन गए हैं "आसनाज़" . सुना है की २१ जून की योगा जम्बूरी में ॐ शब्द का उच्चारण हटा दिया गया है और आसनों में से "सूर्य नमस्कार" भी हटा दिया गया है . ये दोनों ही चीजें योग का अभिन्न अंग हैं इसलिए ॐ का उच्चारण और सूर्य नमस्कार आसन करना अच्छा ही रहेगा .

पर खैर योग से हमारी मुलाकात संयोग से ही हुई . '98 की गर्मियों में दिल्ली में हुई . भारतीय योग संस्थान ने कोलोनी में फ्री योग शिविर लगाया और पहले ही दिन 60 लोग पहुँच गए . जब हमने सैर करते हुए देखा "अरे इतने लोग" तो अगले दिन हमने भी दरी बिछा दी . हालाँकि मन में कई सवाल थे - की एक दरी पर ही लोटपोट करने से स्वास्थ्य सही हो सकता है क्या ? कितने दिन लगेंगे सीखने में ? रोज सुबह 5.30 बजे जाना होगा तो पांच बजे बिस्तर भी छोड़ना होगा वो कैसे होगा ? कैसे कैसे विचित्र नाम हैं आसनों के - उष्ट्र-आसन, सर्प-आसन, ताड़-आसन !

एक महीने बाद साधकों की संख्या 20 रह गयी और तीन महीने बाद केवल 7. पर हम तो जमे रहे और लगातार योगाभ्यास करने से बात समझ में आने लगी. शरीर चैतन्य रहने लगा और मन भी थोडा सा शांत हुआ . बस साहब उसके बाद से आज तक हम दोनों ने योगाभ्यास नहीं छोड़ा . बीच बीच में यात्रा या शादी ब्याह वगैरा में दैनिक अभ्यास नहीं कर पाए अन्यथा योगाभ्यास अब तक जारी है और आगे भी जारी रहेगा . '98 से अब तक एलोपैथिक गोलियों से दूर ही रहे . चोट लग जाने पर बात दूसरी है . इस दौरान हुए अनुभवों को आप से शेयर कर लेते हैं . आपके विचारों का स्वागत है .

योग को परिभाषित करना आसान नहीं है . शाब्दिक अर्थ तो जोड़ या जोड़ना या मिलन है . सरल शब्दों में कहें तो योग का मतलब शरीर, श्वास और मन की ट्यूनिंग है. इससे भी आगे चलें तो " स्वयं में स्थित होना, अन्तर्मुखी होना, स्वयं से मिलना ही योग है" . इस विषय पर इन्टरनेट में और नई पुरानी पुस्तकों में बहुत विस्तार से चर्चा मिलेगी और इनमें से आप मनपसंद परिभाषा चुन सकते हैं :
योगश्चित्तवृत्त निरोधः - पातंजलि योग दर्शन के अनुसार चित्त की व्रतियों का निरोध ही योग है .
योगः संयोग इत्युक्तः जीवात्म परमात्मने - विष्णुपुराण के अनुसार जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही योग है .
कुशल चितैकग्गता योगः - बौध चिंतन के अनुसार कुशल चित्त की एकाग्रता ही योग है .
सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते - भाग्वदगीता के अनुसार दुःख-सुख, लाभ-हानि,शत्रु-मित्र, गर्म-सर्द के द्वंदों में समभाव रखना ही योग है .
परिभाषा तय करने के बाद आगे चलें तो योग साधना करने के कुछ नियम कानून भी हैं जैसे की किसी भी दूसरी प्रक्रिया में होते हैं . पातंजलि योग सूत्र के अनुसार योग साधना के आठ अंग बताए गए हैं :
1. यम - इसके आगे पांच अंग माने गए हैं - अहिंसा, सत्य, अस्तेय(चोरी से नहीं वरन परिश्रम से कमाना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह(जरूरत से अधिक धन संग्रह न करना) .  
2. नियम - इसके आगे भी पांच अंग माने गए हैं - शौच याने शरीर और मन की शुद्धी, संतोष, तप याने हर अवस्था में मन को साधना, स्वाध्याय और आत्म-समर्पण .
3. आसन - कई प्रकार के आसन हैं जिनसे शरीर एवं मन में सुख और स्थिरता आती है . 
4. प्राणायाम - साँस को स्थगित करना या नियंत्रण में लाना.
5. प्रत्याहार - बाहरी विषयों को छोड़ कर इन्द्रियों का अन्तर्मुखी हो जाना.
6. धारणा - किसी भी बाहरी वस्तु या विषय पर एकाग्रता से ध्यान लगाना.
7. ध्यान - शरीर स्थिर और मन शांत होने के बाद मन के विचार शून्य होना.
8. समाधी - याने विमुक्ति. 

नियम बड़े कड़े हैं और पढ़ कर तो ऐसा लगता है की बहुत कठिन है डगर पनघट की ! नौकरी चाकरी और परिवार छोड़ कर ही योगाभ्यास कर पाएंगे . पर ऐसा नहीं हैं हमने कामकाज भी करना है परिवार भी देखना है और योगाभ्यास भी करना है . ऊपर लिखे आठ अंगो में से जितने ज्यादा कर सकें कर लें . शरीर स्वस्थ और मन शांत रहेगा तो परिवार और समाज में भी शांति बढ़ेगी . और अंतिम यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न होगी ! तो चलिए बिस्तर छोड़िये और पहुंचिए योग की क्लास में . पांच बजे अगर बिस्तर त्याग दिया तो आधी समस्याएं तो वैसे ही उड़नछू हो जाएँगी .




.....to be continued in योग - 2.





Wednesday 17 June 2015

चलते चलाते - 6

शिमला हिल्स के कुछ और फोटो प्रस्तुत हैं :

चैल में 2444 मीटर की ऊँचाई पर क्रिकेट मैदान है जो दुनिया का सबसे ऊँचा क्रिकेट मैदान है। इस मैदान पर यह सूखा हुआ हिमालयन ओक 250 साल पुराना है। यह क्रिकेट मैदान और इस ओक पर बना मचान महाराजा पटियाला द्वारा बनवाया गया था


सुबाथू गेस्ट हाउस की सुहानी सुबह

डगशई में एक मंदिर

Sunday 14 June 2015

चलते चलाते - 5

शिमला हिल्स का एक सप्ताह के कार से टूर किया। इस दौरान चलते चलाते काफी फ़ोटो खींचे। हरे भरे और ठंडे पहाड़ ख़ूबसूरत लगते हैं। यहाँ दी हुई चार फ़ोटो अलग अलग स्थानों की हैं। 

टिम्बर ट्रेल परवानू से नजर आता एक गाँव 

सुबाथू गेस्ट हाउस से नजर आता एक गाँव 

सुबह देखा तो कार जामुनी फूलों से सजी हुई थी !

आजकल पहाड़ों पर सुंदर मकान बन रहे हैं - चैल के रास्ते में





Friday 12 June 2015

चलते चलाते - 4

शिमला हिल्स का एक सप्ताह के कार से टूर किया। इस दौरान चलते चलाते काफी फ़ोटो खींचे। यहाँ दी हुई तीनों फ़ोटो सुबाथू से चंडीगढ़ जाते हुए ली गई थीं। दाहिनी ओर साफ़ नीला आसमान था पर बाँयी ओर हलके से बादल थे और कुछ बूंदा बांदी भी हुई थी। फ़ोटो में आए हुए धब्बे बारिश की बूँदें ही हैं जो कार के शीशे पर गिरी थी।

बारिश की बूँदें और पहाड़ी द्रश्य 

छोटा सा मंदिर 

मेहनतकश बकरी वाली - हाथ में पानी की बोतल, डंडी, हंसिया और एक झोला जिसमें शायद खाना होगा




Tuesday 9 June 2015

Himalayan Expressway, Parwanoo, Himachal

The Himalayan Expressway passes through Shivalik range from Zirakpur to Parwanoo. This road runs 2 km in Punjab, 21 km in Haryana & 4.5 km in Himachal. The Expressway helps in bypassing congested towns of Pinjore & Kalka and is a big relief for travellers to & fro Shimla Hills. It cost ₹ 412 cr & was made by Jaypee group.
These photos were taken on the iPad in the morning with overcast skies.

Country roads take me home!

Concrete blocks add to the safety

Toll Plaza - wish it was not there! 

Look at the haphazard growth of the buildings 

Twists & turns



Sunday 7 June 2015

Historical Dagshai, Himachal Pradesh

Dagshai is one of the oldest cantonment towns & is situated in district Solan, Himachal at a hight of approx 5700 ft. It is 11 km from Solan & 65 km from Chandigarh. About 2 km away is Kumar Hatti railway station on Kalka-Shimla railway. Annual temperature ranges between 07 to 38 degrees. Dagshai has a Heritage Museum with lots of interesting exhibits. Adjacent to the museum is Dagshai jail which is also associated with interesting pieces of history.

* Legend has it that name Dagshai is derived from the word Dag-E-Shahi used in Moghul times. Moghuls used red hot iron rods to brand hard core criminals on their foreheads with royal mark - Dag-E-Shahi & ousted them to this place.

* In 1847 East India Company secured five villages free of cost from Maharaja Patiala Bhupinder Singh. These are Dabbi, Dagshai, Chunawad, Jawag & Badhtiala. Of these Dagshai was the largest & most strategically located overlooking Kalka-Simla Road hence the Dagshai Cantt.

* Dagshai Central Prison was constructed in 1849 at a cost of ₹ 72,873. It has 54 high security cells measuring 8 ft into 12 ft with 20 ft high ceiling. Of these 16 cells were meant for solitary confinement.

* In 1857 many Gorkha sepoys of Nasiri Regiment stationed around Shimla revolted. A number of them were caught & put in Dagshai jail.

* In 1914 Baba Gurditta Singh Sandhu of Hong Kong hired a Japanese ship Komagata Maru to take people from Punjab to Canada. Baba felt that: 'the visions of men are widened by travel and contacts with citizens of a free country will infuse a spirit of independence and foster yearnings for freedom in the minds of the emasculated subjects of alien rule'.
Passengers consisted of ex-army men from Punjab - 340 Sikhs, 24 Muslims & 12 Hindus. The ship was not allowed to enter Vancouver, Canada. After two months of hectic activities of MPs, lawyers & media only 20 persons were allowed to land & the ship was pushed back. On 27 Sept 1914 the ship arrived in Calcutta but was diverted to Budge Budge.
Police went to arrest 'leaders' but they resisted & riot ensued. In police firing 19 passengers were killed. Several including Baba escaped & remaining imprisoned. 20 of them were brought to Dagshai & four of them were identified as having links with Ghadar Party. These four were hanged in Dagshai jail.

* In May 1913 at the instance of Ghadar Party there was unrest & 'revolt' in 23rd Cavalary ( Risala). Many sepoys were arrested & court marshalled. Subsequently 12 were awarded death sentence & executed by firing squad in Dagshai jail.

* In 1920 there was a large scale 'mutiny' of Irish Catholic soldiers of 1st Battalion of Connaught Rangers. This was in response to unrest in Ireland against the British. On 2nd Nov 1920 mutineer leader Private James Daly who was 21, was shot by firing squad in Dagshai Jail. He was buried in Dagshai graveyard. In 1970 his remains were taken to Ireland where he was given a funeral with military honours.

* Hearing about arrests of Irish soldiers Mahatma Gandhi visited Dagshai to assess the situation. He stayed for a day in a cell to show solidarity with Irish people. He was friend & admirer of Irish leader Eamon de Valera.

These are very short narratives of historical incidents but eye openers for me. Anger against Firangs was wide spread in 1857 & later on also than what I had thought previously. Lots of people rebelled in many parts of India & even abroad. They faced torture & were brutally crushed by Firangs. Their contribution to freedom from foreign rule is immense but finds lesser mention in text books, govt handouts & in media.

Hats off to these unsung heroes.

Heritage Museum was opened on Oct 13, 2011

Fire Hydrant made in 1865 in Scotland. Small knob on top left is rotated & water comes out from the side hole. In 2011 it was still working & it's antique value was assessed at ₹ 1.25 crores!
Entrance to the T shaped prison

Inside the prison. Notice the hight of the ceiling & just one small square barred window. Floor is made of termite proof Sagon wood which is one ft above the real floor. This helped the guards in getting to hear slightest movement of prisoners
Torture cell - behind the grill gate is heavy wooden door. Between the door & the grill prisoner could stand only as there is no space to sit 

Air pump in the Museum. This was occasionally used to pump fresh air in to the cells

Back side of the cells. Small windows having thick iron bars on the inner side & thick iron plates with a hole on the outer side. This hole was used to keep an eye as well as to pump fresh air in to the cell
One of the cells where Mahatma Gandhi stayed overnight
Prison as it looks from the outside having 20 ft high thick strong walls



Thursday 4 June 2015

टिम्बर ट्रेल, परवानू, हिमाचल

चंडीगढ़ से 35 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 22 ( चंडीगढ़ - शिमला रोड ) पर स्थित है परवानू। यहाँ आपको मिलेगी केबल कार या रोपवे। चंडीगढ़ से शिमला जाते हुए दाहिने हाथ पर आपको टिम्बर ट्रेल नज़र आ जाएगा। यहाँ आप केबल कार की सवारी का आनंद ले सकते हैं। यह केबल कार ऊपर टिम्बर ट्रेल रिसोर्ट तक ले जाती है जो 5000 फ़ीट की ऊँचाई पर है। ऊपर होटल, पूल, एडवेंचर गेम्स वग़ैरा की व्यवस्था पेमेंट पर है। न रुकना चाहें तो आप एक दो घंटे प्राकृतिक नज़ारे देख कर उड़न खटोले से वापिस आ सकते हैं। प्रति व्यक्ति वापसी किराया ₹ 770 है।

केबल कार की यात्रा रोमांचक है। ये कार बड़े अच्छे तरीके से चलती है कोई झटका नहीं, कोई शोर नहीं, पता ही नहीं लगता कब स्टेशन आ गया। कार में एक सहायक रहता है और खड़े होना या झटके से इधर उधर होना मना है। बैठ कर चारों तरफ के सुंदर नज़ारों  का आनंद लिया जा सकता है। जिस दिन हमने यात्रा की उस दिन बादल थे और हल्की बूंदाबांदी भी थी। ऊपर पहुँच कर कॉफ़ी पी और वापिस भागे। उड़न खटोले में रिसोर्ट के स्टाफ़ मेंम्बर भी थे जो इतमीनान से अख़बार पढ़ रहे थे। ये देख कर थोड़ी तसल्ली भी हुई की उड़न खटोला सेफ़ है ! कुछ फ़ोटो :

उड़न खटोला

नीचे दिख रहे सफेद मकान तक केबलकार जाती है

सैलानियों के कैमरे नहीं रूकते 

सफेद बिल्डिंग रिसोर्ट / होटल है

बादल और हल्की सी बूंदा- बांदी

हल्की बारिश में उड़ता खटोला

ऊपर से नीचे तक की लटकती तारों के बीच इकलौता खम्बा

चलो चलें