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Saturday 28 March 2015

Long drive to Delhi: 43 चित्तौड़गढ़ से

चित्तौड़गढ़ एक ऐतिहासिक शहर है जो दिल्ली - मुम्बई राजमार्ग- 8 के लगभग मध्य में स्थित है। दिल्ली से 700 किमी और अजमेर से 112 किमी है। इस शहर का मौसम गरम ही रहता है क्यूँकि बारिश कम ही होती हैं। नवम्बर से फ़रवरी तक घुमने का अच्छा मौसम है।

इस पुराने शहर से कई नाम जुड़े हैं जिनमें से एक मीरा बाई का भी है। शहर के मुख्य चौराहे पर मीरा बाई की याद में एक सुंदर मूर्ति-समूह लगाया गया है। और इसके पास ही है डांडी यात्रा का मूर्ति-समूह। सारी मूर्तियाँ सुंदर हैं और शहर की शोभा बढ़ाती हैं। कुछ फ़ोटो :



राजवधु मीरा बाई को पालकी में बैठाकर राजमहल की ओर ले जाया जा रहा है

सामने से लिया गया चित्र 

राजमार्ग से चित्तौड़गढ़ शहर की ओर जाती सड़क 

महात्मा गांधी का नमक सत्याग्रह - डांडी मार्च का सुंदर मूर्ति-समूह। इसी तरह का परन्तु इससे ज़्यादा बड़ी रचना नई दिल्ली में भी लगाई गई है



चित्तौड़गढ़ की अधिक जानकारी और चित्रों के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें:

http://jogharshwardhan.blogspot.com/2015/01/long-drive-to-delhi-41-chittorgarh.html


Tuesday 24 March 2015

Morning mist of Nandi Hills, Karnataka

Nandi Hills or Nandidurg is approx 60 km from Bangaluru in Chickballapur district, Karnatak. Nandi Hills is approx 4800 ft above sea level. Nice spot with a palace & temples. Some photos:

It was cloudy & warm in the morning when the photo was taken. But as we went up fog & cold breeze made us shiver!

Mist on the way up

Fog thickens

Tail lights flicker in fog & breeze

Entrance & toll gate

From the ramp one could see fog & more fog!





Monday 16 March 2015

पौड़ी गढ़वाल के कुछ चित्र

पौड़ी गढ़वाल ज़िला लगभग 5400 वर्ग किमी में फैला हुआ है और दिल्ली से 330 किमी दूर है। पौड़ी तहसील 1800 मी की ऊँचाई पर स्थित है। 2011 की जनगणना के अनुसार ज़िले की जनसंख्या लगभग सात लाख है। सुंदर और मनोरम पौड़ी के कुछ चित्र :


सुबह के उजाले में चमकता पौड़ी शहर का एक भाग


ढलती शाम, गरमा-गरम पकोड़े और साथ में चाय का आनंद

घुमावदार पर सुंदर रास्ते 

सीढ़ीनुमा खेत बारिश की इंतज़ार में








Thursday 12 March 2015

क्यूबेक शहर, कनाडा

पिछले दिनों हमारा बेटा यश वर्धन कुछ समय के लिए क्यूबेक शहर कनाडा में था। क्यूबेक शहर की गपशप और कुछ फ़ोटो प्रस्तुत हैं:

क्यूबेक नगर कनाडा के क्यूबेक प्रांत की राजधानी है। नगर की जनसंख्या लगभग पाँच लाख है। इसके मुक़ाबले तो दिल्ली की कई कॉलोनियों में इससे ज़्यादा आबादी तो है ! यहाँ जनवरी में पारा - २० डिग्री तक भी चला जाता है और बर्फ़ की सफेद चादर बिछ जाती है और नज़ारा सुंदर हो जाता है। 

क्यूबेक प्रांत की अधिकारिक भाषा फ़्रेंच है और ९०% से ज़्यादा लोग फ़्रेंच बोलते हैं। इंग्लिश समझते तो हैं पर नापसंद करते हैं। इसका ऐतिहासिक कारण है की कनाडा के इस भाग में फ़्रांसीसी पहले आए थे। 

यश किसी दोस्त के घर डिनर पर गए। दोस्त की सात साल और पांच साल की दो बेटियाँ से भी हेलो बोला। दोस्त ने बेटियों को बताया कि मेहमान इंडियन है। इस पर दोनों बेटियाँ घोड़ों की तरह कूदने लगीं और मुँह पर हाथ रख कर लालालालाला की आवाज निकालने लगीं। दोस्त ने हँसते हुए बताया कि वे इंडियन का मतलब 'रेड इंडियन' या 'नेटिव इंडियन' समझ रही हैं और इसलिए रेड इंडियन की नक़ल कर रही हैं !

कनाडा बहुत ही ठंडा देश है और सभी लोग एक समान ही गोरे हैं। पर अपने इंडिया में गोरे, गेहुंए, साँवले, भूरे और काले सभी कलर मिलते हैं। यश का किसी दोस्त के घर जाना हुआ जहाँ दोस्त की दादी से मुलाक़ात हुई। दादी अकेली ही अपने मकान में रहती थी जो पास ही था। दादी का एक किराएदार साउथ इंडियन था। दादी ने यश से कहा की तुम तो अच्छे भले लगते हो पर इंडिया में क्या काले भी होते हैं ?

कनाडा में पानी की कमी नहीं है और घरों में पानी २४ घंटे आता है। और इतना साफ़ आता है की घरों में फ़िल्टर या RO नहीं लगाए जाते। बाथरूम का नल खोल कर पानी पिया जा सकता है और लोग बिन्दास पीते भी हैं।
कुछ फ़ोटो :


क्यूबेक संसद के सामने महात्मा गांधी की मूर्ति 

क्यूबेक में बग्गी की सैर। बग्गी वाला गाइड का काम भी करता है और शहर की ऐतिहासिक जानकारी देता है

होटल के दसवें माले से लिया गया फ़ोटो 

सड़क के किनारे





Wednesday 4 March 2015

पोंडीचेरी के कुछ चित्र

पोंडीचेरी या पोंडी का 2006 में नामकरण कर दिया गया - पुद्दूचेरी याने तमिल में कहें तो 'नया गाँव'। यह एक केन्द्र शासित प्रदेश है और मज़ेदार बात यह है की इस प्रदेश के चार छोटे ज़िले हैं जो आपस में नहीं मिलते जैसे की - माहे केरल में है, यानम आंध्रा में है, करैकल तमिलनाडु में है और पोंडी भी तमिलनाडु में है पर करैकल से दूर है। ये चारों ज़िले १९५४ तक फ़्रांस के आधीन थे। पोंडीचेरी चिन्नाई से 170 किमी दूर है और बैंगलोर से लगभग 375 किमी। 

पोंडी का ज़िक्र पहली सदी के रोम के सौदागरों ने पोदुके या पोदुसा नाम से किया है। पोंडी के आसपास का इलाक़ा चौथी सदी तक कांचीपुरम के पल्लवों के आधीन रहा, दसवीं से तेरहवीं शताब्दी तक थन्जावुर के चोला राजाओं के मातहत रहा और तेरहवीं शताब्दी के अंत में पण्ड्या राजाओं के आधीन रहा। चौदहवीं सदी से लेकर 1638 तक यह इलाक़ा विजयनगर साम्राज्य में शामिल था। १६७४ में पोंडी पर फ़्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अधिकार जमाया और कालांतर में १९५४ में पौंडी, माहे, यानम और करैकल याने 'फ़्रेंच इंडिया' भारत में शामिल हुआ। 

फिरंगियो पर ग़ौर करें की पहली सदी से रोम वग़ैरा से व्यापार करने आते थे। फिर दूसरे दौर में सन 1400 से फिर आने शुरू हो ए। लगभग 1600 के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनियों के रूप में आए और क़ब्ज़ा कर बैठे। गए कब - अंग्रेज़ 1947 में गए, फ़्रेंच 1954 में गए और पुर्तगालियों को 1962 में धक्का दिया गया। कमबख़्त जाने को तैयार नहीं ! खैर प्रस्तुत हैं पोंडीचेरी में लिये गए कुछ चित्र:


पोंडीचेरी द्वार

बैकवाटर 

हवा महल 

मछुआरा, पोंडीचेरी सी-साइड